Certificate Physical and Human Geography written by Goh Cheng Leon. जी सी लियोंग भूगोल की एक लोकप्रिय पुस्तक है। इसका प्रकाशन आॅक्सफोर्ड प्रकाशन द्वारा किया जा रहा है। यह सिविल सेवा परीक्षा के अभ्यर्थियों हेतु सामान्य ज्ञान के पेपर एवं आप्शनल पेपर दोनों की तैयारी हेतु समान रूप से उपयोगी है।भूगोल विषय से नेट एवं जेआरएफ की तैयारी कर रहे अभ्यर्थियों हेतु भी यह समान रूप से उपयोगी है।इस पुस्तक का प्रकाशन Certificate Physical and Human Geography written by Goh Cheng Leong के नाम से किया जा रहा है।
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G C LEONG GEOGRAPHY. Certificate Physical and Human Geography written by Goh Cheng Leon | विषय सूची
G C LEONG GEOGRAPHY पुस्तक की विषय सूची को दो मुख्य भागों में बांटा गया है।
भौतिक भूगोल(PHYSICAL GEOGRAPHY)
मौसम, जलवायु और वनस्पति(WEATHER, CLIMATE AND VEGETATION)
G C LEONG GEOGRAPHY भौतिक भूगोल(PHYSICAL GEOGRAPHY)
G C LEONG GEOGRAPHY इस भाग में कुल 12 यूनिट हैं। जिनमें पृथ्वी एवं ब्रह्मांड , पृथ्वी की क्रस्ट, भूकंप एवं ज्वालामुखी , अपक्षय वृहद संचलन एवं भूमिगत जल, नदीय ,हिमानी, शुष्क , चूना पत्थर एवं तटीय स्थलाकृतियां, झीलें, कोरल रीफ एवं महासागरों का सारगर्भित वर्णन दिया गया है।
G C LEONG GEOGRAPHY मौसम, जलवायु और वनस्पति(WEATHER, CLIMATE AND VEGETATION)
G C LEONG GEOGRAPHY इस भाग में 13 से 25 तक कुल 13 यूनिट हैं। जिनमें मौसम, जलवायु, उष्ण आर्द्र भूमध्यरेखीय जलवायु, सवाना/सूडान जलवायु, उष्ण एवं मध्य आक्षांश मरूस्थलीय जलवायु, भूमध्यसागरीय जलवायु , स्टेपी जलवायु, चीन तुल्य जलवायु , ब्रिटिश तुल्य जलवायु , साईबेरियन जलवायु, लारेंशियन जलवायु एवं ध्रुवीय जलवायु का सारगर्भित वर्णन दिया गया है।
G C LEONG GEOGRAPHY BOOK in Hindi
G C LEONG GEOGRAPHY इस पुस्तक का प्रकाशन अभी तक केवल अंग्रेजी भाषा में की किया जा रहा है। इसका हिंदी संस्करण अभी तक प्रकाशित नहीं किया गया है।
Geography Optional Syllabus UPSC. यूपीएससी सिविल सेवा मुख्य परीक्षा हेतु कुल 26 वैकल्पिक विषय उपलब्ध हैं जिनमें से भूगोल एक लोकप्रिय विषय है। मुख्य परीक्षा में भूगोल के दो प्रश्न पत्र होते हैं प्रत्येक का भारांक 200 अंक होता है। प्रथम प्रश्न पत्र में भौतिक भूगोल एवं मानव भूगोल जबकि द्वितीय प्रश्न पत्र में भारत के भूगोल एवं करंट के संबंध में प्रश्न पूछे जाते हैं। विस्तृत पाठ्यक्रम संघ लोक सेवा आयोग की आधिकारिक वेबसाइट https://www.upsc.gov.in/ से डाउनलोड किया जा सकता है
Geography Optional Syllabus UPSC: भूगोल का पाठ्यक्रम
प्रश्न पत्र- 1
भूगोल के सिद्धांत
प्राकृतिक भूगोल
भू -आकृति विज्ञान : भू -आकृति विकास के नियंत्रक कारण; अंतर्जात एवं बहिर्जात बल: भू -पर्पटी का उद्गम एवं विकास: भू-चुंबकत्व के मूल सिद्धांत: पृथ्वी के अंतरंग की प्राकृतिक दशाएं।भू-अभिनतिः महाद्वीपीय विस्थापनः समस्थितिः प्लेट विवर्तनिकीः पर्वतोत्पति अभिनव विचार: ज्वालामुखी: भूकम्प एवं सुनामी: भू- आकृतिक चक्र एवं दृश्यभूमि विकास की संकल्पनाएं, अनाच्छादन कालानुक्रमः जलमार्ग आकृतिक विज्ञान: अपरदन पृष्ठः प्रवणता विकास: अनुप्रयुक्त भू- आकृति विज्ञान: भू- जल विज्ञान, आर्थिक भू- विज्ञान एवं पर्यावरण।
