UGC NET 2024 Cancelled: UGC NET परीक्षा रद्द क्यों हुई: जानिए पूरा मामला

UGC NET 2024 Cancelled: हाल ही में UGC NET परीक्षा के दूसरे दिन, इसे अचानक रद्द कर दिया गया। यह फैसला कई छात्रों के लिए आश्चर्यजनक और चिंता का विषय बना हुआ है। यहाँ हम इस फैसले के पीछे के कारणों और इसके नतीजों पर एक नजर डालते हैं।

UGC NET 2024 Cancelled: UGC NET परीक्षा क्या है?

UGC NET 2024 Cancelled: UGC NET, यानी विश्वविद्यालय अनुदान आयोग राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा, एक प्रमुख परीक्षा है जो भारत में प्रोफेसर और जूनियर रिसर्च फेलोशिप (JRF) के लिए उम्मीदवारों की पात्रता निर्धारित करती है। यह परीक्षा राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (NTA) द्वारा आयोजित की जाती है।

UGC NET 2024 Cancelled: परीक्षा क्यों रद्द की गई?

UGC NET 2024 Cancelled: रिपोर्ट्स के अनुसार, कुछ परीक्षा केंद्रों पर तकनीकी दिक्कतों और पेपर लीक जैसी गंभीर समस्याओं के चलते परीक्षा को रद्द करना पड़ा। छात्रों ने सोशल मीडिया पर इस संबंध में शिकायतें की थीं, जिससे परीक्षा की पारदर्शिता और निष्पक्षता पर सवाल उठे।

UGC NET 2024 Cancelled: NTA का क्या कहना है?

UGC NET 2024 Cancelled: NTA ने बयान जारी कर कहा कि वे परीक्षा के दौरान उत्पन्न हुई तकनीकी दिक्कतों और अन्य समस्याओं की जांच कर रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि परीक्षा की नई तारीखें जल्द ही घोषित की जाएंगी और छात्रों को उचित समय पर सूचित किया जाएगा।

UGC NET 2024 Cancelled: छात्रों की प्रतिक्रिया

UGC NET 2024 Cancelled: छात्र इस स्थिति से काफी निराश और परेशान हैं। कई छात्रों ने अपनी तैयारियों और मेहनत को देखते हुए इस फैसले को अनुचित बताया है। उनके अनुसार, परीक्षा के रद्द होने से उनके भविष्य पर असर पड़ सकता है।

UGC NET 2024 Cancelled: आगे का रास्ता

UGC NET 2024 Cancelled: NTA ने छात्रों को आश्वासन दिया है कि वे जल्द ही नई तारीखों की घोषणा करेंगे और सुनिश्चित करेंगे कि अगली परीक्षा पूरी तरह से पारदर्शी और निष्पक्ष हो। छात्रों को सलाह दी गई है कि वे अपनी तैयारी जारी रखें और आधिकारिक घोषणाओं का इंतजार करें।

इस प्रकार, UGC NET परीक्षा के रद्द होने के पीछे तकनीकी समस्याएं और पेपर लीक जैसी गंभीर चिंताएं हैं। छात्रों को उम्मीद है कि NTA जल्द ही इस समस्या का समाधान निकालकर एक नई और पारदर्शी परीक्षा का आयोजन करेगा।

Spykmans Rimland Theory: रिमलैंड सिद्धांत

Spykmans Rimland Theory: रिमलैंड सिद्धांत, जो 20वीं सदी के मध्य में निकोलस स्पाइकमैन द्वारा प्रस्तावित किया गया था, भू-राजनीतिक अध्ययन में एक महत्वपूर्ण अवधारणा है। यह यूरेशिया के तटीय क्षेत्रों की रणनीतिक महत्ता पर जोर देता है, जिसे स्पाइकमैन ने “रिमलैंड” कहा, और तर्क दिया कि वैश्विक राजनीतिक शक्ति के लिए यह क्षेत्र महत्वपूर्ण है। आइए इस सिद्धांत पर गहराई से नज़र डालें:

Spykmans Rimland Theory रिमलैंड सिद्धांत के मुख्य विचार

  1. भू-राजनीतिक संदर्भ: स्पाइकमैन का मानना था कि रिमलैंड, जिसमें पश्चिमी यूरोप, मध्य पूर्व और एशिया के तटीय क्षेत्र शामिल हैं, वैश्विक शक्ति गतिशीलता के संदर्भ में सबसे महत्वपूर्ण क्षेत्र है। मैकिंडर के हार्टलैंड सिद्धांत के विपरीत, जो यूरेशिया के केंद्रीय भाग पर केंद्रित था, स्पाइकमैन का सिद्धांत यह मानता है कि रिमलैंड पर नियंत्रण वैश्विक प्रभुत्व के लिए महत्वपूर्ण है।
  2. रणनीतिक महत्ता: रिमलैंड हार्टलैंड (मध्य यूरेशिया) की स्थल शक्ति और बाहरी अर्धचंद्राकार (समुद्री राष्ट्र जैसे अमेरिका और ब्रिटेन) की समुद्री शक्ति के बीच एक बफर जोन बनाता है। रिमलैंड पर नियंत्रण एक राष्ट्र को महाद्वीपीय और समुद्री दोनों मामलों में प्रभावी बनाता है।
  3. नियंत्रण नीति: स्पाइकमैन के विचार शीत युद्ध के दौरान महत्वपूर्ण थे और अमेरिकी नियंत्रण नीति को प्रभावित करते थे। सिद्धांत ने सुझाव दिया कि सोवियत संघ के रिमलैंड क्षेत्रों में विस्तार को रोकना शक्ति संतुलन बनाए रखने के लिए आवश्यक होगा।

Spykmans Rimland Theory तीन प्रमुख क्षेत्र

Spykmans Rimland Theory स्पाइकमैन ने रिमलैंड को तीन रणनीतिक क्षेत्रों में विभाजित किया:

  • पश्चिमी यूरोपीय तटीय क्षेत्र: जिसमें स्कैंडेनेविया से लेकर भूमध्यसागर तक के तटीय क्षेत्र शामिल हैं।
  • मध्य पूर्वी अर्धचंद्राकार: जिसमें अरब प्रायद्वीप से लेकर ईरान और भारत तक का क्षेत्र शामिल है।
  • एशियाई रिम: जिसमें दक्षिण और पूर्वी एशिया के तटीय क्षेत्र शामिल हैं।

Spykmans Rimland Theory इन क्षेत्रों में से प्रत्येक को वैश्विक स्थिरता और शक्ति संतुलन बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण माना गया।

Spykmans Rimland Theory हार्टलैंड सिद्धांत के साथ तुलना

  • हार्टलैंड सिद्धांत (हैलफोर्ड मैकिंडर): यूरेशिया के केंद्रीय भाग को एक धुरी क्षेत्र के रूप में मानता है, जहां नियंत्रण से विश्व द्वीप (यूरेशिया और अफ्रीका) पर प्रभुत्व प्राप्त किया जा सकता है।
  • रिमलैंड सिद्धांत: तटीय क्षेत्रों को अधिक महत्वपूर्ण मानता है क्योंकि उनके पास समुद्रों तक पहुंच है और महत्वपूर्ण जनसंख्या केंद्र हैं, जो आर्थिक और सैन्य शक्ति के लिए आवश्यक हैं।

Spykmans Rimland Theory रिमलैंड सिद्धांत के प्रभाव

  • शीत युद्ध रणनीति: सिद्धांत ने यूरेशिया के तटों के आसपास अमेरिकी गठबंधनों और सैन्य ठिकानों की रणनीति को प्रभावित किया ताकि सोवियत प्रभाव को रोका जा सके।
  • आधुनिक भू-राजनीति: रिमलैंड अवधारणा अभी भी प्रासंगिक है, विशेषकर यूएस-चीन संबंधों के संदर्भ में, जहां दक्षिण चीन सागर पर नियंत्रण और हिंद महासागर में प्रभाव को महत्वपूर्ण रणनीतिक उद्देश्यों के रूप में देखा जाता है।

Spykmans Rimland Theory निष्कर्ष

Spykmans Rimland Theory रिमलैंड सिद्धांत वैश्विक रणनीति में तटीय क्षेत्रों की महत्ता को रेखांकित करता है और यूरेशिया के किनारों की भू-राजनीतिक महत्वपूर्णता को दर्शाता है। इस सिद्धांत को समझने से अतीत और वर्तमान की भू-राजनीतिक रणनीतियों और संघर्षों पर मूल्यवान अंतर्दृष्टि मिलती है।

HeartLand Theory

HeartLand Theory: हार्टलैंड सिद्धांत(हृदय-स्थल सिद्धान्त)

Heartland Theory: हार्टलैंड सिद्धांत राजनीतिक भूगोल में एक महत्वपूर्ण अवधारणा है, जिसे 20वीं सदी की शुरुआत में सर हैलफोर्ड जॉन मैकिंडर ने प्रस्तुत किया था। इस सिद्धांत ने भू-राजनीतिक रणनीति और अंतर्राष्ट्रीय संबंधों पर गहरा प्रभाव डाला है, जिससे राष्ट्रों के शक्ति गतिशीलता और क्षेत्रीय नियंत्रण को समझने का तरीका प्रभावित हुआ है। इस ब्लॉग पोस्ट में, हम हार्टलैंड सिद्धांत की उत्पत्ति, सिद्धांतों और प्रभावों के साथ-साथ समकालीन भू-राजनीति में इसकी प्रासंगिकता की जांच करेंगे।

Heartland Theory:हार्टलैंड सिद्धांत की उत्पत्ति

Heartland Theory: ब्रिटिश भूगोलवेत्ता और शिक्षाविद् सर हैलफोर्ड मैकिंडर ने 1904 में अपने पेपर “द जियोग्राफिकल पिवट ऑफ हिस्ट्री”(The Geographical Pivot of History) में हार्टलैंड सिद्धांत प्रस्तुत किया। मैकिंडर का कार्य गहन साम्राज्यवादी प्रतिद्वंद्विता और वैश्विक अन्वेषण के दौर के दौरान सामने आया। उन्होंने यह समझाने का प्रयास किया कि भूगोलिक कारक राजनीतिक शक्ति और नियंत्रण को कैसे प्रभावित करते हैं।

Heartland Theory: हार्टलैंड सिद्धांत के मुख्य सिद्धांत

Heartland Theory: मैकिंडर का हार्टलैंड सिद्धांत “हार्टलैंड” की अवधारणा के इर्द-गिर्द केंद्रित है, जो यूरेशिया के एक केंद्रीय क्षेत्र को दर्शाता है जिसे उन्होंने वैश्विक प्रभुत्व की कुंजी माना। सिद्धांत को निम्नलिखित मुख्य सिद्धांतों के माध्यम से संक्षेपित किया जा सकता है:

