Geography Optional Syllabus UPSC | यूपीएससी भूगोल वैकल्पिक एवं सामान्य ज्ञान हेतु पाठयक्रम

Geography Optional Syllabus UPSC. यूपीएससी सिविल सेवा मुख्य परीक्षा हेतु कुल 26 वैकल्पिक विषय उपलब्ध हैं जिनमें से भूगोल एक लोकप्रिय विषय है। मुख्य परीक्षा में भूगोल के दो प्रश्न पत्र होते हैं प्रत्येक का भारांक 200 अंक होता है। प्रथम प्रश्न पत्र में भौतिक भूगोल एवं मानव भूगोल जबकि द्वितीय प्रश्न पत्र में भारत के भूगोल एवं करंट के संबंध में प्रश्न पूछे जाते हैं। विस्तृत पाठ्यक्रम संघ लोक सेवा आयोग की आधिकारिक वेबसाइट https://www.upsc.gov.in/ से डाउनलोड किया जा सकता है

Geography Optional Syllabus UPSC | यूपीएससी भूगोल वैकल्पिक पाठ्यक्रम

यूपीएससी भूगोल वैकल्पिक पाठ्यक्रम हिन्दी में

Geography Optional Syllabus UPSC: भूगोल का पाठ्यक्रम

प्रश्न पत्र- 1

भूगोल के सिद्धांत 

प्राकृतिक भूगोल 

  1. भू -आकृति विज्ञान : भू -आकृति विकास के नियंत्रक कारण; अंतर्जात एवं बहिर्जात बल: भू -पर्पटी का उद्गम एवं विकास: भू-चुंबकत्व के मूल सिद्धांत: पृथ्वी के अंतरंग की प्राकृतिक दशाएं।भू-अभिनतिः महाद्वीपीय विस्थापनः समस्थितिः प्लेट विवर्तनिकीः पर्वतोत्पति अभिनव विचार: ज्वालामुखी: भूकम्प एवं सुनामी: भू- आकृतिक चक्र एवं दृश्यभूमि विकास की संकल्पनाएं, अनाच्छादन कालानुक्रमः जलमार्ग आकृतिक विज्ञान: अपरदन पृष्ठः प्रवणता विकास: अनुप्रयुक्त भू- आकृति विज्ञान: भू- जल विज्ञान, आर्थिक भू- विज्ञान एवं पर्यावरण।
  2. जलवायु विज्ञान: विश्व के ताप एवं दाब कटिबंध, पृथ्वी का तापीय बजट: वायुमंडल परिसंचरण, वायु मंडल स्थिरता एवं अनस्थिरता, भू- मंडलीय एवं स्थानीय पवन: मानसून एवं जेट प्रवाहः वायु राशि एवं वाताग्रजननः शीतोष्ण एवं उष्णकटिबंधीय चक्रवात : वर्षण के प्रकार एवं वितरण : मौसम एवं जलवायु : कोपेन, थॉर्नवेट एवं त्रैवार्धा का विश्व जलवायु परिवर्तन में मानव की भूमिका एवं अनुक्रिया, अनुप्रयुक्त जलवायु विज्ञान एवं नगरी जलवायु ।
  3. समुद्र विज्ञान: अटलांटिक, हिंद एवं प्रशांत महासागरों की तलीय स्थलाकृति : महासागरों का ताप एवं लवणता : उष्मा एवं लवण बजट, महासागरी निक्षेप : तरंग धाराएं एवं ज्वार भाटा : समुद्रीय संसाधन जीवीय, खनिज एवं ऊर्जा संसाधन, प्रवाल भित्तियां : प्रवाल विरंजन : समुद्र परिवर्तन : समुद्र नियम एवं समुद्री प्रदूषण ।
  4. जीव भूगोल : मृदाओं की उत्पति, मृदाओं का वर्गीकरण एवं वितरण : मृदा परिच्छेदिका : मृदा अपरदन : न्यूनीकरण एवं संरक्षण :  पादप एवं जन्तुओं के वैश्यिक वितरण को प्रभावित करने वाले कारक : वन अपरोपण की समस्याएं एवं संरक्षण के उपाय : सामाजिक वानिकी :  कृषि वानिकी :  वन्य जीवन: प्रमुख जीन पूल केंद्र।
  5. पर्यावरणीय भूगोल : पारिस्थितिकी के सिद्धांत : मानव पारिस्थितिक अनुकूलन : परिस्थितिकी एवं पर्यावरण पर मानव का प्रभाव: वैश्विक एव क्षेत्रीय पारिस्थितिक परिवर्तन एवं असंतुलन: पारितंत्र उनका प्रबंधन एवं संरक्षण: पर्यावरणीय निम्नीकरण, प्रबंध एवं संरक्षण: जैव विविधता एवं संपोषण विकास: पर्यावरणीय शिक्षा एवं विधान |

Geography Optional Syllabus UPSC: मानव भूगोल : 