जलवायु विज्ञान:विश्व के ताप एवं दाब कटिबंध, पृथ्वी का तापीय बजट: वायुमंडल परिसंचरण, वायु मंडल स्थिरता एवं अनस्थिरता, भू- मंडलीय एवं स्थानीय पवन: मानसून एवं जेट प्रवाहः वायु राशि एवं वाताग्रजननः शीतोष्ण एवं उष्णकटिबंधीय चक्रवात : वर्षण के प्रकार एवं वितरण : मौसम एवं जलवायु : कोपेन, थॉर्नवेट एवं त्रैवार्धा का विश्व जलवायु परिवर्तन में मानव की भूमिका एवं अनुक्रिया, अनुप्रयुक्त जलवायु विज्ञान एवं नगरी जलवायु ।
समुद्र विज्ञान: अटलांटिक, हिंद एवं प्रशांत महासागरों की तलीय स्थलाकृति : महासागरों का ताप एवं लवणता : उष्मा एवं लवण बजट, महासागरी निक्षेप : तरंग धाराएं एवं ज्वार भाटा : समुद्रीय संसाधन जीवीय, खनिज एवं ऊर्जा संसाधन, प्रवाल भित्तियां : प्रवाल विरंजन : समुद्र परिवर्तन : समुद्र नियम एवं समुद्री प्रदूषण ।
जीव भूगोल :मृदाओं की उत्पति, मृदाओं का वर्गीकरण एवं वितरण : मृदा परिच्छेदिका : मृदा अपरदन : न्यूनीकरण एवं संरक्षण : पादप एवं जन्तुओं के वैश्यिक वितरण को प्रभावित करने वाले कारक : वन अपरोपण की समस्याएं एवं संरक्षण के उपाय : सामाजिक वानिकी : कृषि वानिकी : वन्य जीवन: प्रमुख जीन पूल केंद्र।
पर्यावरणीय भूगोल :पारिस्थितिकी के सिद्धांत : मानव पारिस्थितिक अनुकूलन : परिस्थितिकी एवं पर्यावरण पर मानव का प्रभाव: वैश्विक एव क्षेत्रीय पारिस्थितिक परिवर्तन एवं असंतुलन: पारितंत्र उनका प्रबंधन एवं संरक्षण: पर्यावरणीय निम्नीकरण, प्रबंध एवं संरक्षण: जैव विविधता एवं संपोषण विकास: पर्यावरणीय शिक्षा एवं विधान |
Geography Optional Syllabus UPSC: मानव भूगोल :
मानव भूगोल में संदर्श : क्षेत्रीय विभेदन; प्रादेशिक संश्लेषण, द्विभाजन एवं द्वैतवाद: पर्यावरणवाद; मात्रात्मक क्रांति एवं अवस्थिति विश्लेषण; उग्रसुधार, व्यावहारिक, मानवीय एवं कल्याण उपागमः भाषाएं, धर्म एवं निरपेक्षीकरण; विश्व के सांस्कृतिक प्रदेश ; मानव विकास सूचक।
आर्थिक भूगोल : विश्व आर्थिक विकास : माप एवं समस्याएं; विश्व संसाधन एवं उनका वितरण, ऊर्जा संकट : संवृद्धि की सीमाएं; विश्व कृषि : कृषि प्रदेशों की प्रारूपता : कृषि निवेश एवं उत्पादकता; खाद्य एवं पोषण समस्याएं; खाद्य सुरक्षा; दुर्भिक्ष कारण, प्रभाव एवं उपचार, विश्व उद्योग, अवस्थानिक प्रतिरूप एवं समस्याएं; विश्व व्यापार के प्रतिमान |
जनसंख्या एवं बस्ती भूगोल : विश्व जनसंख्या की वृद्धि और वितरण; जनसांख्यिकी गुण, प्रवासन के कारण एवं परिणाम; अतिरेक- अल्प एवं अनुकूलतम जनसंख्या की संकल्पनाएं; जनसंख्या के सिद्धांत; विश्व जनसंख्या समस्याएं और नीतियां; सामाजिक कल्याण एवं जीवन गुणवत्ता; सामाजिक पूंजी के रूप में जनसंख्या, ग्रामीण बस्तियों के प्रकार एवं प्रतिरूप; ग्रामीण बस्तियों के पर्यावरणीय मुद्दे, नगरीय बस्तियों का पदानुक्रम; नगरीय आकारिकी; प्रमुख शहर एवं श्रेणी आकार प्रणाली की संकल्पना; नगरों का प्रकार्यात्मक वर्गीकरण: नगरीय प्रभाव क्षेत्र; ग्राम नगर उपांत; अनुषंगी नगर, नगरीकरण की समस्याएं एवं समाधान; नगरों का संपोषणीय विकास |
प्रादेशिक आयोजन : प्रदेश की संकल्पना; प्रदेशों के प्रकार एवं प्रदेशीकरण की विधियां : वृद्धि केन्द्र तथा वृद्धि ध्रुवः प्रादेशिक असंतुलन, प्रादेशिक विकास कार्यनीतियां; प्रादेशिक आयोजना में पर्यावरणीय मुद्दे संपोषणीय विकास के लिए आयोजना |
मानव भूगोल में मॉडल, सिद्धांत एवं नियम : मानव भूगोल में प्रणाली विश्लेषण; माल्थस का, मार्क्स का और जनसांख्यिकीय संक्रमण मॉडल: क्रिस्टावर एवं लॉश का केन्द्रीय स्थान सिद्धांत; पेरू एवं बूदेविए; वॉन थूनेन का कृषि अवस्थान मॉडल; वेबर का औद्योगिक अवस्थान मॉडल, ओस्तोव का वृद्धि अवस्था माडल; अंत: भूमि एवं बहि: भूमि सिद्धांत; अंतर्राष्ट्रीय सीमाएं एवं सीमांत क्षेत्र के नियम ।