  1. भूगोलिक धुरी:
    • मैकिंडर ने यूरेशिया के एक विशाल क्षेत्र को, जो पूर्वी यूरोप से साइबेरिया तक फैला हुआ है, “भूगोलिक धुरी” या हार्टलैंड के रूप में पहचाना।
    • उन्होंने तर्क दिया कि यह क्षेत्र अपने आकार, संसाधनों और रणनीतिक स्थान के कारण विश्व को नियंत्रित करने के लिए महत्वपूर्ण है।
  2. हार्टलैंड का नियंत्रण:
    • मैकिंडर के अनुसार, जो भी हार्टलैंड को नियंत्रित करता है, वह संसाधनों और रणनीतिक लाभ को कमांड करता है ताकि वह “वर्ल्ड-आइलैंड” (यूरेशिया और अफ्रीका) पर प्रभुत्व स्थापित कर सके।
    • यह केंद्रीय क्षेत्र समुद्री मार्ग से कम सुलभ है, जिससे यह नौसैनिक शक्तियों के लिए घुसपैठ करना कठिन और एक प्रमुख भूमि शक्ति के लिए इसके संसाधनों को सुरक्षित और उपयोग करना आसान हो जाता है।
  3. विश्व का प्रभुत्व:
    • मैकिंडर ने प्रसिद्ध रूप से कहा, “जो पूर्वी यूरोप पर शासन करता है वह हार्टलैंड को कमांड करता है; जो हार्टलैंड पर शासन करता है वह वर्ल्ड-आइलैंड को कमांड करता है; जो वर्ल्ड-आइलैंड पर शासन करता है वह विश्व को कमांड करता है।”
    • उनका मानना था कि हार्टलैंड पर नियंत्रण एक शक्ति को वैश्विक स्तर पर अपना प्रभाव प्रकट करने में सक्षम बनाएगा।

Heartland Theory: हार्टलैंड सिद्धांत के प्रभाव

Heartland Theory: हार्टलैंड सिद्धांत के 20वीं सदी के दौरान भू-राजनीतिक रणनीति पर गहरे प्रभाव पड़े:

  1. भू-राजनीतिक प्रतिद्वंद्विताएँ:
    • सिद्धांत ने प्रमुख शक्तियों की रणनीतिक सोच को प्रभावित किया, जिसमें नाजी जर्मनी और सोवियत संघ शामिल थे, दोनों ने हार्टलैंड पर नियंत्रण बढ़ाने की कोशिश की।
    • शीत युद्ध के दौरान, हार्टलैंड सोवियत संघ और पश्चिमी शक्तियों, विशेष रूप से संयुक्त राज्य अमेरिका, के बीच प्रतिद्वंद्विता का केंद्र था।
  2. नीति निर्माण:
    • पश्चिमी नीति निर्माताओं ने सोवियत प्रभाव को सीमित करने के लिए निवारक रणनीतियों और गठबंधनों को सही ठहराने के लिए हार्टलैंड सिद्धांत का उपयोग किया।
    • नाटो की स्थापना और मार्शल योजना आंशिक रूप से पूर्वी यूरोप और हार्टलैंड में सोवियत विस्तार को रोकने की इच्छा से प्रेरित थीं।
  3. भू-राजनीतिक सिद्धांत:
    • मैकिंडर का कार्य बाद के भू-राजनीतिक सिद्धांतों और विश्लेषणों की नींव बन गया, जिसमें स्पाईकमैन का रिमलैंड सिद्धांत भी शामिल है, जिसने हार्टलैंड के चारों ओर तटीय क्षेत्रों के महत्व पर जोर दिया।

Heartland Theory:समकालीन प्रासंगिकता

Heartland Theory:यद्यपि मैकिंडर के समय से भू-राजनीतिक परिदृश्य में काफी बदलाव आया है, हार्टलैंड सिद्धांत समकालीन भू-राजनीति में प्रासंगिक बना हुआ है:

  1. ऊर्जा संसाधन:
    • हार्टलैंड क्षेत्र ऊर्जा संसाधनों, जैसे तेल, प्राकृतिक गैस, और खनिजों से समृद्ध है। इन संसाधनों पर नियंत्रण आज भी वैश्विक शक्तियों के लिए एक रणनीतिक प्राथमिकता है।
    • मध्य एशिया में रूस का प्रभाव और यूक्रेन में उसके कार्यों को हार्टलैंड के हिस्सों पर नियंत्रण बनाए रखने के नजरिए से देखा जा सकता है।
  2. भू-राजनीतिक बदलाव:
    • चीन का वैश्विक शक्ति के रूप में उदय यूरेशिया पर नए सिरे से ध्यान केंद्रित कर रहा है। चीन की बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) हार्टलैंड के पार कनेक्टिविटी और आर्थिक एकीकरण को बढ़ाने का लक्ष्य रखती है, जिससे उसका प्रभाव बढ़ता है।
    • संयुक्त राज्य अमेरिका और उसके सहयोगी रूस और चीन के प्रभाव को संतुलित करने के लिए आर्थिक, सैन्य और राजनयिक साधनों के माध्यम से इस क्षेत्र में लगे हुए हैं।
  3. रणनीतिक गठबंधन:
    • हार्टलैंड सिद्धांत रणनीतिक गठबंधनों और साझेदारियों के महत्व को रेखांकित करता है। आधुनिक भू-राजनीतिक रणनीतियों में अक्सर महत्वपूर्ण क्षेत्रों में प्रभाव को सुरक्षित करने के लिए गठबंधनों का निर्माण और रखरखाव शामिल होता है।
    • हाल के दिनों में नाटो का सुदृढ़ीकरण, साथ ही क्वाड (संयुक्त राज्य अमेरिका, जापान, भारत, और ऑस्ट्रेलिया) जैसे साझेदारी, हार्टलैंड गतिशीलता के प्रबंधन में रणनीतिक सहयोग के निरंतर महत्व को दर्शाते हैं।

Heartland Theory: निष्कर्ष

Heartland Theory: सर हैलफोर्ड मैकिंडर द्वारा प्रस्तावित हार्टलैंड सिद्धांत राजनीतिक भूगोल और भू-राजनीति में एक मौलिक अवधारणा बनी हुई है। यूरेशिया के केंद्रीय क्षेत्र के रणनीतिक महत्व पर इसका जोर ऐतिहासिक और समकालीन भू-राजनीतिक रणनीतियों को आकार दिया है। जबकि वैश्विक परिदृश्य निरंतर विकसित हो रहा है, हार्टलैंड सिद्धांत के सिद्धांत अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में भूगोल के स्थायी महत्व की मूल्यवान अंतर्दृष्टि प्रदान करते हैं। इस सिद्धांत को समझना हमें वैश्विक शक्तियों के उद्देश्यों और कार्यों को समझने में मदद करता है क्योंकि वे 21वीं सदी की जटिल और आपस में जुड़ी दुनिया में नेविगेट करते हैं।

Demographic Transition Theory

Demographic Transition Theory: जनसांख्यिकीय संक्रमण सिद्धांत: थॉम्पसन और नोटेस्टीन

Demographic Transition Theory: जनसांख्यिकीय संक्रमण सिद्धांत जनसंख्या गतिशीलता और सामाजिक विकास को समझने में एक महत्वपूर्ण आधारशिला है। यह समय के साथ समाज की जनसंख्या संरचना के परिवर्तन को बताता है, जो जन्म और मृत्यु दर में परिवर्तनों से प्रभावित होता है। इस सिद्धांत को सबसे पहले वॉरेन थॉम्पसन ने 1929 में विकसित किया था और बाद में 20वीं सदी के मध्य में फ्रैंक डब्ल्यू. नोटेस्टीन द्वारा परिष्कृत किया गया। इस ब्लॉग पोस्ट में थॉम्पसन और नोटेस्टीन द्वारा प्रस्तावित जनसांख्यिकीय संक्रमण सिद्धांत के मुख्य पहलुओं को समझाया गया है, इसके महत्व और प्रभावों पर प्रकाश डाला गया है।

Demographic Transition Theory: जनसांख्यिकीय संक्रमण सिद्धांत की उत्पत्ति

Demographic Transition Theory: वॉरेन थॉम्पसन का योगदान

Demographic Transition Theory: वॉरेन थॉम्पसन, एक अमेरिकी जनसांख्यिकीविद्, ने पहली बार 1929 में अपनी पुस्तक “पॉप्युलेशन” में जनसांख्यिकीय संक्रमण की अवधारणा प्रस्तुत की। उन्होंने कई देशों के जनसांख्यिकीय पैटर्न का अवलोकन किया और उन्हें जनसंख्या वृद्धि के रुझानों के आधार पर तीन विशिष्ट समूहों में विभाजित किया:

  1. समूह ए: ऐसे देश जिनमें जन्म और मृत्यु दर में गिरावट हो रही है, जिसके परिणामस्वरूप जनसंख्या वृद्धि कम है (जैसे उत्तरी और पश्चिमी यूरोप)।
  2. समूह बी: ऐसे देश जिनमें उच्च जन्म दर है लेकिन मृत्यु दर में गिरावट हो रही है, जिससे जनसंख्या तेजी से बढ़ रही है (जैसे दक्षिणी और पूर्वी यूरोप)।
  3. समूह सी: ऐसे देश जिनमें उच्च जन्म और मृत्यु दर है, जिसके परिणामस्वरूप जनसंख्या वृद्धि स्थिर या धीमी है (जैसे कम विकसित क्षेत्र)।

Demographic Transition Theory: थॉम्पसन के अवलोकनों ने यह समझने की नींव रखी कि जनसंख्या कैसे समय के साथ सामाजिक-आर्थिक परिवर्तनों के जवाब में विकसित होती है।

Demographic Transition Theory: फ्रैंक डब्ल्यू. नोटेस्टीन का परिष्करण

Demographic Transition Theory: 1940 और 1950 के दशकों में, फ्रैंक डब्ल्यू. नोटेस्टीन ने थॉम्पसन के काम का विस्तार और परिष्करण किया। उन्होंने जनसांख्यिकीय संक्रमण के लिए एक अधिक विस्तृत और व्यवस्थित ढांचा प्रस्तावित किया, जिसमें चार विशिष्ट चरण शामिल थे:

  1. पूर्व संक्रमण चरण: उच्च जन्म और मृत्यु दर की विशेषता, जिसके परिणामस्वरूप स्थिर और निम्न जनसंख्या वृद्धि होती है। इस चरण में समाजों में स्वास्थ्य देखभाल और शिक्षा की सीमित पहुंच होती है, और बीमारियों और खराब जीवन परिस्थितियों के कारण उच्च मृत्यु दर होती है।
  2. प्रारंभिक संक्रमण चरण: मृत्यु दर में गिरावट जबकि जन्म दर उच्च बनी रहती है। इससे जनसंख्या तेजी से बढ़ती है। स्वास्थ्य देखभाल, स्वच्छता और खाद्य आपूर्ति में सुधार मृत्यु दर में कमी में योगदान करते हैं।
  3. विलंबित संक्रमण चरण: जन्म दर में गिरावट शुरू होती है, जो कम हुई मृत्यु दर के करीब पहुंचती है। जनसंख्या वृद्धि दर धीमी होने लगती है। इस चरण को अक्सर महिलाओं के लिए शिक्षा की बढ़ती पहुंच और गर्भनिरोधक के अधिक उपयोग से जोड़ा जाता है।
  4. पोस्ट-ट्रांजिशन स्टेज: जन्म और मृत्यु दर दोनों ही कम होती हैं, जिसके परिणामस्वरूप स्थिर और निम्न जनसंख्या वृद्धि होती है। इस चरण में समाज आम तौर पर उच्च जीवन स्तर, उन्नत स्वास्थ्य देखभाल और व्यापक शैक्षिक अवसरों का आनंद लेते हैं।

Demographic Transition Theory: जनसांख्यिकीय संक्रमण को प्रभावित करने वाले कारक

Demographic Transition Theory: जनसांख्यिकीय संक्रमण विभिन्न सामाजिक-आर्थिक और सांस्कृतिक कारकों से प्रभावित होता है:

  • आर्थिक विकास: जैसे-जैसे देश औद्योगीकृत होते हैं और आर्थिक रूप से विकसित होते हैं, वे स्वास्थ्य देखभाल, पोषण और जीवन स्तर में सुधार का अनुभव करते हैं, जिससे मृत्यु दर कम होती है।
  • शिक्षा: विशेष रूप से महिलाओं के लिए शिक्षा की बढ़ती पहुंच जन्म दर को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। शिक्षित महिलाएं आम तौर पर कम बच्चे पैदा करती हैं और गर्भनिरोधक का अधिक उपयोग करती हैं।
  • शहरीकरण: ग्रामीण से शहरी जीवन में बदलाव अक्सर छोटे परिवारों का परिणाम होता है, शहरी क्षेत्रों में जीवन यापन की उच्च लागत और विभिन्न जीवनशैली विकल्पों के कारण।
  • स्वास्थ्य देखभाल में सुधार: चिकित्सा प्रौद्योगिकी और स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं में प्रगति मृत्यु दर, विशेष रूप से शिशु और मातृ स्वास्थ्य में कमी करती है।
  • सांस्कृतिक परिवर्तन: समय के साथ परिवार के आकार, लिंग भूमिकाओं और प्रजनन विकल्पों के प्रति समाज के दृष्टिकोण में बदलाव जन्म दर को प्रभावित करता है।

Demographic Transition Theory: जनसांख्यिकीय संक्रमण के निहितार्थ

Demographic Transition Theory: जनसांख्यिकीय संक्रमण को समझना नीति निर्माताओं और योजनाकारों के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि इसके आर्थिक विकास, सामाजिक सेवाओं और पर्यावरणीय स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण प्रभाव हैं:

  • आर्थिक प्रभाव: प्रारंभिक और विलंबित संक्रमण चरणों में देश एक “जनसांख्यिकीय लाभांश” का अनुभव कर सकते हैं, जहां एक बड़ी कामकाजी उम्र की आबादी आर्थिक विकास का समर्थन करती है। हालाँकि, उन्हें नौकरी सृजन और संसाधन आवंटन से संबंधित चुनौतियों का भी सामना करना पड़ सकता है।
  • सामाजिक सेवाएँ: जैसे-जैसे जनसंख्या पोस्ट-ट्रांजिशन चरण में वृद्ध होती है, बुजुर्गों का समर्थन करने के लिए स्वास्थ्य देखभाल, पेंशन और अन्य सामाजिक सेवाओं की मांग बढ़ जाती है।
  • पर्यावरण संबंधी चिंताएँ: प्रारंभिक संक्रमण चरण में तेजी से जनसंख्या वृद्धि प्राकृतिक संसाधनों पर दबाव डाल सकती है और पर्यावरणीय क्षरण में योगदान दे सकती है। इन प्रभावों को कम करने के लिए सतत विकास प्रथाएँ महत्वपूर्ण हैं।

Demographic Transition Theory: निष्कर्ष

Demographic Transition Theory: थॉम्पसन और नोटेस्टीन द्वारा व्यक्त जनसांख्यिकीय संक्रमण सिद्धांत यह समझने के लिए एक व्यापक ढांचा प्रदान करता है कि समय के साथ जनसंख्या कैसे बदलती है। यह सामाजिक-आर्थिक विकास और जनसांख्यिकीय पैटर्न के बीच परस्पर क्रिया को उजागर करता है, जो जनसंख्या परिवर्तन के साथ उत्पन्न होने वाली चुनौतियों और अवसरों को संबोधित करने के लिए मूल्यवान अंतर्दृष्टि प्रदान करता है। जैसे-जैसे देश जनसांख्यिकीय संक्रमण के विभिन्न चरणों से गुजरते हैं, सतत और समावेशी विकास सुनिश्चित करने के लिए सूचित नीतियां और रणनीतियाँ आवश्यक हैं।

Central Place Theory

Central Place Theory: क्रिस्टालर का केंद्रीय स्थल सिद्धांत: एक संक्षिप्त परिचय

Central Place Theory: अधिवासों के संगठन और उनके बीच के संबंधों को समझने के लिए भूगोलशास्त्रियों ने विभिन्न सिद्धांत विकसित किए हैं। इन सिद्धांतों में से एक महत्वपूर्ण सिद्धांत है ‘केंद्रीय स्थान सिद्धांत’, जिसे वाल्टर क्रिस्टालर ने 1933 में प्रस्तुत किया था। यह सिद्धांत विशेष रूप से व्यापारिक सेवाओं और बस्तियों के वितरण को समझने में सहायक है।

Central Place Theory: केंद्रीय स्थान सिद्धांत क्या है?

Central Place Theory: क्रिस्टालर का केंद्रीय स्थान सिद्धांत बताता है कि किसी क्षेत्र में बस्तियों और सेवाओं का वितरण एक विशेष तरीके से होता है। यह सिद्धांत मुख्यतः निम्नलिखित बिंदुओं पर आधारित है:

  1. केंद्रीय स्थान: यह वे बस्तियाँ हैं जो अपने आस-पास के क्षेत्रों को सेवाएँ प्रदान करती हैं। यह सेवाएँ व्यवसायिक, शैक्षणिक, चिकित्सा, और अन्य प्रकार की हो सकती हैं।
  2. सेवा क्षेत्र : ये वे छोटे बस्तियाँ हैं जो मुख्य केंद्रीय स्थान के अंतर्गत आती हैं और उनसे सेवाएँ प्राप्त करती हैं।

Central Place Theory: सिद्धांत के मुख्य घटक

  1. दूरी और पहुंच: यह सिद्धांत मानता है कि लोग आवश्यक सेवाओं को प्राप्त करने के लिए निकटतम केंद्रीय स्थान पर जाते हैं। इससे यह स्पष्ट होता है कि सेवाएँ और बस्तियाँ एक विशिष्ट दूरी पर स्थित होती हैं, जिससे सेवाओं तक पहुंच आसान हो सके।
  2. हैक्सागोनल वितरण: क्रिस्टालर ने सुझाव दिया कि सबसे कुशल वितरण पैटर्न एक हेक्सागोनल (षटकोणीय) पैटर्न है। यह पैटर्न सुनिश्चित करता है कि प्रत्येक केंद्रीय स्थान के आस-पास की बस्तियाँ समान दूरी पर स्थित हों और सभी को सेवाएँ मिल सकें।
  3. पदानुक्रम संगठन: केंद्रीय स्थान सिद्धांत यह भी बताता है कि बस्तियों और सेवाओं का एक पदानुक्रम होता है। इसका मतलब है कि बड़े शहर या कस्बे छोटे कस्बों से अधिक सेवाएँ प्रदान करते हैं और ये सेवाएँ उच्च स्तर की होती हैं।

Central Place Theory: केंद्रीय स्थान सिद्धांत का महत्व

  1. शहरी नियोजन: इस सिद्धांत का उपयोग शहरी नियोजन और विकास में किया जाता है। यह नीति-निर्माताओं को यह समझने में मदद करता है कि सेवाओं और सुविधाओं का वितरण कैसे किया जाए ताकि सभी बस्तियों को समान रूप से लाभ मिल सके।
  2. आर्थिक भूगोल: केंद्रीय स्थान सिद्धांत आर्थिक गतिविधियों के वितरण और उनके प्रभाव को समझने में सहायक है। यह व्यापारिक गतिविधियों के वितरण और उनके प्रभाव क्षेत्र को परिभाषित करता है।
  3. परिवहन नेटवर्क: यह सिद्धांत परिवहन नेटवर्क के विकास में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, क्योंकि सेवाओं और बस्तियों के बीच की दूरी और पहुंच को ध्यान में रखते हुए परिवहन मार्गों की योजना बनाई जाती है।

Central Place Theory: स्थिर K मान

क्रिस्टालर ने उच्च स्तर के सेवा केंद्र और निम्न स्तर के सेवा केंद्र के मध्य अनुपात को K मूल्य के द्वारा व्यक्त किया है |

बाजार सिद्धांत :- K =3

यातायात सिद्धांत :- K=4

प्रशासनिक सिद्धांत :- K=7

Central Place Theory: निष्कर्ष

Central Place Theory: क्रिस्टालर का केंद्रीय स्थान सिद्धांत बस्तियों और सेवाओं के वितरण को समझने का एक महत्वपूर्ण साधन है। यह सिद्धांत न केवल शहरी नियोजन और विकास में सहायक है, बल्कि आर्थिक गतिविधियों और परिवहन नेटवर्क के संगठन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इससे यह सुनिश्चित होता है कि सभी बस्तियों को आवश्यक सेवाएँ मिल सकें और उनका समान रूप से विकास हो सके।

(Buy Online,Pdf Download) G C LEONG GEOGRAPHY BOOK 2023 | Certificate Physical and Human Geography written by Goh Cheng Leon