  1. मानव भूगोल में संदर्श : क्षेत्रीय विभेदन; प्रादेशिक संश्लेषण, द्विभाजन एवं द्वैतवाद: पर्यावरणवाद; मात्रात्मक क्रांति  एवं अवस्थिति विश्लेषण; उग्रसुधार, व्यावहारिक, मानवीय एवं कल्याण उपागमः भाषाएं, धर्म एवं निरपेक्षीकरण; विश्व के सांस्कृतिक  प्रदेश ; मानव विकास सूचक।
  2. आर्थिक भूगोल : विश्व आर्थिक विकास : माप एवं समस्याएं; विश्व संसाधन एवं उनका वितरण, ऊर्जा संकट :  संवृद्धि की सीमाएं; विश्व कृषि : कृषि प्रदेशों की प्रारूपता : कृषि निवेश एवं उत्पादकता; खाद्य एवं पोषण समस्याएं; खाद्य सुरक्षा; दुर्भिक्ष कारण, प्रभाव एवं उपचार, विश्व उद्योग, अवस्थानिक प्रतिरूप एवं समस्याएं; विश्व व्यापार के प्रतिमान |
  3. जनसंख्या एवं बस्ती भूगोल :  विश्व जनसंख्या की वृद्धि और वितरण; जनसांख्यिकी गुण, प्रवासन के कारण एवं परिणाम; अतिरेक- अल्प एवं अनुकूलतम जनसंख्या की संकल्पनाएं; जनसंख्या के सिद्धांत; विश्व जनसंख्या समस्याएं और नीतियां; सामाजिक कल्याण एवं जीवन गुणवत्ता; सामाजिक पूंजी के रूप में जनसंख्या, ग्रामीण बस्तियों के प्रकार एवं प्रतिरूप; ग्रामीण बस्तियों के पर्यावरणीय मुद्दे, नगरीय बस्तियों का पदानुक्रम; नगरीय आकारिकी; प्रमुख शहर एवं श्रेणी आकार प्रणाली की संकल्पना; नगरों का प्रकार्यात्मक वर्गीकरण: नगरीय प्रभाव क्षेत्र; ग्राम नगर उपांत; अनुषंगी नगर, नगरीकरण की समस्याएं एवं समाधान; नगरों का संपोषणीय विकास |
  4. प्रादेशिक आयोजन : प्रदेश की संकल्पना; प्रदेशों के प्रकार एवं प्रदेशीकरण की विधियां : वृद्धि केन्द्र तथा वृद्धि ध्रुवः प्रादेशिक असंतुलन, प्रादेशिक विकास कार्यनीतियां; प्रादेशिक आयोजना में पर्यावरणीय मुद्दे संपोषणीय विकास के लिए आयोजना |
  5. मानव भूगोल में मॉडल, सिद्धांत एवं नियम : मानव भूगोल में प्रणाली विश्लेषण; माल्थस का, मार्क्स का और जनसांख्यिकीय संक्रमण मॉडल: क्रिस्टावर एवं लॉश का केन्द्रीय स्थान सिद्धांत; पेरू एवं बूदेविए; वॉन थूनेन का कृषि अवस्थान मॉडल; वेबर का औद्योगिक अवस्थान मॉडल, ओस्तोव का वृद्धि अवस्था माडल; अंत: भूमि एवं बहि: भूमि सिद्धांत; अंतर्राष्ट्रीय सीमाएं एवं सीमांत क्षेत्र के नियम ।

Geography Optional Syllabus UPSC: प्रश्न पत्र -2

Geography Optional Syllabus UPSC: भारत का भूगोल 

  1. भौतिक विन्यास : पड़ोसी देशों के साथ भारत का अंतरिक्ष संबंध; संरचना एवं उच्चावच; अपवाह तंत्र एवं जल विभाजक; भू-आकृतिक प्रदेश; भारतीय मानसून एवं वर्षा प्रतिरूपः ऊष्णकटिबंधीय चक्रवात एवं पश्चिमी विक्षोभ की क्रिया विधि; बाढ़  एवं अनावृष्टिः जलवायवी प्रदेश, प्राकृतिक वनस्पतिः मृदा प्रकार एवं उनका वितरण |
  2. संसाधन : भूमि, सतह एवं भौमजल, ऊर्जा, खनिज, जीवीय एवं समुद्री संसाधन, वन एवं वन्य जीवन संसाधन एवं उनका संरक्षण, ऊर्जा संकट |
  3. कृषि : अवसंरचनाः सिंचाई, बीज, उर्वरक, विद्युत; संस्थागत कारक: जोत भू-धारण एवं भूमि सुधारः शस्यन प्रतिरूप, कृषि उत्पादकता, कृषि प्रकर्ष, फसल संयोजन, भूमि क्षमता, कृषि एवं सामाजिक वानिकी; हरित क्रांति एवं इसकी सामाजिक आर्थिक एवं पारिस्थितिक विवक्षा, वर्षाधीन खेती का महत्व; पशुधन संसाधन एवं श्वेत क्रांति: जल कृषि; रेशम कीटपालन, मधुमक्खी पालन एवं कुक्कुट पालन, कृषि प्रादेशीकरण, कृषि जलवायवी क्षेत्र; कृषि पारिस्थितिक प्रदेश |
  4. उद्योग : उद्योगों का विकास कपास, जूट, वस्त्रोद्योग, लोह एवं इस्पात, अलुमिनियम, उर्वरक, कागज, रसायन एवं फार्मास्युटिकल्स, आटोमोबाइल, कुटीर एवं कृषि आधारित उद्योगों के अवस्थिति कारक, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों सहित औद्योगिक घराने एवं संकुल; औ‌द्योगिक प्रादेशीकरण, नई औद्योगिक नीतियां; बहुराष्ट्रीय कंपनियां एवं उदारीकरण, विशेष आर्थिक क्षेत्र; पारिस्थितिकी पर्यटन समेत पर्यटन ।
  5. परिवहन, संचार एवं व्यापार : सड़क, रेलमार्ग, जलमार्ग, हवाई मार्ग एवं पाइपलाइन, नेटवर्क एवं प्रादेशिक विकास में उनकी पूरक भूमिका, राष्ट्रीय एवं विदेशी व्यापार वाले पतनों का बढ़ता महत्व, व्यापार संतुलन, व्यापार नीति, निर्यात प्रकमण क्षेत्र; संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी में आया विकास और अर्थव्यवस्था तथा समाज पर उनका प्रभाव; भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम |
  6. सांस्कृतिक विन्यास : भारतीय समाज का ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य ; प्रजातीय, भाषिक एवं नृजातीय विविधताएं; धार्मिक अल्पसंख्यक, प्रमुख जनजातियां, जनजातियां क्षेत्र तथा उनकी समस्याएं, सांस्कृतिक प्रदेश: जनसंख्या की संवृद्धि, वितरण एवं घनत्व: जनसांख्यिकीय गुणः लिंग अनुपात, आयु संरचना, साक्षरता दर, कार्यबल, निर्भरता अनुपात, आयुकाल: प्रवासन (अंतः प्रादेशिक, प्रदेशांतर तथा अंतर्राष्ट्रीय) एवं इससे जुड़ी समस्याएं, जनसंख्या समस्याएं एवं नीतियां, स्वास्थ्य सूचक |
  7. बस्ती : ग्रामीण बस्ती के प्रकार, प्रतिरूप तथा आकारिकी; नगरीय विकास; भारतीय शहरों की आकारिकी; भारतीय शहरों का प्रकार्यात्मक वर्गीकरण; सत्रनगर एवं महानगरीय प्रदेश ; नगर स्वप्रसार गंदी बस्ती एवं उससे जुड़ी समस्याएं; नगर आयोजना; नगरीकरण की समस्या एवं उपचार ।
  8. प्रादेशिक विकास एवं आयोजना : भारत में प्रादेशिक आयोजना का अनुभव; पंचवर्षीय योजनाएं; समन्वित ग्रामीण विकास कार्यक्रमः पंचायती राज एवं विकेंद्रीकृत आयोजना; कमान क्षेत्र विकास, जल विभाजन प्रबंध; पिछड़ा क्षेत्र, मरुस्थल, अनावृष्टि प्रबण, पहाड़ी,  जनजातीय क्षेत्र विकास के लिए आयोजना;  बहुस्तरीय योजना ; प्रादेशिक योजना एवं द्वीप क्षेत्रों का विकास।
  9. राजनैतिक परिप्रेक्ष्य : भारतीय संघवाद का भौगोलिक आधार; राज्य पुनर्गठन, नए राज्यों का आविर्भाव;  प्रादेशिक चेतना एवं अंतर्राज्य मुद्दे; भारत की अंतर्राष्ट्रीय सीमा और संबंधित मुद्दे: सीमापार आतंकवाद, वैश्विक मामलों में भारत की भूमिका, दक्षिण एशिया एवं हिंद महासागर परिमंडल की भू-राजनीति |