Geography Optional Syllabus UPSC: प्रश्न पत्र -2
Geography Optional Syllabus UPSC: भारत का भूगोल
भौतिक विन्यास : पड़ोसी देशों के साथ भारत का अंतरिक्ष संबंध; संरचना एवं उच्चावच; अपवाह तंत्र एवं जल विभाजक; भू-आकृतिक प्रदेश; भारतीय मानसून एवं वर्षा प्रतिरूपः ऊष्णकटिबंधीय चक्रवात एवं पश्चिमी विक्षोभ की क्रिया विधि; बाढ़ एवं अनावृष्टिः जलवायवी प्रदेश, प्राकृतिक वनस्पतिः मृदा प्रकार एवं उनका वितरण |
संसाधन : भूमि, सतह एवं भौमजल, ऊर्जा, खनिज, जीवीय एवं समुद्री संसाधन, वन एवं वन्य जीवन संसाधन एवं उनका संरक्षण, ऊर्जा संकट |
कृषि : अवसंरचनाः सिंचाई, बीज, उर्वरक, विद्युत; संस्थागत कारक: जोत भू-धारण एवं भूमि सुधारः शस्यन प्रतिरूप, कृषि उत्पादकता, कृषि प्रकर्ष, फसल संयोजन, भूमि क्षमता, कृषि एवं सामाजिक वानिकी; हरित क्रांति एवं इसकी सामाजिक आर्थिक एवं पारिस्थितिक विवक्षा, वर्षाधीन खेती का महत्व; पशुधन संसाधन एवं श्वेत क्रांति: जल कृषि; रेशम कीटपालन, मधुमक्खी पालन एवं कुक्कुट पालन, कृषि प्रादेशीकरण, कृषि जलवायवी क्षेत्र; कृषि पारिस्थितिक प्रदेश |
उद्योग : उद्योगों का विकास कपास, जूट, वस्त्रोद्योग, लोह एवं इस्पात, अलुमिनियम, उर्वरक, कागज, रसायन एवं फार्मास्युटिकल्स, आटोमोबाइल, कुटीर एवं कृषि आधारित उद्योगों के अवस्थिति कारक, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों सहित औद्योगिक घराने एवं संकुल; औद्योगिक प्रादेशीकरण, नई औद्योगिक नीतियां; बहुराष्ट्रीय कंपनियां एवं उदारीकरण, विशेष आर्थिक क्षेत्र; पारिस्थितिकी पर्यटन समेत पर्यटन ।
परिवहन, संचार एवं व्यापार : सड़क, रेलमार्ग, जलमार्ग, हवाई मार्ग एवं पाइपलाइन, नेटवर्क एवं प्रादेशिक विकास में उनकी पूरक भूमिका, राष्ट्रीय एवं विदेशी व्यापार वाले पतनों का बढ़ता महत्व, व्यापार संतुलन, व्यापार नीति, निर्यात प्रकमण क्षेत्र; संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी में आया विकास और अर्थव्यवस्था तथा समाज पर उनका प्रभाव; भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम |
सांस्कृतिक विन्यास : भारतीय समाज का ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य ; प्रजातीय, भाषिक एवं नृजातीय विविधताएं; धार्मिक अल्पसंख्यक, प्रमुख जनजातियां, जनजातियां क्षेत्र तथा उनकी समस्याएं, सांस्कृतिक प्रदेश: जनसंख्या की संवृद्धि, वितरण एवं घनत्व: जनसांख्यिकीय गुणः लिंग अनुपात, आयु संरचना, साक्षरता दर, कार्यबल, निर्भरता अनुपात, आयुकाल: प्रवासन (अंतः प्रादेशिक, प्रदेशांतर तथा अंतर्राष्ट्रीय) एवं इससे जुड़ी समस्याएं, जनसंख्या समस्याएं एवं नीतियां, स्वास्थ्य सूचक |
बस्ती : ग्रामीण बस्ती के प्रकार, प्रतिरूप तथा आकारिकी; नगरीय विकास; भारतीय शहरों की आकारिकी; भारतीय शहरों का प्रकार्यात्मक वर्गीकरण; सत्रनगर एवं महानगरीय प्रदेश ; नगर स्वप्रसार गंदी बस्ती एवं उससे जुड़ी समस्याएं; नगर आयोजना; नगरीकरण की समस्या एवं उपचार ।
प्रादेशिक विकास एवं आयोजना : भारत में प्रादेशिक आयोजना का अनुभव; पंचवर्षीय योजनाएं; समन्वित ग्रामीण विकास कार्यक्रमः पंचायती राज एवं विकेंद्रीकृत आयोजना; कमान क्षेत्र विकास, जल विभाजन प्रबंध; पिछड़ा क्षेत्र, मरुस्थल, अनावृष्टि प्रबण, पहाड़ी, जनजातीय क्षेत्र विकास के लिए आयोजना; बहुस्तरीय योजना ; प्रादेशिक योजना एवं द्वीप क्षेत्रों का विकास।