Certificate Physical and Human Geography written by Goh Cheng Leon. जी सी लियोंग भूगोल की एक लोकप्रिय पुस्तक है। इसका प्रकाशन आॅक्सफोर्ड प्रकाशन द्वारा किया जा रहा है। यह सिविल सेवा परीक्षा के अभ्यर्थियों हेतु सामान्य ज्ञान के पेपर एवं आप्शनल पेपर दोनों की तैयारी हेतु समान रूप से उपयोगी है।भूगोल विषय से नेट एवं जेआरएफ की तैयारी कर रहे अभ्यर्थियों हेतु भी यह समान रूप से उपयोगी है।इस पुस्तक का प्रकाशन Certificate Physical and Human Geography written by Goh Cheng Leong के नाम से किया जा रहा है।

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G C LEONG GEOGRAPHY

G C LEONG GEOGRAPHY. Certificate Physical and Human Geography written by Goh Cheng Leon | विषय सूची

G C LEONG GEOGRAPHY पुस्तक की विषय सूची को दो मुख्य भागों में बांटा गया है।

  1. भौतिक भूगोल(PHYSICAL GEOGRAPHY)
  2. मौसम, जलवायु और वनस्पति(WEATHER, CLIMATE AND VEGETATION)

G C LEONG GEOGRAPHY भौतिक भूगोल(PHYSICAL GEOGRAPHY)

G C LEONG GEOGRAPHY इस भाग में कुल 12 यूनिट हैं। जिनमें पृथ्वी एवं ब्रह्मांड , पृथ्वी की क्रस्ट, भूकंप एवं ज्वालामुखी , अपक्षय वृहद संचलन एवं भूमिगत जल, नदीय ,हिमानी, शुष्क , चूना पत्थर एवं तटीय स्थलाकृतियां, झीलें, कोरल रीफ एवं महासागरों का सारगर्भित वर्णन दिया गया है।

G C LEONG GEOGRAPHY मौसम, जलवायु और वनस्पति(WEATHER, CLIMATE AND VEGETATION)

G C LEONG GEOGRAPHY इस भाग में 13 से 25 तक कुल 13 यूनिट हैं। जिनमें मौसम, जलवायु, उष्ण आर्द्र भूमध्यरेखीय जलवायु, सवाना/सूडान जलवायु, उष्ण एवं मध्य आक्षांश मरूस्थलीय जलवायु, भूमध्यसागरीय जलवायु , स्टेपी जलवायु, चीन तुल्य जलवायु , ब्रिटिश तुल्य जलवायु , साईबेरियन जलवायु, लारेंशियन जलवायु एवं ध्रुवीय जलवायु का सारगर्भित वर्णन दिया गया है।

G C LEONG GEOGRAPHY BOOK in Hindi

G C LEONG GEOGRAPHY इस पुस्तक का प्रकाशन अभी तक केवल अंग्रेजी भाषा में की किया जा रहा है। इसका हिंदी संस्करण अभी तक प्रकाशित नहीं किया गया है।


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UGC NET GEOGRAPHY  Syllabus 2023
UGC NET GEOGRAPHY  Syllabus 2023

उक्त सिलेबस यूजीसी की आधिकारिक वेबसाईट से लिया गया है फिर भी अभ्यर्थी एक बार आधिकारिक वेबसाईट पर जाकर सभी बिन्दुओं को सुनिश्चित कर लेवें किसी भी प्रकार की त्रुटि होने पर युजीसी द्वारा जारी आधिकारिक सिलेबस ही मान्य होगा

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UGC NET JRF GEOGRAPHY PAPERS

UGC NET JRF PAPER 1 Syllabus

UGC NET JRF PAPER 1 Syllabus
UGC NET JRF PAPER 1 Syllabus

UGC NET JRF PAPER 1 Syllabus

UGC NET JRF PAPER 1 Syllabus. ugc net 2023 syllabus paper 1. Latest syllabus of UGC NET Paper. 1 has been upoaded on websites of UGC(Univesity Grant Commission) and NTA(National Testing Agency). All aspirants must make preparation according to new syllabus . Syllabus is awailable on UGC NET Website

UGC NET JRF PAPER 1 Syllabus (ENGLISH)

UGC NET JRF PAPER 1 Syllabus. net general paper on teaching and research aptitude teaching aptitude. ugc net 2023 syllabus pdf.

Subject: GENERAL PAPER ON TEACHING & RESEARCH APTITUDE Code No. : 00

PAPER-I

The main objective is to assess the teaching and research capabilities of the

candidates. The test aims at assessing the teaching and research aptitude as well.

Candidates are expected to possess and exhibit cognitive abilities, which include

comprehension, analysis, evaluation, understanding the structure of arguments,

deductive and inductive reasoning. The candidates are also expected to have a general

awareness about teaching and learning processes in higher education system. Further,

they should be aware of interaction between people, environment, natural resources

and their impact on the quality of life.

The details of syllabi are as follows:

Unit-I Teaching Aptitude

 Teaching: Concept, Objectives, Levels of teaching (Memory,

Understanding and Reflective), Characteristics and basic requirements.

 Learner’s characteristics: Characteristics of adolescent and adult learners

(Academic, Social, Emotional and Cognitive), Individual differences.

 Factors affecting teaching related to: Teacher, Learner, Support material,

Instructional facilities, Learning environment and Institution.

 Methods of teaching in Institutions of higher learning: Teacher centred vs.

Learner centred methods; Off-line vs. On-line methods (Swayam,

Swayamprabha, MOOCs etc.).

 Teaching Support System: Traditional, Modern and ICT based.

 Evaluation Systems: Elements and Types of evaluation, Evaluation in

Choice Based Credit System in Higher education, Computer based

testing, Innovations in evaluation systems.

Unit-II Research Aptitude

 Research: Meaning, Types, and Characteristics, Positivism and Postpositivistic approach to research.

 Methods of Research: Experimental, Descriptive, Historical, Qualitative

and Quantitative methods.

 Steps of Research.

 Thesis and Article writing: Format and styles of referencing.

 Application of ICT in research.

 Research ethics.

Unit-III Comprehension

 A passage of text be given. Questions be asked from the passage to be

answered.

Unit-IV Communication

 Communication: Meaning, types and characteristics of communication.

 Effective communication: Verbal and Non-verbal, Inter-Cultural and group

communications, Classroom communication.

 Barriers to effective communication.

 Mass-Media and Society.

Unit-V Mathematical Reasoning and Aptitude

 Types of reasoning.

 Number series, Letter series, Codes and Relationships.

 Mathematical Aptitude (Fraction, Time & Distance, Ratio, Proportion and

Percentage, Profit and Loss, Interest and Discounting, Averages etc.).

Unit-VI Logical Reasoning

 Understanding the structure of arguments: argument forms, structure of

categorical propositions, Mood and Figure, Formal and Informal fallacies,

Uses of language, Connotations and denotations of terms, Classical

square of opposition.

 Evaluating and distinguishing deductive and inductive reasoning.

 Analogies.

 Venn diagram: Simple and multiple use for establishing validity of

arguments.

 Indian Logic: Means of knowledge.

 Pramanas: Pratyaksha (Perception), Anumana (Inference), Upamana

(Comparison), Shabda (Verbal testimony), Arthapatti (Implication) and

Anupalabddhi (Non-apprehension).

 Structure and kinds of Anumana (inference), Vyapti (invariable relation),

Hetvabhasas (fallacies of inference).

Unit-VII Data Interpretation

 Sources, acquisition and classification of Data.

 Quantitative and Qualitative Data.

 Graphical representation (Bar-chart, Histograms, Pie-chart, Table-chart

and Line-chart) and mapping of Data.

 Data Interpretation.

 Data and Governance.

Unit-VIII Information and Communication Technology (ICT)

 ICT: General abbreviations and terminology.

 Basics of Internet, Intranet, E-mail, Audio and Video-conferencing.

 Digital initiatives in higher education.

 ICT and Governance.

Unit-IX People, Development and Environment

 Development and environment: Millennium development and Sustainable

development goals.

 Human and environment interaction: Anthropogenic activities and their

impacts on environment.

 Environmental issues: Local, Regional and Global; Air pollution, Water

pollution, Soil pollution, Noise pollution, Waste (solid, liquid, biomedical,

hazardous, electronic), Climate change and its Socio-Economic and

Political dimensions.

 Impacts of pollutants on human health.

 Natural and energy resources: Solar, Wind, Soil, Hydro, Geothermal,

Biomass, Nuclear and Forests.

 Natural hazards and disasters: Mitigation strategies.

 Environmental Protection Act (1986), National Action Plan on Climate

Change, International agreements/efforts -Montreal Protocol, Rio Summit,

Convention on Biodiversity, Kyoto Protocol, Paris Agreement, International

Solar Alliance.

Unit-X Higher Education System

 Institutions of higher learning and education in ancient India.

 Evolution of higher learning and research in Post Independence India.

 Oriental, Conventional and Non-conventional learning programmes in India.

 Professional, Technical and Skill Based education.

 Value education and environmental education.

 Policies, Governance, and Administration.

NOTE: (i) Five questions each carrying 2 marks are to be set from each

 Module.

(ii) Whenever graphical/pictorial question(s) are set for sighted

candidates, a passage followed by equal number of questions and weightage be set for visually impaired candidates.

UGC NET JRF PAPER 1 Syllabus | UGC NET JRF PAPER 1 Syllabus (HINDI)

ugc net paper 1 syllabus in hindi pdf download. ugc net paper 1 pdf. विषय: सामान्य प्रश्न पत्र: शिक्षण और अनुसंधान दृष्टिकोण

कोड संख्या: 00

पाठ्यक्रम

प्रश्न- पत्र – 1

इस प्रश्न पत्र का मुख्य उद्देश्य परीक्षार्थी की शिक्षण और शोध क्षमता का मूल्यांकन करना है। अतः इस परीक्षा

का उद्देश्य शिक्षण और शोध अभिवृत्ति का मूल्यांकन करना है। उनसे अपेक्षा है कि परीक्षार्थी से पास

संज्ञानात्मक क्षमता हो और वे इसको प्रदर्शित कर सके। संज्ञानात्मक क्षमता में विस्तृत बोध, विश्लेषण,

मूल्यांकन, तर्क संरचना की समझ, निगमानात्मक तथा आगमनात्मक तर्क शामिल हैं। परिक्षार्थियों से यह भी

अपेक्षा की जाती है कि उन्हें उच्च शिक्षा में शिक्षण और अधिगम का सामान्य ज्ञान हो। सूचना के स्रोतों की

सामान्य जानकारी और ज्ञान हो। उन्हें इसके साथ-साथ उन्हें लोगों, पर्यावरण प्राकृतिक संसाधनों के बीच

संव्यवहार और जीवन की गुणवत्ता पर उनके प्रभाव की जानकारी होनी चाहिए। विस्तृत पाठ्यक्रम विवरण इस