Geography Optional Syllabus UPSC: समकालीन मुद्दे :  पारिस्थितिक मुद्दे पर्यावरणीय संकट: भू-स्खलन, भूकंप, सुनामी, बाढ़  एवं अनावृष्टि, महामारी, पर्यावरणीय प्रदूषण से संबंधित मुद्दे, भूमि उपयोग के प्रतिरुप में बदलाव, पर्यावरणीय प्रभाव आकलन एवं पर्यावरण प्रबंधन के सिद्धांत; जनसंख्या विस्फोट एवं खाद्य सुरक्षा, पर्यावरणीय निम्नीकरण, वनोन्मूलन, मरुस्थलीकरण एवं मृदा अपरदन, कृषि एवं औद्योगिक अशांति की समस्याएं ,आर्थिक विकास में प्रादेशिक असमानताएं; संपोषणीय वृद्धि एवं विकास की संकल्पना, पर्यावरणीय संचेतना; नदियों का सहवर्धन भूमंडलीकरण एवं भारतीय अर्थव्यवस्था ।

UPSC GEOGRAPHY OPTIONAL SYLLABUS IN ENGLISH


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Rajasthan Ecotourism Policy 2021: राजस्थान ईको टूरिज्म नीति 2021 के मुख्य बिन्दु

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2 जलवायु विज्ञान
3 समुद्र विज्ञान
4 पर्यावरण भूगोल
5 जनसंख्या एवं अधिवास भूगोल
6 आर्थिक गतिविधि और क्षेत्रीव विकास का भूगोल
7 सांस्कृतिक , सामाजिक एवं राजनैतिक भूगोल
8 भौगोलिक चिंतन
9 भौगोलिक तकनीकियां
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उक्त सिलेबस यूजीसी की आधिकारिक वेबसाईट से लिया गया है फिर भी अभ्यर्थी एक बार आधिकारिक वेबसाईट पर जाकर सभी बिन्दुओं को सुनिश्चित कर लेवें किसी भी प्रकार की त्रुटि होने पर युजीसी द्वारा जारी आधिकारिक सिलेबस ही मान्य होगा

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Composition of Atmosphere | वायुमंडल का संघटन

वायुमंडल पृथ्वी की सतह के उपर वायु का महासागर है जिसमें सभी जीवित प्राणी निवास करते हैं।

वायुमंडल गैसों, जलवाष्प एवं धूल कणों से बना है। वायुमंडल की ऊपरी परतों में गैसों का अनुपात इस प्रकार

बदलता है जैसे कि 120 कि॰मी॰ की ऊँचाई पर आक्सीजन की मात्रा नगण्य हो जाती है। इसी प्रकार, कार्बन

डाईआॅक्साइड एवम् जलवाष्प पृथ्वी की सतह से 90 कि॰मी॰ की ऊँचाई तक ही पाये जाते हैं।

गैस

कार्बन डाईआॅक्साइड मौसम विज्ञान की दृष्टि से बहुत ही महत्त्वपूर्ण गैस है, क्योंकि यह सौर विकिरण के

लिए पारदर्शी है, लेकिन पार्थिव विकिरण के लिए अपारदर्शी है। यह सौर विकिरण के एक अंश को

सोख लेती है तथा इसके कुछ भाग को पृथ्वी की सतह की ओर प्रतिबिंबित कर देती है। यह ग्रीन

हाउस प्रभाव के लिए पूरी तरह उत्तरदायी है। दूसरी गैसों का आयतन स्थिर है, जबकि पिछले कुछ दशकों

में मुख्यतः जीवाश्म ईंधन को जलाये जाने के कारण कार्बन डाईआॅक्साइड के आयतन में लगातार वृद्धि हो

रही है। ओजेान वायुमंडल का दूसरा महत्त्वपूर्ण घटक है जो कि पृथ्वी की सतह से 10 से 50 किलोमीटर की ऊँचाई के बीच पाया जाता है। यह एक फिल्टर की तरह कार्य करता है तथा सूर्य से निकलने वाली पराबैंगनी किरणों को अवशोषित कर उनको पृथ्वी की सतह पर पहुँचने से रोकता है।

जलवाष्प

जलवाष्प वायुमंडल में उपस्थित ऐसी परिवर्तनीय गैस है, जो ऊँचाई के साथ घटती जाती है। गर्म तथा आर्द्र उष्ण

कटिबंध में यह हवा के आयतन का 4 प्रतिशत होती है, जबकि धु्रवों जैसे ठंडे तथा रेगिस्तानों जैसे शुष्क प्रदेशों

में यह हवा के आयतन के 1 प्रतिशत भाग से भी कम होती है। विषुवत् वृत्त से ध्रुवों की तरपफ जलवाष्प की

मात्रा कम होती जाती है। यह सूर्य से निकलने वाले ताप  के  भाग को अवशोषित करती है तथा पृथ्वी से

निकलने वाले ताप को संग्रहित करती है। इस प्रकार यह एक कंबल की तरह कार्य करती है तथा पृथ्वी को

न तो अधिक गर्म तथा न ही अधिक ठंडा होने देती है। जलवाष्प वायु को स्थिर और अस्थिर होने में भी

योगदान देती है।

धूलकण

वायुमंडल में छोटे-छोटे ठोस कणों को भी रखने की क्षमता होती है। ये छोटे कण विभिन्न स्रोतों जैसे-

समुद्री नमक, महीन मिट्टी, धुएँ की कालिमा, राख, पराग, धूल तथा उल्काओं के टूटे हुए कण से निकलते

हैं। धूलकण प्रायः वायुमंडल के निचले भाग में मौजूद होते हैं, पिफर भी संवहनीय वायु प्रवाह इन्हें काफी  ऊँचाई तक ले जा सकता है। धूलकणों का सबसे अधिक जमाव उपोष्ण और शीतोष्ण प्रदेशों में सूखी हवा के कारण होता है, जो विषुवत् और धु्रवीय प्रदेशों की तुलना में यहाँ अधिक मात्रा में होते है। धूल और नमक के कण आर्द्रताग्राही केद्र की तरह कार्य करते हैं जिस के चारों ओर जलवाष्प संघनित होकर मेघों का निर्माण करती हैं।