राजनैतिक परिप्रेक्ष्य :भारतीय संघवाद का भौगोलिक आधार; राज्य पुनर्गठन, नए राज्यों का आविर्भाव; प्रादेशिक चेतना एवं अंतर्राज्य मुद्दे; भारत की अंतर्राष्ट्रीय सीमा और संबंधित मुद्दे: सीमापार आतंकवाद, वैश्विक मामलों में भारत की भूमिका, दक्षिण एशिया एवं हिंद महासागर परिमंडल की भू-राजनीति |
Geography Optional Syllabus UPSC: समकालीन मुद्दे : पारिस्थितिक मुद्दे पर्यावरणीय संकट: भू-स्खलन, भूकंप, सुनामी, बाढ़ एवं अनावृष्टि, महामारी, पर्यावरणीय प्रदूषण से संबंधित मुद्दे, भूमि उपयोग के प्रतिरुप में बदलाव, पर्यावरणीय प्रभाव आकलन एवं पर्यावरण प्रबंधन के सिद्धांत; जनसंख्या विस्फोट एवं खाद्य सुरक्षा, पर्यावरणीय निम्नीकरण, वनोन्मूलन, मरुस्थलीकरण एवं मृदा अपरदन, कृषि एवं औद्योगिक अशांति की समस्याएं ,आर्थिक विकास में प्रादेशिक असमानताएं; संपोषणीय वृद्धि एवं विकास की संकल्पना, पर्यावरणीय संचेतना; नदियों का सहवर्धन भूमंडलीकरण एवं भारतीय अर्थव्यवस्था ।
UPSC CIVIL SERVICES EXAMINATION CUT OFF | The UPSC exam refers to the Civil Services Examination conducted by the Union Public Service Commission (UPSC) in India. It is a highly competitive examination held annually to select candidates for various civil service positions in the Indian Administrative Service (IAS), Indian Foreign Service (IFS), Indian Police Service (IPS), and other central services.
The exam consists of three stages: the Preliminary Examination, the Main Examination, and the Personality Test (Interview). It assesses a candidate’s aptitude, knowledge, and skills in a wide range of subjects and is known for its rigorous selection process.
UPSC CIVIL SERVICES EXAMINATION CUT OFF
The UPSC cut-off marks are of significant importance in the Civil Services Examination. Here are a few reasons why:
Selection of Candidates: The cut-off marks determine which candidates qualify for the next stage of the examination. Only those who score above the cut-off are eligible to appear for the Main Examination and the subsequent stages.
Competition Level: The cut-off marks reflect the level of competition in the exam. The UPSC exam is highly competitive, and the cut-off serves as a benchmark that indicates the minimum standard required to qualify.
Merit-based Selection: The cut-off ensures a fair and merit-based selection process. It helps in identifying the most deserving candidates based on their performance rather than arbitrary selection.
Category-wise Allocation: The UPSC exam has separate cut-off marks for different categories (General, OBC, SC, ST, etc.). This ensures fair representation and reservation as per the government norms.
Eligibility for Services: The cut-off marks determine whether a candidate is eligible for the desired service or not. Different services have their own specific cut-off requirements, and candidates must meet the prescribed criteria to be considered for those services.
Overall, the cut-off marks play a crucial role in determining the success of candidates in the UPSC examination and the subsequent allocation of services. Cut off is available on official website of UPSC .