प्रकार है:-

इकाई 1

शिक्षण अभिवृत्ति

शिक्षण : अवधारणाएं, उद्देश्य, शिक्षण का स्तर (स्मरण शक्ति, समझ और विचारात्मक ),

विशेषताएं और मूल अपेक्षाएं

शिक्षार्थी की विशेषताएं: किशोर और वयस्क शिक्षार्थी की अपेक्षाएं (शैक्षिक, सामाजिक /

भावनात्मक और संज्ञानात्मक, व्यक्तिगत भिन्नताएँ

शिक्षण प्रभावक तत्त्व : शिक्षक, सहायक सामग्री, संस्थागत सुविधाएं, शैक्षिक वातावरण

उच्च अधिगम संस्थाओं में शिक्षण की पद्धति : अध्यापक केंद्रित बनाम शिक्षार्थी केंद्रित पद्धति,

ऑफ लाइन बनाम ऑन-लाइन पद्धतियां (स्वयं, स्वयंप्रभा, मूक्स इत्यादि)।

शिक्षण सहायक प्रणाली : परंपरागत आधुनिक और आई सी टी आधारित ।

मूल्यांकन प्रणालियां : मूल्यांकन के तत्त्व और प्रकार, उच्च शिक्षा में विकल्प आधारित क्रेडिट

प्रणाली में मूल्यांकन, कंप्यूटर आधारित परीक्षा, मूल्यांकन पद्धतियों में नवाचार ।

इकाई 2

शोध अभिवृत्ति

शोध: अर्थ, प्रकार और विशेषताएं, प्रत्यक्षवाद एवं उत्तर – प्रत्यक्षवाद शोध के उपागम

शोध पद्धतियां : प्रयोगात्मक, विवरणात्मक, ऐतिहासिक, गुणात्मक एवं मात्रात्मक

शोध के चरण :

शोध प्रबन्ध एवं आलेख लेखन: फार्मेट और संदर्भ की शैली

शोध में आई सी टी का अनुप्रयोग

शोध नैतिकता

इकाई 3

बोध :

एक गद्यांश दिया जाएगा, उस गद्यांश से पूछे गए प्रश्नों का उत्तर देना होगा।

इकाई – 4

संचार

संप्रेषण : संप्रेषण का अर्थ, प्रकार और अभिलक्षण

प्रभावी संप्रेषण : वाचिक एवं गैर – वाचिक, अन्तः सांस्कृतिक एवं सामूहिक संप्रेषण, कक्षा-

संप्रेषण

प्रभावी संप्रेषण की बाधाएं

जन- मीडिया एवं समाज

इकाई 5

गणितीय तर्क और अभिवृत्ति

• तर्क के प्रकार

संख्या श्रेणी, अक्षर श्रृंखला, कूट और संबंध

गणितीय अभिवृत्ति (अंश, समय और दूरी, अनुपात, समानुपात, प्रतिशतता, लाभ और हानि

व्याज और छूट, औसत आदि)

इकाई 6

युक्तियुक्त तर्क

युक्ति के ढांचे का बोध : युक्ति के रूप, निरूपाधिक तर्कवाक्य का ढाँचा, अवस्था और आकृति,

औपचारिक एवं अनौपचारिक युक्ति दोष, भाषा का प्रयोग, शब्दों का लक्ष्यार्थ और वस्त्वर्थ,

विरोध का परंपरागत वर्ग

युक्ति के प्रकार, निगमनात्मक और आगमनात्मक युक्ति का मूल्यांकन और विशिष्टीकरण

अनुरूपताएं

वेण का आरेख : तर्क की वैधता सुनिश्चित करने के लिए वेण आरेख का सरल और बहुप्रयोग

भारतीय तर्कशास्त्र ज्ञान के साधन

प्रमाण : प्रत्यक्ष, अनुमान, उपमान, शब्द, अर्थापत्ति और अनुपलब्धि।

संरचना, प्रकार, कार्यक्षेत्र, अनुमान का कारण।

इकाई – 7

आंकड़ों की व्याख्या

आंकड़ों का स्रोत, प्राप्ति और वर्गीकरण

गुणात्मक एवं मात्रात्मक आंकडें

चित्रवत वर्णन (बार चार्ट, हिस्टोग्राम, पाई चार्ट, टेबल चार्ट और रेखा – चार्ट) और आंकड़ों का

मानचित्रण

आंकड़ों की व्याख्या

आंकड़े और सुशासन

इकाई – 8

सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (आईसीटी)

आई सी टी सामान्य संक्षिप्तियां और शब्दावली

इंटरनेट, इन्ट्रानेट, ई-मेल, श्रव्य दृश्य कांफ्रेसिंग की मूलभूत बातें

उच्च शिक्षा में डिजिटल पहले

आई सी टी और सुशासन

इकाई – 9

लोग, विकास और पर्यावरण

विकास और पर्यावरण मिलेनियम विकास और संपोषणीय विकास का लक्ष्य

मानव और पर्यावरण संव्यवहार : नृजातीय क्रियाकलाप और पर्यावरण पर उनके प्रभाव

• पर्यावरणपरक मुद्दे : स्थानीय, क्षेत्रीय और वैश्विक, वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण, मृदा प्रदूषण,

ध्वनि प्रदूषण, अपशिष्ट (ठोस, तरल, बायो मेडिकल, जोखिमपूर्ण, इलैक्ट्रानिक) जलवायु

परिवर्तन और इसके सामाजिक आर्थिक तथा राजनीतिक आयाम

मानव स्वास्थ्य पर प्रदूषकों का प्रभाव

प्राकृतिक और उर्जा के स्रोत, सौर, पवन, मृदा, जल, भू-ताप, बायो-मास, नाभिकी और वन

प्राकृतिक जोखिम और आपदाएं: न्यूनीकरण की युक्तियां

पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम (1986), जलवायु परिवर्तन संबंधी राष्ट्रीय कार्य योजना,

अन्तर्राष्ट्रीय समझौते / प्रयास – मोंट्रीयल प्रोटोकॉल, रियो सम्मलेन, जैव विविधता सम्मेलन,

क्योटो प्रोटोकॉल, पेरिस समझौता, अंतरराष्ट्रीय सौर संधि

उच्च शिक्षा प्रणाली

इकाई 10

उच्च अधिगम संस्थाएं और प्राचीन भारत में शिक्षा

स्वतंत्रता के बाद भारत में उच्च अधिगम और शोध का उद्भव

भारत में प्राच्य, पारंपरिक और गैर-पारंपरिक अधिगम कार्यक्रम

व्यावसायिक / तकनीकी और कौशल आधारित शिक्षा

मूल्य शिक्षा और पर्यावरणपरक शिक्षा

• नीतियां, सुशासन, राजनीति और प्रशासन

टिप्पणी : 1. प्रत्येक यूनिट (मॉड्यूल) से 2-2 अंको वाले 5 प्रश्न तैयार किए जाएंगे

2. यदि दृष्टिवान परीक्षार्थी के लिए ग्राफ / चित्र वाले प्रश्न तैयार किए जाते हैं तो

दृष्टि बाधित परीक्षार्थियों के लिए उतने ही अंकों वाले प्रश्नों के अवतरण दिए

जाएं।


What is the syllabus for 1st paper of UGC NET?

It is given above.

Is UGC NET paper 1 tough?

No its not very much tough. Going through previous year solved papers can helo a lot.

Is NET paper 1 same for all subjects?

Yes .

What is the difference between NET paper 1 and 2?

Paper 1 Syllabus is related to Teaching and reasoning while paper 2 tests concerned subject knowledge.

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UGC NET PREVIOUS YEAR CUT OFF MARKS.The UGC NET (National Eligibility Test) is conducted by the National Testing Agency (NTA) in India to determine the eligibility of candidates for the role of Assistant Professor and for Junior Research Fellowship (JRF). The cutoff marks for UGC NET are the minimum qualifying marks that candidates must secure to be considered for eligibility. The cutoff marks vary each year depending on factors such as the number of candidates, difficulty level of the exam, and overall performance.

It is important to note that the cutoff marks for UGC NET can differ across different subjects and categories (General, OBC, SC, ST, etc.). Candidates are advised to refer to the official notification or the NTA website for the specific cutoff marks of previous years.

UGC NET PREVIOUS YEAR 2022 CUT OFF MARKS Geography 2022

UGC NET PREVIOUS YEAR CUT OFF MARKS for Geography subject is given below

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UGC NET Exam Pattern The UGC NET (University Grants Commission National Eligibility Test) is a national-level examination conducted in India to determine the eligibility of candidates for the post of Assistant Professor and for the award of Junior Research Fellowship (JRF) in Indian universities and colleges. The exam follows a specific pattern, which includes the following key components:

  1. Exam Format: The UGC NET exam is conducted in two papers – Paper 1 and Paper 2. Both papers are conducted in a computer-based test (CBT) format.
  2. Paper 1: This is a common paper for all candidates and consists of 50 multiple-choice questions (MCQs) designed to test the candidates’ teaching and research aptitude, reasoning ability, comprehension, and general awareness. The total duration of Paper 1 is 3 hours.
  3. Paper 2: Paper 2 is subject-specific and includes 100 MCQs based on the subject chosen by the candidate. This paper evaluates the candidates’ in-depth knowledge of their chosen subject. The total duration of Paper 2 is 3 hours.
  4. Marking Scheme: Each correct answer in both papers carries 2 marks. There is no negative marking for incorrect answers.
  5. Qualifying Criteria: To qualify for the award of JRF or eligibility for Assistant Professorship, candidates must secure the minimum qualifying marks set by UGC. These qualifying marks vary for different categories (General, OBC, SC, ST, etc.) and are based on the aggregate performance of candidates in both Paper 1 and Paper 2.
  6. Syllabus: The syllabus for Paper 2 varies depending on the subject chosen by the candidate. UGC provides a detailed syllabus for each subject, covering various topics and sub-topics.

UGC NET Exam Pattern. UGC NET Exam Pattern 2023. It’s important for candidates to thoroughly understand the UGC NET exam pattern, syllabus, and prepare accordingly to perform well in the examination.


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UGC NET JRF GEOGRAPHY PAPERS | Previous Year Question papers(2009-2014)

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UGC NET JRF GEOGRAPHY PAPERS. Check UGC NET Previous Year Question Papers PDF for UGC NET exam preparation. Now candidates can easily download UGC NET Previous Year Question Paper PDF from below article year wise.Previous Year Question papers are also available on website of UGC.