Internal Structure of Earth

Internal Structure of Earth | पृथ्वी की आंतरिक संरचना

Internal Structure of Earth | पृथ्वी की आंतरिक संरचना से तात्पर्य पृथ्वी की सतह से उसके केन्द्र तक लंबवत संरचना से है। भूगोलविदों एवं भूवैज्ञानिकों नें पृथ्वी की आंतरिक संरचना को मुख्य रूप से तीन भागों में बांटा है।

Internal Structure of Earth

Internal Structure of Earth | भूपर्पटी (crust)

Internal Structure of Earth | यह ठोस पृथ्वी का सबसे बाहरी भाग है। यह बहुत भंगुर (Brittle) भाग है जिसमें जल्दी टूट जाने की प्रवृत्ति पाई जाती है। भूपर्पटी की मोटाई महाद्वीपों व महासागरों  के नीचे अलग.अलग है। महासागरों में भूपर्पटी की मोटाई महाद्वीपों की तुलना में कम है। महासागरों के नीचे इसकी औसत मोटाई 5 कि0 मी0 है| जबकि महाद्वीपों के नीचे यह 30 कि0 मी0 तक है। मुख्य पर्वतीय शृंखलाओं के क्षेत्रा में यह मोटाई और भी अधिक है। हिमालय पर्वत श्रेणियों के नीचे भूपर्पटी की मोटाई लगभग 70 कि0मी0 तक है |

Internal Structure of Earth | मैंटल (Mantle)

Internal Structure of Earth | भूगर्भ में पर्पटी के नीचे का भाग मैंटल कहलाता है। यह मोहो असांतत्य से आरंभ होकर 2,900 कि0 मी0 की गहराई तक पाया जाता है। मैंटल का ऊपरी भाग दुर्बलतामंडल कहा जाता है। ‘एस्थेनो’ शब्द का अर्थ दुर्बलता से है। इसका विस्तार 400 कि0मी0 तक आँका गया है। ज्वालामुखी उद्गार के दौरान जो लावा धरातल पर पहुँचता है, उसका मुख्य स्त्रोत यही है। भूपर्पटी एवं मैंटल का ऊपरी भाग मिलकर स्थलमंडल कहलाते हैं। इसकी मोटाई 10 से 200 कि0 मी0 के बीच पाई जाती है। निचले मैंटल का विस्तार दुर्बलतामंडल के समाप्त हो जाने वेफ बाद तक है। यह ठोस अवस्था में है।

क्रोड (Core)

जैसा कि पहले ही इंगित किया जा चुका है कि भूकंपीय तरंगों  ने पृथ्वी के क्रोड को समझने में सहायता की है। क्रोड व मैंटल की सीमा 2,900 कि0मी0 की गहराई पर है।  बाह्य क्रोड तरल अवस्था में है जबकि आंतरिक क्रोड ठोस अवस्था में है। क्रोड भारी पदार्थों मुख्यतः निकिल व लोहे का बना है। इसे निफे  परत के नाम से भी जाना जाता है।


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SSC CGL 2024: Notification, Application, Exam Dates, Vacancies, Syllabus, Admit Card & Result

The SSC CGL 2024 notification is anticipated to be released in July. Once the official notification is out, the Commission will enable the online application link for SSC CGL 2024. The SSC CHSL and SSC MTS notifications have been delayed, which in turn has pushed back the release of the SSC Combined Graduate Level 2024 notification. Recently, the Commission transitioned to a new website, ssc.gov.in, causing delays in all notifications. Applicants will have one month to complete the SSC CGL 2024 online applications. The SSC CGL 2024 Tier 1 exam is expected to take place in October 2024.

एसएससी सीजीएल 2024 अधिसूचना जुलाई में जारी होने की उम्मीद है। एक बार आधिकारिक अधिसूचना जारी होने के बाद, आयोग एसएससी सीजीएल 2024 के लिए ऑनलाइन आवेदन लिंक सक्षम करेगा। एसएससी सीएचएसएल और एसएससी एमटीएस अधिसूचना में देरी हुई है, जिसके कारण एसएससी संयुक्त स्नातक स्तर 2024 अधिसूचना जारी करने में देरी हुई है। हाल ही में, आयोग ने एक नई वेबसाइट ssc.gov.in पर बदलाव किया, जिससे सभी अधिसूचनाओं में देरी हुई। आवेदकों के पास एसएससी सीजीएल 2024 ऑनलाइन आवेदन पूरा करने के लिए एक महीने का समय होगा। SSC CGL 2024 टियर 1 परीक्षा अक्टूबर 2024 में होने की उम्मीद है।

SSC CGL 2024

SSC CGL 2024: SSC CGL 2024 Posts

SSC CGL 2024: In the official SSC CGL 2024 notification, the Staff Selection Commission will announce the names of the SSC CGL posts, the number of vacancies, the salary details, and the corresponding age limits. Previously, the Commission included the following SSC CGL posts in the official notification:

SSC CGL 2024: आधिकारिक एसएससी सीजीएल 2024 अधिसूचना में, कर्मचारी चयन आयोग एसएससी सीजीएल पदों के नाम, रिक्तियों की संख्या, वेतन विवरण और संबंधित आयु सीमा की घोषणा करेगा। इससे पहले, आयोग ने आधिकारिक अधिसूचना में निम्नलिखित एसएससी सीजीएल पदों को शामिल किया था |

SSC CGL पदों को निम्नलिखित तीन श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया है:

समूह ‘बी’ राजपत्रित
समूह ‘बी’ अराजपत्रित
समूह ‘सी’

  • Group ‘B’ Gazetted
  • Group ‘B’ Non-Gazetted
  • Group ‘C’

SSC CGL 2024: Eligibility Criteria

SSC CGL 2024: The SSC CGL 2024 notification will outline the eligibility criteria for the exam. Candidates should consult the notification to understand the required educational qualifications, age limits, and other conditions necessary for applying to the exam.

