Continental Drift Theory NET UPSC | वेगनर का महाद्वीपीय प्रवाह सिद्धांत
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Continental Drift Theory NET UPSC. वेगनर से पूर्व एफ बी टेलर ने महादिपीय प्रवाह की बात कही थी | किन्तु इस दिशा में पहला महत्वपूर्ण प्रयास वेगनर महोदय का रहा जिन्होंने अपने सिद्धांत के पक्ष में महत्वपूर्ण प्रमाण दिए एवं प्लेट टेकटोनिक जैसे महत्वपूर्ण सिद्धांतो कि राह प्रशस्त की |
Continental Drift Theory NET UPSC | सामान्य परिचय
अल्फ्रेड वेगनर – जर्मन विद्वान मूलतः जलवायुवेत्ता |
इनका उद्देश्य – महासागरीय तली एवं महाद्वीपों कि स्थिरता का खंडन करना एवं जलवायु परिवर्तनों कि व्याख्या करना |
एक ही स्थान पर जलवायु में समय समय पर परिवर्तन जिसके पीछे दो संभावनाए या तो जलवायु कटिबंध गतिशील या फिर स्थल भाग गतिशील |
प्रवाह का सुझाव अंतोनियो स्नाइडर जिगसा फिट – बेकन |
Continental Drift Theory NET UPSC | सिद्धांत का प्रधान रूप-
- कार्बोनिफेरस काल में सभी महाद्वीप एक स्थल भाग के रूप मे | इस विशाल महाद्वीप का नाम पेंजिया| इसके चारो तरफ विशाल जलराशि – पेंथालासा |
- पेंजिया का उत्तरी भाग लौरेंसिया अथवा अन्गारालेंड एवं दक्षिणी भाग गोंडवाना लैंड |
- पेंजिया की तीन परतें सियाल सीमा एवं निफे
- सियाल बिना किसी रुकावट के सीमा पर तैर रहा था
- दक्षिणी ध्रुव इस समय डर्बन के पास
- बाद में पेंजिया का विभाजन एवं महाद्वीपों तथा महासागरों का वर्तमान स्वरुप अस्तित्व में |
सिद्धांत के पक्ष में प्रमाण
- आंध्र महासागर के दोनों तटो में भौगोलिक साम्य(जिगसा फिट )
- दोनों तटो के केलिडोनियनएवं हरसिनियन पर्वातिकरण में समानता
- दोनों तटो के भूवैज्ञानिक संरचना में साम्य
- दोनों तटो पर चट्टानों में जीवावशेष एवं गेल्सोप्टेरस वनस्पति के अवशेष में समानता
- गोंडवाना के तटवर्ती क्षेत्रों में प्लेसर निक्षेप में समानता
- कार्बोनिफेरस हिमानिकरण का प्रभाव ब्राजील फोकलैंड आस्ट्रलिया प्रायद्वीपीय भारत दक्षिणी अफ्रीका में
प्रवाह सम्बन्धी बल-
- उत्तर कि ओर- गुरुत्व बल या प्लवनशीलता के कारण
- पश्चिम कि ओर-सूर्य व चन्द्रमा का ज्वारीय बल
महाद्वीपों एवं महासागरो का वर्तमान स्वरुप
- दोनों अमेरिका का पश्चिम कि ओरप्रवाह अटलांटिक महासागर अस्तित्व में
- आस्ट्रेलिया एवं भारत का उत्तर पूर्व कि ओर प्रवाह हिन्द महासागर अस्तित्व में
- पेंथालासा का अवशेष – प्रशांत महासागर
- स्थल एवं जल का वर्तमान स्वरुप प्लायोसिन युग तक पूर्ण
पर्वतों का निर्माण
- दोनों अमेरिका का पश्चिम कि तरफ प्रवाह सियाल द्वारा सीमा पर रुकावट पैदा करने से रोकीज एवं एंडीज का निर्माण
- इसी प्रकार हिमालय एवं अल्पाइन पर्वत श्रेणियों कि रचना
- द्वीपीय चाप की उत्पत्ति – महाद्वीपों के प्रवाह में शिथिलता – पीछे छुटा भाग द्वीप – सखालिन , जापान, कुराइल आदि |