UGC NET JRF GEOGRAPHY PAPERS | Previous Year Question papers

UGC NET JRF GEOGRAPHY PAPERS. Previous year question papers helps a lot while preparing for UGC Net Exam. Specially in Geography often questions are repeated from previous year papers hence going through old papers helps a lot for new candidates. It also helps in having deep understanding about exam pattern, pattern of questions and how deep a candidate should read the subject. Hence here are links for previous year question papers of geography

YearPaper IIPaper III
Question Papers of NET June 2014  NewDownloadDownload
Question Papers of NET Dec. 2013DownloadDownload
Question Papers of NET June 2013 (UGC NET re-conducted on 08th Sept., 2013)DownloadDownload
Question Papers of NET June 2013 (UGC NET on 30th June, 2013)DownloadDownload
Question Papers of NET Dec. 2012DownloadDownload
Question Papers of NET June 2012DownloadDownload
Question Papers of NET Dec. 2011DownloadDownload
Question Papers of NET June 2011DownloadDownload
Question Papers of NET Dec. 2010DownloadDownload
Question Papers of NET June 2010DownloadDownload
Question Papers of NET Dec. 2009DownloadDownload
Question Papers of NET June 2009DownloadDownload

UGC NET JRF GEOGRAPHY PAPERS | Old Question papers Benefits

Studying previous year question papers can offer several benefits, including:

  1. Familiarity with Exam Pattern: Previous year question papers give you insight into the exam pattern, types of questions asked, and the overall structure of the exam. This helps you understand the format and distribution of marks, enabling you to plan your preparation accordingly.
  2. Identify Important Topics: Analyzing previous year question papers allows you to identify recurring topics and understand their importance in the exam. This helps you prioritize your study efforts and focus on areas that are frequently tested.
  3. Practice Time Management: Solving previous year question papers under timed conditions helps you develop effective time management skills. It enables you to get accustomed to the exam’s time constraints and learn how to allocate your time wisely among different sections or questions.
  4. Gauge Your Preparation Level: Attempting previous year question papers helps you assess your level of preparation. It provides a realistic simulation of the actual exam and helps you identify your strengths and weaknesses. You can then work on improving areas where you face difficulties.
  5. Understand Question Trends: Studying previous year papers helps you understand the question trends and the nature of questions asked. You can identify the style of questions, the level of difficulty, and the areas from which questions are frequently asked. This insight allows you to align your preparation accordingly.
  6. Boost Confidence: Regularly practicing previous year question papers instills confidence in you as you become familiar with the exam format and gain exposure to a variety of questions. This confidence can help reduce exam anxiety and improve your overall performance.

Remember, while studying previous year question papers is beneficial, it should be complemented with a comprehensive understanding of the subject matter and regular revision to achieve better results in the actual exam.

UGC NET new exam pattern

National Eligibility Test (UGC NET) had the following exam pattern:

  1. The UGC NET exam consisted of two papers: Paper 1 and Paper 2.
  2. Paper 1 is a general paper that tested teaching and research aptitude, reasoning ability, comprehension, and general awareness of the candidate.
  3. Paper 2 is subject-specific and aimed to assess the candidate’s knowledge in the chosen subject.
  4. Both papers are multiple-choice questions (MCQs) with four options, and candidates were required to select the correct answer.
  5. Paper 1 consists of 50 questions, and Paper 2 has 100 questions.
  6. The total duration of the exam is 3 hours (180 minutes).
  7. There is no negative marking for incorrect answers.

However, please note that exam patterns may change over time. To get the most accurate and up-to-date information, I recommend visiting the official website of UGC NET or contacting the concerned authorities directly.


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UGC NET 2023 Apply Online

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The schedule of UGC-NET June 2023 के लिए आवेदन की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है | नेशनल टेस्टिंग एजेंसी ने दिनांक 10 मई 2023 को इस सबन्ध में विस्तृत दिशा निर्देश जारी कर दिए हैं | एजेंसी द्वारा 83विषयों में जूनियर रिसर्च फ़ेलोशिप (JRF) एवं सहायक आचार्य (Assistant Professor) की पात्रता हेतु 13 जून 2023 से 22 जून 2023 के मध्य ऑनलाइन परीक्षा का आयोजन करवाया जायेगा जिसके लिए आवेदन की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है और 10 May 2023 to 31 May 2023 (upto 05:00 P.M) NTA की आधिकारिक वेबसाइट ओअर जाकर आवेदन किया जा सकता है |

UGC NET 2023 Apply Online | Schedule

UGC NET 2023 Apply Online | nta द्वारा जारी किया गया विस्तृत कार्यक्रम निम्न प्रकार से है –

UGC NET 2023 Apply Online

UGC NET 2023 Apply Online | Click Here For Apply

UGC NET 2023 Apply Online. आवेदन करने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें

nta net online

अथवा इस लिंक पर जाएँ

nta net online

New Registration पर क्लिक करें | इसके पश्चात अपनी व्यक्तिगत जानकारी भरें तथा पासवर्ड क्रिएट करें |

UGC NET 2023 Apply Online | Important Instructions

  1.  Candidates can apply for UGC – NET June 2023 through the “Online” mode only through the website
  2. https://ugcnet.nta.nic.in/. The Application Form in any other mode will not be accepted.
  3.  Only one application is to be submitted by a candidate. In no circumstances, candidates will be allowed
  4. to fill more than one Application Form. Strict action will be taken, even at a later stage, against such
  5. candidates who have filled more than one Application Form.
  6. 3.  Candidates must strictly follow the instructions given in the Information Bulletin and on the NTA website.
  7. Candidates not complying with the instructions shall be summarily disqualified.
  8. 4.  Candidates must ensure that the e-mail address and Mobile Number provided in the Online
  9. Application Form are their own or Parents/Guardians only as all information/ communication will be
  10. sent by NTA through e-mail on the registered e-mail address or SMS on the registered Mobile Number
  11. only.
  12. 5.  In case any candidate faces difficulty in applying for UGC NET June 2023, he/she may contact on 011 –
  13. 40759000 / 011 – 69227700 or e-mail at ugcnet@nta.ac.in For further clarification related to the
  14. UGC NET June 2023, the Candidates are advised to visit the official website(s) of NTA (www.nta.ac.in)
  15. and (https://ugcnet.nta.nic.in/, for the latest updates

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UGC NET 2023 | Apply Online ,Exam Date, Eligibility , Syllabus

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UGC NET 2023

The NTA( National Testing Agency ) is soon going to  release the UGC NET notification and inviting applications for the UGC NET 2023 June cycle exam. As per the previous trends , the registrations for the UGC NET 2023 exam will be opened for a month and then the correction window will be available for the candidates.  UGC NET 2023 exam dates have already been announced by the UGC and NTA on December 29, 2023. The UGC NET 2023 June 2023 cycle will be carried out between June 13 to 22, 2023. The National Testing Agency (NTA) will release the UGC NET notification for the June 2023 cycle on the NTA official website soon.

Upcoming Tentative Exam Dates

  • UGC NET 2023 NOTIFICATION – MAY 2023
  • UGC NET 2023 APPLICATION INVITATION – MAY 2023
  • UGC NET 2023 EXAM – 13 JUN 2023 22 JUN 2023
  • MODE OF EXAM – CBT(COMPUTER BASED TEST)
  • Exam Duration- 180 Minutes

Application Fee

NTA Ask to pay candidates their fee via online mode (Credit card,Debit Card Net Banking)

  • Category              Application Fee
  • General/ Un Reserved category     Rs. 1100/-
  • General-EWS/ OBC-NCL            Rs. 550/-
  • SC/ ST/ PwD/ Transgender  Category         Rs. 275/-

UGC NET Eligibility Criteria

Here are  details regarding UGC NET 2023 Eligibility Criteria:

Qualification for Net: Candidates must qualify master’s degree from any recognized board or university .

Qualifying Percentage: Applying candidate must score minimum 55% marks (50% as OBC/ SC/ ST/ PwD/ Third gender) without round off.

Age Limit: For JRF, A candidate must not be more than 31 years. 5 year age relaxation will be given to those reserved category candidates. There is no maximum age limit for Assistant Professor.

Appearing Candidates: Candidates appearing in final year will be also eligible to apply for UGC NET 2023

UGC NET / NTA NET 2023 EXAM PATTERN

Exam Mode: Online (Computer Based) mode.

No. of papers: There will be two papers in the NET examination.

Languages: Bilingual.

No. of Questions:  150 questions.

Question Type: MCQS (Multiple Choice Questions) will be asked in the question paper.

Time Duration: 180 Minutes.

Marking Scheme: 2 marks For Each Correct Answer  will be given.

Negative marking: No negative marking for an incorrect answer.

Paper    Marks   No. Of Questions

Paper I  100         50

Paper II                200         100

Total      300         150


FAQS

Q. What are Rules for UGC Net 2023 ?

A. Please Download Detailed Notification From UGC Website.

Q. What is the Passing Marks for UGC NET 2023 ?

A. Applying candidate must score minimum 55% marks (50% as OBC/ SC/ ST/ PwD/ Third gender) without round off.

Q. What is the Next Date for NET EXAM 2023 ?

A. 13 JUN 2023 22 JUN 2023 (Tentative).

Q. Is there Negative Marking in UGC NET 2023 ?

A. No, there is no negative marking for wrong answer in UGC NET 2023 .


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GEOGRAPHY NET DECEMBER 2021 SOLVED PAPER is given below in form of one liner question.