SSC CGL 2024: एसएससी सीजीएल 2024 अधिसूचना परीक्षा के लिए पात्रता मानदंड की रूपरेखा तैयार करेगी। परीक्षा में आवेदन करने के लिए आवश्यक शैक्षणिक योग्यता, आयु सीमा और अन्य शर्तों को समझने के लिए उम्मीदवारों को अधिसूचना देखनी चाहिए।

SSC CGL 2024: SSC CGL 2024 Educational Qualification Required

SSC CGL 2024: The Commission will specify the educational qualifications for each post individually. These qualifications will be detailed in the official SSC CGL 2024 notification. Candidates can find the SSC CGL 2024 educational qualifications here.

SSC CGL 2024: आयोग प्रत्येक पद के लिए व्यक्तिगत रूप से शैक्षणिक योग्यता निर्दिष्ट करेगा। इन योग्यताओं का विवरण आधिकारिक एसएससी सीजीएल 2024 अधिसूचना में दिया जाएगा। उम्मीदवार यहां एसएससी सीजीएल 2024 शैक्षणिक योग्यता पा सकते हैं।

SSC CGL 2024: Application Fee

Candidates will need to pay the specified SSC CGL 2024 application fee. The Commission will outline the application fee in the official notification. Below, candidates can view the SSC CGL 2024 application fee as stated in the previous exam’s official notification.

उम्मीदवारों को निर्दिष्ट एसएससी सीजीएल 2024 आवेदन शुल्क का भुगतान करना होगा। आयोग आधिकारिक अधिसूचना में आवेदन शुल्क की रूपरेखा देगा। नीचे, उम्मीदवार एसएससी सीजीएल 2024 आवेदन शुल्क देख सकते हैं जैसा कि पिछली परीक्षा की आधिकारिक अधिसूचना में बताया गया है।

Unreserved Category/OBC100
Reserved CategoryNil

SSC CGL 2024: How To Apply for the SSC CGL 2024?

  1. Visit the official SSC website at ssc.gov.in.
  2. Navigate to the admit card tab in the top menu.
  3. Select the link for the desired regional website.
  4. On the regional site’s homepage, click on the SSC CGL 2024 Tier 1 application status link.
  5. Enter your registration number and date of birth when prompted.
  6. Your SSC CGL 2024 application status will then be displayed on the screen.

SSC CGL 2024: SSC CGL 2024 Syllabus

GK Syllabus
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  • Polity and Governance
  • Economy
  • Environmental Issues
  • Geography and Agriculture
  • International News
  • Science & Tech.
  • Society
  • Government Schemes
  • Person in News and Awards
  • Sports
  • Others

SSC CGL 2024: SSC CGL 2024 Exam Pattern

Candidates are advised to thoroughly understand the SSC CGL 2024 exam pattern to enhance their exam performance. The official notification will detail the SSC CGL 2024 exam pattern, which is not anticipated to undergo changes. Candidates can refer to the SSC CGL exam pattern 2024 for each tier individually.

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UGC NET E Certificate And JRF Award Letter Download

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SSC GD RESULT 2024 LINK DATE AND TIME | एसएससी जीडी रिजल्ट 2024

SSC GD RESULT 2024

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Staff Selection Commission ने 20 फरवरी से 7 मार्च 2024 तक कांस्टेबल GD की परीक्षा आयोजित की। कांस्टेबल GD के तहत, CAF SF असम राइफल्स और नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो के तहत कांस्टेबल की भर्ती आयोजित करता है। इसका परीक्षा परिणाम मार्च के अंतिम सप्ताह में घोषित किया जाएगा या इसके पहले सप्ताह में आने की संभावना है। जैसे ही परिणाम घोषित होगा, हम आपको सबसे पहले सूचित करेंगे।

SSC GD RESULT 2024 LINK DATE AND TIME | एसएससी जीडी रिजल्ट 2024: SSC GD constable result 2024 date Download Details

SSC GD RESULT 2024 LINK DATE AND TIME | एसएससी जीडी रिजल्ट 2024: SSC GD constable result 2024 date Download Details | रिजल्ट जारी होते ही ssc की ऑफिसियल वेबसाइट पर ssc.nic.in या ssc.gov.in पर देखा जा सकता है |

SSC GD RESULT 2024

SSC GD RESULT 2024 LINK DATE AND TIME | एसएससी जीडी रिजल्ट 2024: Important Links

Important Links For Constable GD:

SSC GD RESULT 2024 LINK DATE AND TIME | एसएससी जीडी रिजल्ट 2024: How to Check | ऐसे चेक करें रिजल्ट

एसएससी जीडी परिणाम 2024 की जांच कैसे करें:
स्टेप 1। सबसे पहले कर्मचारी चयन आयोग की आधिकारिक वेबसाइट पर जाएं।
चरण दो। एसएससी वेबसाइट के मुख पृष्ठ पर, आपको दाईं ओर एक परिणाम क्षेत्र दिखाई देगा।
चरण 3। रिजल्ट सेक्शन पर क्लिक करने पर आपको कांस्टेबल जीडी दिखाई देगी, उस पर क्लिक करें।
चरण 4। फिर आपके सामने एक नया पेज खुलेगा जिसमें आप पीडीएफ फाइल पर क्लिक करें और अपनी मेरिट सूची में रोल नंबर का मिलान करें।
चरण 5: भविष्य के संदर्भ के लिए प्रिंट आउट ले लें।

RAMSAR Wetland Sites in INDIA

RAMSAR Wetland Sites in INDIA | रामसर साईट/ रामसर स्थल

RAMSAR Wetland Sites in INDIA. रामसर कन्वेंशन एक अंतराष्ट्रीय संधि है जिसमें आर्द्रभूमियों के संरक्षण , संधारणीय उपयोगिता पर बल दिया गया है। साथ ही आर्द्र भूमियों के मूलभूत पारिस्थितिकीय कार्यप्रणाली एवं उनके आर्थिक, सांस्कृतिक, वैज्ञानिक मूल्यों के पुनर्निर्माण की पहचान की जाती है

RAMSAR Wetland Sites in INDIA

RAMSAR Wetland Sites in INDIA | नवंबर 2022 तक भारत में वेटलेंड साईट अथवा रामसर साईट

भारत सरकार की वेबसाईट… के अनुसार वर्तमान में भारत में कुल 75 रामसर साईट हैं जो निम्नानुसार है।

