Earthquake

Earthquake | भूकंप

Earthquake भूकंप का अर्थ भू पर्पटी में प्रघाती तरंगो द्वारा उत्पन्न होने वाले कम्पन्न से है | इसका कारण आकस्मिक रूप से स्ठेतिक ऊर्जा का गतिज उर्जा में परिवर्तन होना है | इस लेख में हम भूकंप के कारण , भूकंपीय तरंगो के प्रकार एवं भूकंप के विश्व वितरण पर चर्चा करेंगे |

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Earthquake | भूकंप के कारण

Earthquake: ज्वालामुखी क्रिया – भूकंप के आने का एक प्रमुख कारण ज्वालामुखी उद्भेदन है | जिससे पृथ्वी के भीतर से गर्म लावा एवं गैसों के निकलने से भूपर्पटी पर दबाव पड़ता है और कम्पन्न उत्पन होता है |

भ्रंश एवं संपीडन की क्रिया – ये चट्टानों के विस्थापन के कारण होने वाली क्रियाएँ हैं | इसमें चट्टानों का विपरीत दिशा में विस्थापन होता है | विश्व के नविन पर्वत क्षेत्रों में इस प्रकार के भूकंप आते रहते हैं | उदाहरण सेन फ्रांसिस्को का भूकंप |

समस्थितिक समायोजन या भुसंतुलन – यह गुरुत्वाकर्षण एवं उत्प्लावन बल का प्रतिफल है जिसके कारण क्रस्ट में स्थैतिक संतुलन कायम रहता है |

प्रत्यास्थ पुनश्चलन सिद्धांत – अमेरिकी भूगोलवेत्ता प्रोफेसर एच एफ रीड के अनुसार आन्तरिक चट्टानें लचीली होती है तथा एक सीमा तक दबाव सहन करने के पश्चात टूट जाती हैं एवं पूर्व स्थिति को प्राप्त होती हैं जिसके कारण भूकंप आते हैं |

प्लेट विवर्तनिकी सिद्धांत – रचनात्मक प्लेट किनारे आने वाले भूकंप कम गहरे के एवं विनाशात्मक प्लेट किनारे आने वाले भूकंप अधिक गहरे के एवं विनाशकारी होते हैं |

जिस स्थान से भूकंप तरंगे उत्पन्न होती हैं उसे भूकंप मूल कहा जाता है एवं सबसे पहले जहाँ भूकंप अनुभव किया जाता है उसे भूकंप केंद्र कहा जाता है

Earthquake: प्लेट विवर्तनिकी के अनुसार भूकंप के प्रकार

  • छिछले केंद्र वाले भूकंप – 0-35 किमी गहराई
  • मध्यम केंद्र वाले भूकंप – 35-100 किमी गहरे के भूकंप
  • गहन केंद्र वाले भूकंप – 100 से 350 किमी गहरे भूकंप
  • पतालीय केंद्र वाले भूकंप – 350 – 700 किमी गहरे भूकंप

Earthquake: भूकंपीय तरंगो के प्रकार

भूकंप के समय जो उर्जा भूकंप मूल से निकलती है उसे प्रत्यास्थ उर्जा कहते हैं | भूकंप के दौरान मुख्य रूप से तीन प्रकार की भूकंपीय तरंगें उत्पन्न होती हैं –

प्राथमिक अथवा लम्बवत तरंगे – इन्हें P तरंगे कहा जाता है | ये अनुदैर्ध्य तरंगे हैं एवं ध्वनि तरंगो की तरह गति करती हैं | ये ठोस एवं तरल दोनों माध्यम में चल सकती हैं | S तरंगो की तुलना में इनकी गति 66 प्रतिशत अधिक होती है |

द्वितीयक तरंगे – इन्हें S तरंगे कहा जाता हैं ये प्रकाश तरंगो की भांति व्यव्हार करती हैं | ये केवल ठोस माध्यम में ही गति करती हैं |ये पृथ्वी के कोर से गुजर नहीं पाती अतः इस से अंदाजा लगाया गया है की पृथ्वी का कोर तरल अवस्था में है | तृतीयक तरंगे – इन्हें धरातलीय तरंगे भी कहा जाता है | ये अत्यधिक प्रभावशाली तरंगे हैं तथा उपरी भाग को प्रभावित करती हैं | इनकी गति अत्यंत धीमी होती हैं तथा इनका प्रभाव सर्वाधिक विनाशकारी होता है |

Earthquake: भूकंप का भौगोलिक वितरण

विश्व में भूकंप का वितरण उन्हीं क्षेत्रो से सम्बंधित है जो भूगर्भिक रूप से कमजोर एवं अव्यवस्थित हैं | विश्व में भूकंप की प्रमुख तीन पेटियां निम्नलिखित हैं –

प्रशांत महासागरीय तटीय पेटी – इसे परिप्रशांत मेखला भी कहा जाता है | यह विश्व का सर्वाधिक विस्तृत भूकंप क्षेत्र है यहाँ विश्व के 63 प्रतिशत भूकंप आते हैं | चिली , केलिफोर्निया , अलास्का जापान , फिलिपिन्स न्यू जीलैंड के भूकंप |

मध्य महाद्वीपीय पेटी – इस पेटी में विश्व के 21 प्रतिशत भूकंप आते हैं | यह प्लेट अभिसरण का क्षेत्र है एवं यहाँ आने वाले अधिकांश भूकंप संतुलन मूलक  है | यह केप वर्ड से शुरू होकर अटलांटिक एवं भूमध्य सागर को पार करके आल्प्स , काकेशश , हिमालय से होते हुए दक्षिण की ओर मुड जाती है | भारत के भूकंप क्षेत्र इसी पेटी के अंतर्गत आते हैं | मध्य अटलांटिक पेटी – यह मध्य अटलांटिक कटक में आइस लैंड से लेकर दक्षिण में बोवेट द्वीप  तक विस्तृत है | यहाँ कम तीव्रता के भूकंप आते हैं ये संतुलनकारी एवं रूपांतर प्रकृति के होते हैं |


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