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  1. सूची मिलान – जलशक्ति इकाई एवं राज्य – देहर -हिमाचल प्रदेश , श्रीशैलम – आन्ध्र प्रदेश वर्तमान तेलंगाना , कालिंदी – कर्नाटक, शरावती – कर्नाटक |
  2. समुद्री मैदान अधिकांशतः किन अक्षांशों के मध्य नहीं मिलते हैं – 60 डिग्री से 70 डिग्री अक्षांश के मध्य |
  3. निम्नलिखित में से कौन केन्द्रीय स्थल मॉडल का वर्णन करता है  – वस्तु और सेवाओं के प्रवाह के आधार पर शहरी और बाह्य क्षेत्रो का स्थानिक प्रतिरूप |
  4. जी आई एस आधारित मानचित्र को निम्नलिखित में से क्या किया जा सकता है – अद्यतन , सम्पादित, प्रदर्शित, गूगल वेब पर देखा जा सकता है |
  5. सूची मिलान – गुरुशिखर – अरावली , दोदाबेटा – नीलगिरी , अर्मकोंडा- पूर्वी घाट, धूपगढ़ – सतपुड़ा |
  6. विश्व में निम्नलिखित कलस्टर क्षेत्रो में कौनसे जनसँख्या के बड़े कलस्टर है – पूर्वी एशिया , दक्षिण एशिया , यूरोप , उत्तरी अमेरिका |
  7. I अभिसरण क्षेत्र वह प्रक्रिया है जिसमे एक प्लेट दूसरी प्लेट के निचे खिसक जाती है | II अभिसरण क्षेत्र के किनारे समुद्र अधः स्तल  का फैलाव अधिक प्रबल हो जाता है | उत्तर – उक्त दोनों कथन असत्य |
  8. निम्नलिखित में से कौन कार्यात्मक प्रदेश नहीं है – मध्य गंगा मैदान, मालवा पठार क्षेत्र |
  9. भावी जनसँख्या अनुमान तैयार करते समय निम्नलिखित में से किस पर विचार किया जाता है – जनसँख्या वृद्धि कि दर तथा पिछले आंकड़े के आधार पर जन्म एवं मृत्यु दरों का भावी अनुमान |
  10. सही कथन – वे सभी मानवीय गतिविधियाँ जिनका सम्बन्ध वस्तुओं और सेवाओं के उत्पादन , विपणन और उपभोग से हैं उन्हें आर्थिक गतिविधियाँ कहा जाता है |
  11. निम्नलिखित में से कौनसी घटना वैश्विक विकिरण संतुलन में शामिल नहीं है – पाईरानोमीटर, अनिमोमीटर  |
  12. दोनों कथन सही एवं सही व्याख्या है – I पत्तन के लीये फियार्ड उपयुक्त स्थान नहीं है | II फियार्ड निमग्न झिम नदित  घाटियाँ होते हैं जिनमे तट के सहारे संकरी गहरी वाहिकाएं होती हैं |
  13. हिन्द महासागर के चार उचावच लक्षणों को उनकी स्थिति के अनुसार व्यवस्थिक करें – लक्क्दीव चैगोस कटक – चैगोस सेंट पॉल – सेंट पॉल एम्स्टरडेम- कर्गुलेंन गासबर्ग कटक |
  14. लेबेंसरोम की अवधारणा राजनितिक भूगोल में किस पुस्तक के प्रकाशन के बाद अधिक लोकप्रिय हुई है – पोलिटिश जियोग्राफी |
  15. किसके द्वारा पर्यावरण निश्चयवाद की आलोचना एवं विरोध किया गया – बलाश फेब्रे और रेक्लेश |
  16. जनगणना 2011 के अनुसार किस राज्य / संघ शाशित क्षेत्र में 35 प्रतिशत से अधिक नगरीय जनसँख्या दर्ज की – गुजरात , तमिलनाडु , केरल , पंजाब |
  17. निम्नलिखित में से कौनसी खान जिप्सम से सम्बंधित है – नागौर , भादवाह , जस्मार |
  18. किसे सामान्यतया इस विचार की वैधता को स्थापित करने का श्रेय दिया जाता है की एक हिमयुग था जिसके दौरान उत्तरी यूरोप का अधिकांश भाग बर्फ की चादर से ढका था – अगासिज|
  19. समुद्री जल के विषय में निम्लिखित में से कौंनसे कथन सत्य हैं – A. समुद्री जल का घनत्व तापमान , दबाव और लवणता पर निर्भर करता है | C. तापमान के घटने बढ़ने से जल के उष्मीय विस्तार में परिवर्तन होता है |
  20. स्पेक्ट्रमी बैंड के साथ मुख्य एप्लीकेशन का मिलान – A. नीला- समुद्र तट का मानचित्रण , B. हरा – वनस्पतियों का विभेदीकरण , C. लाल – वनस्पति से मृदा विभेद करना , D. तापीय – वनस्पति दबाव का विश्लेषण |
  21. निम्न्लिखित में से कौनसी खाध्य सामग्री पानी की सर्वाधिक मात्रा का उपयोग करती है –चोकलेट|
  22. निम्नलिखित में से वनस्पति की कौनसी जाति उष्ण कटिबंधीय कंटीले वनों से सम्बंधित नहीं है – तेंदू , हल्दू |
  23. जब एक निर्माता कंपनी अपने आपूर्ति कर्ताओं के बहुत पास स्थित हो तब उसे कहा जाता है – स्थानीयकरण अर्थव्यवस्था |
  24. ओजोन की माप से सम्बंधित पारिभाषिक शब्दों कि पहचान करें – डॉबसन और स्पेक्ट्रोफोटोमीटर |
  25. उत्तर भारत की तुलना में दक्षिण भारत में सूचना और प्रोद्योगिकी उद्योग की तीव्र वृद्धि की निम्नलिखित में से कौन एक व्याख्या करता है – A. सुशासन , B.अच्छी अवसंरचना और नेट वर्क सुलभता , C. उच्च तकनिकी संस्थानों की अधिक संख्या |
  26. सूची मिलान – प्रकाश मंडल- सौर प्रदीप्ति , माउंडर न्यूनतम – सौर कलंक , ए.बी.सी.- प्रदूषकों कि सतह का बनना , पराग कण – परागकणों एवं बीजाणुओं का अध्ययन |
  27. मेंग्रूव वनस्पति के कवरेज कि दृष्टि से राज्यों का आरोही क्रम – गोवा – आन्ध्र प्रदेश – ओडिशा – पश्चिम बंगाल |
  28. निम्नलिखित को उनके सम्मलेन रिपोर्ट के वर्ष के आधार पर क्रम में व्यवस्थित कीजिये – प्रथम पृथ्वी सम्मलेन – क्योटो प्रोटोकॉल – आई.पी.सी.सी. रिपोर्ट- सी.ओ.पी.21 |
  29. महासागरों में तापमान के उर्ध्व वितरण के सम्बन्ध में कौनसे कथन सही हैं – A.600 फूट से नीचे सूर्य की किरणों का कोई प्रभाव नहीं होता | B. जल सञ्चालन के बावजूद समुद्र का एक बड़ा हिस्सा अपेक्षाकृत ठंडा रहता है | C. महासागरों में 80 प्रतिशत जल का तापमान 40 डिग्री फरेन्हाईट से कम रहता है |
  30. निम्नलिखित में से कौनसी एक विस्तृत रूप से समुद्री सतह द्वारा अवशोषित कर ली जाती है – दीर्घ तरंग विकिरण |
  31. भारत में हिमाचल प्रदेश के बारे में निम्नलिखित में से कौनसे कथन सत्य हैं – A. जल विद्युत उत्पादन की बहुत संभावनाएं , B. उच्च साक्षरता दर , C. बागवानी क्रिया कलापों में अधिक संभावनाएं |
  32. निम्न में से कौनसी सहसंबंध गुणांक की विशेषता नहीं है – D. r=+1 पूर्णतया नकारात्मक सह सम्बन्ध का संकेत | E. r=-1.0 पूर्णतया धनात्मक सह सम्बन्ध का सूचक |
  33. भारत का आर्थिक क्षेत्र तट रेखा से कितनी दूरतक फैला है – 200 समुद्री मील तक |
  34. गुणात्मक शोध के प्रमाणीकरण को बढ़ावा देने के लिए कौनसी रणनीति उपयुक्त नहीं  है – देय कार्य का यादृछिक प्रमाणीकरण |
  35. असमानताओं के मापन के लिए प्रयोग की जाने वाली 45 डिग्री की सामान वितरण रेखा क्या कहलाती है – लारेन्ज कर्व|
  36. क्योटो प्रोटोकोल 1997 समझोते का क्या परिणाम था – A. कार्बन डाई ऑक्साइड के उत्सर्जन में 5.2 प्रतिशत की कटोती करना | D. यह प्रोटोकोल वर्ष 1999 से प्रभावी होना था |
  37. निम्नलिखित में से कौनसे कथन सही हैं — A. महासागरीय धाराएँ पृथ्वी की सतह के तापीय वातावरण का अत्यधिक विनियमन करती हैं | B. स्थानीय पैमाने पर गर्म जल धाराएँ आर्कटिक अक्षांशों में संतुलनकारी प्रभाव लाती हैं | D. घनत्व में अंतर के कारण भी महासागरीय जल में प्रवाह हो सकता है |
  38. सूची मिलान — प्युर्टो रीको डीप – अटलांटिक महासागर , सुंडा खाई – हिन्द महासागर , फिलिपीन खाई – प्रशांत महासागर , पॉइंट बेरो – आर्कटिक महासागर |
  39. निम्नलिखित में से किसने भूगोल कि मानचित्र बनाने के विज्ञान के रूप में व्याख्या की – क्लाडियस टोलेमी |
  40. अन्तर राष्ट्रीय व्यापर में मुक्त व्यापर  क्षेत्र वहां होता है जहाँ – सदस्य देश व्यापर पर कोटा और प्रशुल्क ख़त्म करते हैं परन्तु गैर सदस्य देशों से आयत पर प्रतिबन्ध लगाने के लिए वे स्वतंत्र बने रहते हैं |
  41. विविधता में एकता की अवधारणा किसने दी – सी . रिटर |
  42. विश्व में पर्यटन उद्योग के विकास से सम्बंधित निम्न में से कौनसे कथन असत्य हैं – D. माध्यम आय वर्ग के यात्रियों के लिए पर्यटन स्थलों कि संख्या सीमित है | E. वैश्विक पर्यटन में अब विकासशील देशों के लोगों की अब प्रधानता है |
  43. भारत में किस राज्य/केंद्र शासित प्रदेश ने पिछले 3दशको से शिशु मृत्यु दर में सर्वाधिक गिरावट दर्ज की है – तमिलनाडु |
  44. पवन और चक्रवात से होने वाली क्षति के खतरा क्षेत्र को आरोही क्रम में निम्नलिखित क्षेत्रो/राज्यों को क्रमबद्ध करें – कर्नाटक ,महाराष्ट्र , राजस्थान , पुर्वी तटीय मैदान |
  45. निम्नलिखित में से किस विद्वान ने कृषि उत्पादकता मापने हेतु PI= Y/Yn / T/Tn का प्रयोग किया –  एन्येदी |
  46. चलजलीय प्रवणता के सिद्धांत के प्रतिपादक थे – आर.इ.हार्टन |
  47. सूची मिलान (राष्ट्रिय जल मिशन के लक्ष्य)—लक्ष्य 1 – समग्र जल डाटा आधार , लक्ष्य 2 – नागरिकों और राज्यों की क्रियाओं को बढ़ावा देकर जल संरक्षण , लक्ष्य 3 – भेध्य क्षेत्रों पर विशेष ध्यान , लक्ष्य 4- बेसिन स्तरीय एकीकृत जल संसाधन प्रबंधन |