S. No.State LocationName of SiteDate of DeclarationArea 
1Andhra PradeshKolleru Lake19.8.2002901
2AssamDeepor Beel19.8.200240
3BiharKabartal Wetland21.07.202026.2
4GoaNanda Lake06.08.20220.42
5GujaratKhijadia Wildlife Sanctuary13.04.20215.12
6GujaratNalsarovar Bird Sanctuary24.09.2012120
7GujaratThol Lake Wildlife Sanctuary05.04.20216.99
8GujaratWadhvana Wetland05.04.20216.3
9HaryanaBhindawas Wildlife Sanctuary25.05.20214.12
10HaryanaSultanpur National Park25.05.20211.43
11Himachal PradeshChandertal Wetland8.11.20050.49
12Himachal PradeshPong Dam Lake19.8.2002156.6
13Himachal PradeshRenuka Wetland8.11.20050.2
14Jammu and KashmirHokera Wetland8.11.200513.75
15Jammu and KashmirHygam Wetland Conservation Reserve13.08.20228.02
16Jammu and KashmirShallbugh Wetland Conservation Reserve13.08.202216.75
17Jammu and KashmirSurinsar-Mansar Lakes8.11.20053.5
18Jammu and KashmirWular Lake23.3.1990189
19KarnatakaRanganathittu Bird Sanctuary15.02.20225.18
20KeralaAsthamudi Wetland19.8.200261.4
21KeralaSasthamkotta Lake19.8.20023.73
22KeralaVembanad Kol Wetland19.8.20021513
23LadakhTso Kar Wetland Complex17.11.202095.77
24LadakhTsomoriri Lake19.8.2002120
25Madhya PradeshBhoj Wetlands19.8.200232.01
26Madhya PradeshSakhya Sagar01.07.20222.48
27Madhya PradeshSirpur Wetland01.07.20221.61
28Madhya PradeshYashwant Sagar13.08.20228.23
29MaharashtraLonar Lake22.7.20204.27
30MaharashtraNandur Madhameshwar21.6.201914.37
31MaharashtraThane Creek13.08.202265.21
32ManipurLoktak Lake23.3.1990266
33MizoramPala Wetland31.08.202118.5
34OdishaAnsupa Lake13.08.20222.31
35OdishaBhitarkanika Mangroves19.8.2002650
36OdishaChilka Lake1.10.19811165
37OdishaHirakud Reservoir13.08.2022654
38OdishaSatkosia Gorge10.12.2021982
39OdishaTampara Lake13.08.20223
40PunjabBeas Conservation Reserve26.9.201964.29
41PunjabHarike Lake23.3.199041
42PunjabKanjli Lake22.1.20021.83
43PunjabKeshopur-Miani Community Reserve26.9.20193.44
44PunjabNangal Wildlife Sanctuary26.9.20191.16
45PunjabRopar Lake22.1.200213.65
46RajasthanKeoladeo Ghana NP1.10.198128.73
47RajasthanSambhar Lake23.3.1990240
48Tamil NaduChitrangudi Bird Sanctuary13.08.20222.6
49Tamil NaduGulf of Mannar Marine Biosphere Reserve04.08.2022526.7
50Tamil NaduKanjirankulam Bird Sanctuary13.08.20220.97
51Tamil NaduKarikili Bird Sanctuary04.08.20220.58
52Tamil NaduKoonthankulam Bird Sanctuary11.08.20210.72
53Tamil NaduPallikaranai Marsh Reserve Forest04.08.202212.48
54Tamil NaduPichavaram Mangrove04.08.202214.79
55Tamil NaduPoint Calimere Wildlife and Bird Sanctuary19.8.2002385
56Tamil NaduSuchindram Theroor Wetland Complex13.08.20220.94
57Tamil NaduUdhayamarthandapuram Bird Sanctuary04.08.20220.44
58Tamil NaduVaduvur Bird Sanctuary13.08.20221.13
59Tamil NaduVedanthangal Bird Sanctuary04.08.20220.4
60Tamil NaduVellode Bird Sanctuary04.08.20220.77
61Tamil NaduVembannur Wetland Complex04.08.20220.2
62TripuraRudrasagar Lake8.11.20052.4
63Uttar PradeshBakhira Wildlife Sanctuary29.06.202128.94
64Uttar PradeshHaiderpur Wetland8.12.202169.08
65Uttar PradeshNawabganj Bird Sanctuary19.9.20192.25
66Uttar PradeshParvati Agra Bird Sanctuary2.12.20197.22
67Uttar PradeshSaman Bird Sanctuary2.12.20195.26
68Uttar PradeshSamaspur Bird Sanctuary3.10.20197.99
69Uttar PradeshSandi Bird Sanctuary26.9.20193.09
70Uttar PradeshSarsai Nawar Jheel19.9.20191.61
71Uttar PradeshSur Sarovar21.8.20204.31
72Uttar PradeshUpper Ganga River8.11.2005265.9
73UttarakhandAsan Conservation Reserve21.7.20204.44
74West BengalEast Kolkata Wetlands19.8.2002125
75West BengalSunderbans Wetland30.1.20194230

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WESTERN GHATS AND EASTERN GHAT MOUNTAINS

WESTERN GHATS AND EASTERN GHAT MOUNTAINS | पश्चिमी घाट एवं पूर्वी घाट पर्वत

WESTERN GHATS AND EASTERN GHAT MOUNTAINS | पश्चिमी घाट एवं पूर्वी घाट पर्वत : प्रायद्वीपीय भारत के पश्चिमी एवं पूर्वी किनारों पर स्थित हैं | पश्चिमी घाटपर्वत ब्लोक पर्वत हैं जबकि पूर्वी घाट पर्वत मोडदार पर्वत श्रेणियों के अवशिष्ट भाग हैं | पश्चिमी घाटपर्वत सतत श्रेणियां हैं जबकि पूर्वी घाट कटी फटी श्रेणियों के रूप में स्थित हैं |

WESTERN GHATS AND EASTERN GHAT MOUNTAINS

WESTERN GHATS AND EASTERN GHAT MOUNTAINS | पश्चिमी घाट

  • औसत ऊंचाई 1000 से 1300 मीटर |
  • तापी नदी के तटसे कन्याकुमारी तक 1600 किमी की लम्बाई में फैला है |
  • चार प्रमुख दर्रे पालघाट भोरघाट थालघाट और सेनकोटा घाट हैं |
  • वास्तविक पर्वत श्रेणी नहीं बल्कि प्रायद्वीपीय पठार का कगार है |
  • सर्वोच्च चोटी अन्नैमुदी अन्नामलाई की पहाडियों में स्थित है |
  • ऊंचाई में उत्तर से दक्षिण की और वृद्धि |
  • महारास्ट्र गोवा एवं कर्णाटक में सह्याद्री के नाम से जाना जाता है |

