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Indian Monsoon | भारतीय मानसून: शास्त्रीय सिद्धांत, जेट स्ट्रीम और अन्य सिद्धांत

Indian Monsoon | भारतीय मानसून: भारतीय मानसून एक जटिल और महत्त्वपूर्ण मौसम प्रणाली है जो भारतीय उपमहाद्वीप में वर्षा का मुख्य स्रोत है। यह प्रणाली मुख्य रूप से दो चरणों में विभाजित होती है: दक्षिण-पश्चिम मानसून और उत्तर-पूर्व मानसून। भारतीय मानसून के पीछे कई सिद्धांत और तंत्र कार्य करते हैं। इस ब्लॉग पोस्ट में हम शास्त्रीय सिद्धांत, जेट स्ट्रीम और अन्य सिद्धांतों की चर्चा करेंगे।

Indian Monsoon | भारतीय मानसून: शास्त्रीय सिद्धांत

Indian Monsoon | भारतीय मानसून: शास्त्रीय सिद्धांत के अनुसार, मानसून की उत्पत्ति और विकास तीन प्रमुख तत्त्वों पर निर्भर करता है:

  1. भूमि और सागर तापमान का अंतर: गर्मी के मौसम में भारतीय उपमहाद्वीप तेजी से गर्म होता है जबकि महासागर अपेक्षाकृत ठंडा रहता है। यह तापमान अंतर एक निम्न दाब प्रणाली को जन्म देता है जो समुद्री हवाओं को भूमि की ओर खींचता है।
  2. हिमालय का प्रभाव: हिमालय पर्वत श्रृंखला एक प्राकृतिक अवरोधक का कार्य करती है, जो मानसून हवाओं को भारतीय उपमहाद्वीप की ओर मोड़ती है।
  3. इंटरट्रॉपिकल कन्वर्जेंस ज़ोन (ITCZ): यह एक क्षेत्र है जहाँ उत्तरी और दक्षिणी गोलार्ध की व्यापारिक हवाएं मिलती हैं, जिससे उष्णकटिबंधीय चक्रवात और मानसून हवाएं उत्पन्न होती हैं।

Indian Monsoon | भारतीय मानसून: जेट स्ट्रीम सिद्धांत

जेट स्ट्रीम उच्च ऊँचाई पर तेज़ बहने वाली वायुमंडलीय धाराएँ होती हैं। मानसून के विकास में इनका महत्त्वपूर्ण योगदान है:

  1. ट्रॉपिकल ईस्टरली जेट (TEJ): यह जेट स्ट्रीम भूमध्य रेखा के पास पाई जाती है और भारतीय मानसून को सक्रिय करने में प्रमुख भूमिका निभाती है।
  2. सबट्रॉपिकल वेस्टरली जेट (STJ): यह जेट स्ट्रीम हिमालय के ऊपर बहती है और मानसून के समय अपनी स्थिति बदलकर उत्तर की ओर खिसक जाती है, जिससे मानसून हवाओं का प्रवाह सुगम होता है।

Indian Monsoon | भारतीय मानसून: अन्य सिद्धांत

  1. इंडियन ओशन डिपोल (IOD): यह भारतीय महासागर के पश्चिमी और पूर्वी भागों के सतह तापमान के अंतर को दर्शाता है। सकारात्मक IOD स्थिति में, पश्चिमी भाग गर्म होता है और पूर्वी भाग ठंडा, जिससे भारत में अधिक वर्षा होती है।
  2. एल नीनो और ला नीना: प्रशांत महासागर की यह घटनाएँ भारतीय मानसून पर व्यापक प्रभाव डालती हैं। एल नीनो के समय भारतीय मानसून कमजोर पड़ता है जबकि ला नीना के समय यह मजबूत होता है।
  3. मानसून ट्रफ: यह निम्न दबाव की एक रेखा है जो भारतीय उपमहाद्वीप के उत्तर-पश्चिमी भाग से बंगाल की खाड़ी तक फैली होती है। यह ट्रफ मानसून के दौरान पश्चिम की ओर बढ़ती है और भारी वर्षा का कारण बनती है।
  4. पश्चिमी विक्षोभ: यह पश्चिम से आने वाली ठंडी हवाएँ होती हैं जो हिमालय से टकराकर भारतीय उपमहाद्वीप में वर्षा लाती हैं। ये विशेषकर उत्तर-पश्चिमी भारत में सर्दियों में प्रभावी होती हैं।

Indian Monsoon | भारतीय मानसून: निष्कर्ष

Indian Monsoon | भारतीय मानसून: भारतीय मानसून एक जटिल और बहुआयामी प्रक्रिया है जिसमें अनेक तत्त्व और सिद्धांत शामिल हैं। भूमि और सागर तापमान का अंतर, हिमालय का प्रभाव, जेट स्ट्रीम, इंडियन ओशन डिपोल, एल नीनो और ला नीना, मानसून ट्रफ और पश्चिमी विक्षोभ जैसे कारक भारतीय मानसून के स्वरूप और तीव्रता को निर्धारित करते हैं। इन सभी तत्त्वों की समझ हमें मानसून की बेहतर भविष्यवाणी और प्रबंधन में सहायता करती है, जो भारतीय कृषि और जल संसाधनों के लिए अत्यंत महत्त्वपूर्ण है।

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