  48. पर्वतीय क्षेत्रो में उत्तर उन्मुख ढाल निम्नलिखित में से किसकी वजह से वनाछादित रहता है – विकिरण तीव्रता |
  49. निम्नलिखित में से कौन पछुआ पवन से सम्बंधित है – प्रचंड पचासा , रोस्बी तरंग |
  50. महासागरीय जल में वाष्पीकरण की प्रक्रिया प्रभावित होती है – लवणता , अक्षांश , मौसम और पवने |
  51. आर्कटिक सागर में किस महीने में समुद्री बर्फ का अधिकतम विस्तार पाया जाता है – मई|
  52. निम्नलिखित में से कौन सा एक समुद्री जल पर अधिकतम ज्वार उत्पन्न करने वाला बल डालता है – चन्द्रमा |
  53. वह शब्द जो वर्णित करता है की जनन दर में गिरावट के बाद जनसँख्या में वृद्धि होती रहेगी – जनसांख्यिकीय गति |
  54. सूची मिलान – अल मसूदी – मिराज उल दहब , अल इदरीसी – टेबुला रोजरियाना , अल बरुनी – किताब उल हिन्द , इब्न खल्दुन – मुकदिमाह |
  55. सही कथन – भारत के राज्यों में मध्य प्रदेश ने जन गणना 2011 में अनुसूचित जन जाति की जनसँख्या का उच्चतम प्रतिशत दर्ज  किया |
  56. सूची मिलान – संस्कृति – विशिष्ट व्यव्हार सम्बन्धी प्रतिरूप समझ और समूह का अनुकूलन , सांस्कृतिक संकुल – सांस्कृतिक गुण जो कार्यात्मक रूप से अंतर्संबंधित है , सांस्कृतिक क्षेत्र – वह क्षेत्र जो विशिष्ट विशेषताओ में आस पास के क्षेत्रो से अलग है , सांस्कृतिक एकीकरण – समाज शास्त्रीय , प्रोद्योगिकीय और सैधांतिक उप प्रजातियों की अन्तः पारात प्रकृति |
  57. रेखाचित्र में प्रस्तुत वितरण की मध्यिका – 60 |
  58. कौनसी वायुमंडलीय गैस सही प्रतिक द्वारा नहीं दर्शायी गयी है – नाइट्रस ऑक्साइड – NO, क्रिप्टन- Kr |
  59. उच्च स्थानिक विभेदन के सम्बन्ध में उपग्रह संवेदकों का निम्नलिखित में से कौनसा सही आरोही क्रम है – लेंड सेट का आर बी वि , आई आर एस 1सी का एल आई एस एस –II ,लेंडसेट का TM, इकोनोस 2 का PAN |
  60. फोसिल जल किसे कहा जाता है – सहजात जल |
  61. निम्नलिखित में से किस प्राणी जात समूह में स्थानिक प्रजाति का सर्वाधिक प्रतिशत है – उभयचर |
  62. निम्नलिखित में से कौन उष्ण कटिबंधीय चक्रवात की संरचना से संबद्ध नहीं है – एकमेन सर्पिल|
  63. निम्न में से कौन मानचित्र मापनी कृषि समुदाय के भूदृश्य में भौगोलिक विशेषताओं का विस्तृत अध्ययन करने के लिए सबसे अधिक उपयोगी है – 1:10,000 |
  64. सूची मिलान – मिसिसिपी – पक्षी पंजा डेल्टा , गंगा – चापाकार , नर्मदा – एस्चुरिनुमा , टाइबर – अग्रवर्धी |
  65. शांत घाटी बचाओ आन्दोलन एक प्रादेशिक विकास परियोजना से उष्ण कटिबंधीय हरित वनों को विनाश से बचाने के लिए , यह सामाजिक आन्दोलन भारत के किस राज्य में स्थित था – केरल |
  66. संकेन्द्रीय क्षेत्र प्रतिरूप में नगर केंद्र से बहार की ओर के क्षेत्रो का सही क्रम है – निम्न आय वर्गीय , थोक हलके विनिर्माण , निम्न आवासीय , माध्यम वर्ग आवासीय |
  67. अन्थ्रोज्योग्रफिक शब्द की रचना रेटजेल द्वारा उनके किस लेखन में की गयी – मनुष्य और प्रकृति के सामंजस्य पूर्ण पारस्परिक सम्बन्ध का अध्ययन |
  68. किस राष्ट्र समूह को उभरते हुए बाजार के रूप में जाना जाता है – भारत ब्राजील ,रूस चीन |
  69. अगर पृथ्वी सारी आपतित ऊर्जा को अवशोषित कर लेती है टो क्या होगा – स्थिर तापन|
  70. निम्नलिखित में से कौन वातावार्निय निश्चयवाद में विश्वास रखते थे – सी डार्विन , रेटजेल और सेम्पुल|
  71. निम्नलिखित में से किस अवधी में पुरातत्विद स्थाई मानव अधिवासों के साक्ष्य पाते हैं – नवपाषाणीक अवधि |
  72. A व R दोनों सत्य तथा A, R की सही व्याख्या है – A. वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार भारत की जनसँख्या में अनुसूचित जनजातियो का हिस्सा 8.6 प्रतिशत है , वे मुख्यतः वनाच्छादित एवं पहाड़ी क्षेत्रो में फैली हुई है | R. अनुसूचित जनजाति समुदायों के मुख्य लक्षण है – आदिम विशेषताए, भौगोलिक अलगाव  और आर्थिक पिछड़ापन|
  73. निम्नलिखित में से किसने भारत में मानसून कि उत्पत्ति का विचार दिया – अल मसूदी |
  74. सांस्कृतिक एकक का सर्वाधिक सटीक प्रतिनिधित्व दिया गया है | इनको उच्चतम से निम्नतम क्रम में व्यवस्थित करिए – परिमंडल , प्रदेश , जटिल (काम्प्लेक्स), गुण (ट्रेट) |
  75. भारत में जीवमंडल अरण्यो की क्षेत्रवार स्थिति – मेघालय में नोकरेक , ओडिशा में सिमलीपाल |
  76. मेकिंडर ने वर्ष 1919 में धुरी (पाइवोट) क्षेत्र की अपनी अवधारणा को हार्ट लैंड में किस पुस्तक में पुनर्नामिकरण किया – डेमोक्रेटिक आइडल्स एंड रियलिटी |
  77. ओरिजिन ऑफ़ स्पीसीज की अवधारणा को किसने चुनौती दी – डी वेरिज |
  78. वेगनर का विस्थापन सिद्धांत मुख्य रूप से किसकी व्याख्या करने के लिए प्रस्तुत किया गया था – समुद्री तटो और हिमनदन की भूवैज्ञानिक समानता , विश्व में मुख्य जलवायु परिवर्तन |
  79. सर्क भू आकृति किस श्रेणी में आते हैं – तृतीय श्रेणी |
  80. वायु का स्तरीय या लेमिनार प्रवाह कहलाता है – कणों की एक दिशा में गति |
  81. निम्नलिखित में से कौन सांस्कृतिक समूह और प्राकृतिक वातावरण के बीच सम्बन्ध को दर्शाता है – सांस्कृतिक पारिस्थितिकी |
  82. नगर के केंद्र से बाह्य भाग तक वोन थ्यूनेन द्वारा प्रतिपादित कृषि सम्बन्धी गतिविधियाँ व्यवस्थित कीजिये – विपणन कृषि , इंधन लकड़ी उत्पादन , अनाज खेती , त्रिविध पद्धति |
  83. कोपेन के जलवायु वर्गीकरण के अनुसार Amw  जलवायु कहाँ पायी जाती है – गोवा |
  84. जर्मन विचारधारा के विकास में सही क्रम – पस्चेल , रेटजेल , हेटनर , ट्रोल|
  85. सूची मिलान – सेव साइलेंट वेली – केरल , चिपको आन्दोलन – उत्तराखंड , नर्मदा बचाओ – गुजरात , जंगल बचाओ – झारखण्ड |
  86. प्रवाह के सन्दर्भ में नदी तंत्र का आशय है – A. जल के मौसमी प्रवाह का प्रतिरूप | B. जलवायु सम्बन्धी स्थितियों के कारण नदी तंत्रों में अंतर होता है |
  87. पेनिप्लेन शब्द दर्शाता है – किसी नदीय चक्र की वृद्धावस्था में निर्मित समतल सतह | अपरदन के अंतिम उत्पाद से निर्मित समतल सतह |
  88. अप्रदूषित वर्षा जल का पी एच मान किसके बीच होता है – 5 और 6 |
  89. जैसे जैसे तरंगे तट की ओर बढती हैं , उनके रूप में आमूल परिवर्तन हो जाता है | परिवर्तनों का सही क्रम – कम अन्तराल वाले श्रृंग , तरंग रोधक , उद्धावन , पश्च धावन |
  90. भारत की पर्वतीय जलवायु के सम्बन्ध में निम्लिखित में से कौन सा कथन सही नहीं है – A. सूर्य के अभिमुख और विमुख ढालों के तापमान में भारी अंतर | B. दिन के तापमान का प्रसार (रेंज ) अधिक होता है |
  91. गद्यांश के आधार पर उत्तर (91 से 95, 96 से 100) हाल के समय में भूमंडलीय तापमान में निम्नलिखित में से कौनसी वृद्धि दर देखि गयी है – 0.5◦C |
  92. कौनसा अवयव जलवायु परिवर्तन से सम्बंधित नहीं है – जल के ऊपर आने की पारस्परिक क्रियाएँ |
  93. वायुमंडलीय संघटन में अल्पकालिक परिवर्तनों को निम्नलिखित में से कौनसी गतिविधी बल प्रदान नहीं करती – खगोलीय बल क्रिया |
  94. जलवायु परिवर्तन से सम्बंधित भविष्य के शोध के लिए निम्नलिखित में से कौनसी शर्त अनिवार्य है – वायुमंडलीय निदर्शिकरण |
  95. वर्ष 2100 तक औसत भूमंडलीय तापमान में वृद्धि का परिसर कौनसा होगा – 1.4 से 5.8 ◦C|
  96. किस विद्वान ने स्थानिक विज्ञान के भाग के रूप में जनसँख्या भूगोल को आगे बढाया — पियरे जोर्ज|
  97. निम्नलिखित में से कौनसी जनसँख्या विशेषता जीवन सम्बन्धी आंकड़ो से सम्बंधित नहीं है – आयु और लिंग |
  98. निम्नलिखित में से एक का जनसँख्या के जीवन सम्बन्धी आंकड़ो वाली जन सांख्यिकीय विशेषताओ का अध्ययन जनसँख्या भूगोल के अंतर्गत किया जाता है – जन्म , मृत्यु, विवाह / प्रवसन |
  99. किस दशक में जनसँख्या भूगोल में जनसँख्या वितरण तथा जनसंख्याओ की विशेषताओ के विभिन्न लक्षणों में स्थानिक अंतर के व्यवस्थित अध्ययन पर अधिक बल दिया गया –1950 के दशक में|
  100. भूगोल के अलावा किस विषय समूह ने जनसँख्या भूगोल के अध्ययन में महत्वपूर्ण योगदान दिया है – समाजशास्त्र, जनसांख्यिकीय और अर्थशास्त्र |      

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