WESTERN GHATS AND EASTERN GHAT MOUNTAINS | पूर्वी घाट पर्वत

  • औसत ऊंचाई 900से 1100 मीटर |
  • महानदी की घाटी से दक्षिण में निलगिरी तक 1800 किमी के लम्बाई में विस्तृत |
  • इन्हें पूर्वाद्री श्रेणी के नाम से भी जाना जाता है |
  • प्राचीन मोडदार वलित पर्वत का अवशिस्ट रूप |
  • इसका सर्वोच्च शिखर विशाखापटनम चोटी है जिसकी ऊंचाई 1680 मीटर है |
  • बंगाल की खाड़ी में गिरने वाली नदियों ने इसे जगह जगह से अपरदित कर दिया है |

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Continental Drift Theory NET UPSC

Continental Drift Theory NET UPSC | वेगनर का महाद्वीपीय प्रवाह सिद्धांत

Continental Drift Theory NET UPSC. वेगनर से पूर्व एफ बी टेलर ने महादिपीय प्रवाह की बात कही थी | किन्तु इस दिशा में पहला महत्वपूर्ण प्रयास वेगनर महोदय का रहा जिन्होंने अपने सिद्धांत के पक्ष में महत्वपूर्ण प्रमाण दिए एवं प्लेट टेकटोनिक जैसे महत्वपूर्ण सिद्धांतो कि राह प्रशस्त की |

Continental Drift Theory NET UPSC

Continental Drift Theory NET UPSC | सामान्य परिचय

अल्फ्रेड वेगनर – जर्मन विद्वान मूलतः जलवायुवेत्ता |
इनका उद्देश्य – महासागरीय तली एवं महाद्वीपों कि स्थिरता का खंडन करना एवं जलवायु परिवर्तनों कि व्याख्या करना |
एक ही स्थान पर जलवायु में समय समय पर परिवर्तन जिसके पीछे दो संभावनाए या तो जलवायु कटिबंध गतिशील या फिर स्थल भाग गतिशील |
प्रवाह का सुझाव अंतोनियो स्नाइडर जिगसा फिट – बेकन |

Continental Drift Theory NET UPSC | सिद्धांत का प्रधान रूप-

  • कार्बोनिफेरस काल में सभी महाद्वीप एक स्थल भाग के रूप मे | इस विशाल महाद्वीप का नाम पेंजिया| इसके चारो तरफ विशाल जलराशि – पेंथालासा |
  • पेंजिया का उत्तरी भाग लौरेंसिया अथवा अन्गारालेंड एवं दक्षिणी भाग गोंडवाना लैंड |
  • पेंजिया की तीन परतें सियाल सीमा एवं निफे
  • सियाल बिना किसी रुकावट के सीमा पर तैर रहा था
  • दक्षिणी ध्रुव इस समय डर्बन के पास
  • बाद में पेंजिया का विभाजन एवं महाद्वीपों तथा महासागरों का वर्तमान स्वरुप अस्तित्व में |

सिद्धांत के पक्ष में प्रमाण

  • आंध्र महासागर के दोनों तटो में भौगोलिक साम्य(जिगसा फिट )
  • दोनों तटो के केलिडोनियनएवं हरसिनियन पर्वातिकरण में समानता
  • दोनों तटो के भूवैज्ञानिक संरचना में साम्य
  • दोनों तटो पर चट्टानों में जीवावशेष एवं गेल्सोप्टेरस वनस्पति के अवशेष में समानता
  • गोंडवाना के तटवर्ती क्षेत्रों में प्लेसर निक्षेप में समानता
  • कार्बोनिफेरस हिमानिकरण का प्रभाव ब्राजील फोकलैंड आस्ट्रलिया प्रायद्वीपीय भारत दक्षिणी अफ्रीका में

प्रवाह सम्बन्धी बल-

  • उत्तर कि ओर- गुरुत्व बल या प्लवनशीलता के कारण
  • पश्चिम कि ओर-सूर्य व चन्द्रमा का ज्वारीय बल

महाद्वीपों एवं महासागरो का वर्तमान स्वरुप

  • दोनों अमेरिका का पश्चिम कि ओरप्रवाह अटलांटिक महासागर अस्तित्व में
  • आस्ट्रेलिया एवं भारत का उत्तर पूर्व कि ओर प्रवाह हिन्द महासागर अस्तित्व में
  • पेंथालासा का अवशेष – प्रशांत महासागर
  • स्थल एवं जल का वर्तमान स्वरुप प्लायोसिन युग तक पूर्ण

पर्वतों का निर्माण

  • दोनों अमेरिका का पश्चिम कि तरफ प्रवाह सियाल द्वारा सीमा पर रुकावट पैदा करने से रोकीज एवं एंडीज का निर्माण
  • इसी प्रकार हिमालय एवं अल्पाइन पर्वत श्रेणियों कि रचना
  • द्वीपीय चाप की उत्पत्ति – महाद्वीपों के प्रवाह में शिथिलता – पीछे छुटा भाग द्वीप – सखालिन , जापान, कुराइल आदि |

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Divisions of Himalayas NET UPSC | हिमालय का विभाजन

Divisions of Himalayas NET UPSC

Divisions of Himalayas NET UPSC हिमालय का विभाजन दो प्रकार से किया गया है। प्रथम विभाजन हिमालय की निर्माण के विभिन्न चरणों की आयु के आधार पर इसे समानांतर विभाजन एवं द्वितीय विभाजान हिमालय को पार करने वाली नदियों के आधार पर किया गया है इसे लंबवत विभाजन भी कहते हैं

Divisions of Himalayas NET UPSC | हिमालय का समानांतर विभाजन

Divisions of Himalayas NET UPSC | इसके अनुसार हिमालय के चार उप विभाजन किये गए हैं 1. ट्रांस हिमालय अथवा तिब्बत हिमालय 2. वृहद् हिमालय अथवा महान हिमालय 3. लघु अथवा मध्य हिमालय 4. बाह्य अथवा शिवालिक हिमालय  |

1. ट्रांस हिमालय अथवा तिब्बत हिमालय हिमालय पर्वत श्रेणी के निर्माण प्रक्रम में सर्वप्रथम इस श्रेणी का निर्माण हुआ | निर्माण अवसादी शैलों से हुआ है| सतलज,सिन्धु,ब्रह्मपुत्र जैसी नदियों का उद्गम स्थल | भारत की सर्वोच्च छोटी k2 या गोडविन अस्टिन इसी श्रेणी में स्थित है | यह तिब्बत के पठार से indo सान्ग्पो सचर जोन द्वारा अलग होती है | सियाचिन , बाल्तेरा , हिस्पार आदि प्रमुख ग्लेसिअर हैं |

2. वृहद् अथवा महान हिमालय हिमालय की सर्वाधिक सतत एवं ऊँची श्रंखला है | इसकी औसत ऊंचाई 6100मीटर है और चौड़ाई 120 से 190 किमी तक है | पश्चिम में सिन्धु नदी के महाखड्ड से पूर्व में ब्रह्मपुत्र के मोड़ तक फैली हुई है | विश्व के अधिकांश सर्वोच्च शिखर इसी श्रेणी में स्थित है |

3. लघु अध्वा मध्य हिमालय यह वृहद् हिमालय से मेन सेंट्रल थ्रस्ट द्वारा अलग होता है | औसत ऊंचाई 3500से 4500 किमी एवं चौड़ाई 60 से 80किमी है | पीरपंजाल , धौलाधार , नाग टिब्बा एवं महाभारत इस भाग की मुख्य पर्वत श्रेणियां हैं | बुर्जिल व बनिहाल मुख्य दर्रे हैं | यह शिवालिक हिमालय से मेन बाउन्ड्री फाल्ट द्वारा अलग होता है |

4. बाह्य अथवा शिवालिक हिमालय यह हिमालय की सबसे बाहरी एवं दक्षिणी श्रंखला है | हिमालय की सबसे नविन पर्वत श्रेणी है | चौड़ाई 10 से 50किमी एवं ऊंचाई 600से 1500 मी के मध्य है | लम्बव घाटियाँ पश्चिम में दून एवं पूर्व में द्वार कहलाती है जैसे देहरादून हरीद्वार |

हिमालय का लम्बवत विभाजन

हिमालय का लम्बवत विभाजन सिन्धु , सतलज, काली एवं तीस्ता नदियों के मध्य स्थित क्षेत्रों के आधार पर किया गया है | इसके अनुसार हिमालय के चार उप विभाजन किये गए हैं – 1. कश्मीर हिमालय 2. कुमायु हिमालय 3. नेपाल हिमालय 4. असम हिमालय |

1. कश्मीर हिमालय

सिन्धु एवं सतलज के मध्य स्थित हिमालय को कश्मीर हिमालय अथवा पंजाब हिमालय के नाम से जाना जाता है | यह 560 किमी की लम्बाई में विस्तृत है | 250 से 400 किमी की चौड़ाई में विस्तृत है | यह कश्मीर एवं हिमाचल प्रदेश राज्यों में फैला है | इसके अंतर्गत जास्कर , लद्दाख , काराकोरम , पीरपंजाल और धौलाधार श्रेणियां सम्मिलित हैं |

2. कुमायु हिमालय सतलज एवं काली नदी के मध्य 320किमी की लम्बाई में फैला हुआ है | इसके पश्चिमी भाग को गढ़वाल हिमालय एवं पूर्वी भाग को कुमायूं हिमालय कहा जाता है | गंगोत्री,यमुनोत्री, नैनीताल इसी भाग में स्थित हैं |

3. नेपाल हिमालय काली एवं तिस्ता नदी के मध्य 800 किमी की लम्बाई में फैला है | यहाँ हिमालय की चौड़ाई सबसे कम है | इस भाग में भारत की सबसे ऊँची चोटियाँ कंचनजंगा , मैकालू , एवरेस्ट आदि स्थित हैं |

4. असम हिमालय यह तिस्ता से लेकर ब्रह्मपुत्र तक 750 किमी की लम्बाई में फैला हुआ है | यह भूटान, सिकिम , अरुणाचल प्रदेश एवं असम राज्यों में फैला है | इसकी सबसे ऊँची छोटी नामचा बरवा(7756 मी) है|


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Block Mountain or Horst

Block Mountain or Horst | ब्लाक पर्वत या होर्स्ट पर्वत

Table of Contents

Block Mountain or Horst

Block Mountain or Horst वे पर्वत जिनका निर्माण दो भूखंडों के बीच स्थित भूखंड के ऊपर उठ जाने से अथवा बाहरी दोनों भूखंडो के धंस जाने से होता है ब्लोक पर्वत कहलाते हैं | ब्लाक पर्वत के बीच स्थित भूमि को ग्राबेन कहते हैं |

इसका आकर मेज के सामान होता है जिसके किनारे तीव्र ढाल वाले होते हैं | इनकी उत्पत्ति में भ्रंशों के कारण होती है इसलिए इन्हें भ्रन्शोत्थ पर्वत भी कहा जाता है | जर्मन भाषा में इन्हें होर्स्ट कहा जाता है |

विन्धयाचल और सतपुरा ब्लाक पर्वत हैं जिनके मध्य भूभाग धंसने से नर्मदा नदी की घाटी का निर्माण हुआ है |

Block Mountain or Horst

इसे भी पढ़ें : Divisions of Himalayas | हिमालय का विभाजन


India-Location

India-Location | भारत की स्थिति। भारत का भूगोल

India-Location. भारत एक दक्षिण एशिया में स्थित देश है। इसकी सीमाएँ पश्चिम में पाकिस्तान, उत्तर में चीन, नेपाल, और भूटान, पूर्व में बांगलादेश और म्यांमार (बर्मा), और दक्षिण में श्रीलंका से मिलती हैं। हिन्द महासागर भारत की दक्षिणी और पश्चिमी सीमा का भाग है। इसका कुल क्षेत्रफल लगभग 3.29 मिलियन वर्ग किलोमीटर है

India-Location | भारत की स्थिति। भारत का भूगोल

  • भारत का आक्षांशीय एवं देशांतरीय विस्तार लगभग 30 डिग्री है।
  • इसका उत्तर से दक्षिण विस्तार 3214 किमी एवं पूर्व से पश्चिम विस्तार 2933 किमी है।
  • देशांतरीय विस्तार 30 डिग्री होने के कारण अरूणाचल प्रदेश एवं गुजरात में सूर्योदय के समय में दो घण्टे का अंतर है।
  • भारत का क्षेत्रफल 32,87,263 वर्ग किमी है।
  • यह विश्व के स्थल का 2.4 प्रतिशत है।
  • भारत क्षेत्रफल की दृष्टि से विश्व का सातवां बड़ा देश है।
India-Location

आकार

  • भारतीय उपमहाद्वीप में भारत, पाकिस्तान, भूटान, नेपाल, बांग्लादेश सम्मिलित है।
  • द्वीप समूह समेत भारत की तटरेखा की कुल लंबाई 7517 किमी है।
  • भारत एशिया महाद्वीप के दक्षिण मध्य भाग में स्थित है।
  • श्रीलंका और मालदीव दो द्वीपीय पड़ोसी देश हैं।
  • श्रीलंका भारत से मन्नार की खाड़ी और पाक जलसंधि द्वारा जुड़ा हुआ है।

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