Atmospheric Humidity and its Types | वायुमंडलीय आर्द्रता एवं इसके प्रकार
Atmospheric Humidity and its Types. आर्द्रता – वायु में उपस्थित नमी की मात्र आर्द्रता कहलाती है | प्रति इकाई आयतन में इसकी अधिकतम मात्रा 4 प्रतिशत तक ही हो सकती है | जिस स्थान पर वाष्पीकरण अधिक होता है वहां जलवाष्प की मात्र अधिक होती है अतः इसकी मात्र स्थल से जल एवं भूमध्य रेखा से ध्रुवो की ओर परिवर्तनशील होती है |
महासागरो पर सर्वाधिक वाष्पीकरण 20-40 अक्षांशों के मध्य होता है क्युकी इन अक्षांशो में पवन की गति तीव्र होती है | वाष्पीकरण के विपरीत प्रक्रिया संघनन है | एक निश्चित तापमान पर एक घन मीटर वायु जितनी जलवाष्प अवशोषित कर सकती है उसे वायु की आर्द्रता सामर्थ्य कहते हैं | जब वायु में आर्द्रता सामर्थ्य के बराबर जलवाष्प आ जाती है तो ऐसी वायु संतृप्त वायु कहलाती है एवं जिस तापमान पर वायु संतृप्त होती है उसे ओसांक बिंदु कहते हैं |
आर्द्रता को तीन प्रकार से व्यक्त किया जाता है –
- निरपेक्ष आर्द्रता
- विशिष्ट आर्द्रता
- सापेक्ष आर्द्रता अथवा रिलेटिव हुमिडिटी
Atmospheric Humidity and its Types | निरपेक्ष आर्द्रता
वायु के प्रति इकाई आयतन में विद्यमान जलवाष्प की मात्रा | इसे ग्राम प्रति घन मीटर में व्यक्त करते हैं | यह स्थान व समय के अनुसार परिवर्तनशील है | तापमान में वृद्धि करने पर हवा कि जलवाष्प धारण करने की क्षमता में वृद्धि करती है | एवं तापमान में कमी इसकी नमी धारण करने की क्षमता में कमी करती है | यह जलवाष्प की वास्तविक मात्र को प्रकट करती है |
विशिष्ट आर्द्रता
वायु के प्रति इकाई भार में उपस्थित जलवाष्प की मात्र को विशिष्ट आर्द्रता कहा जाता है | इसे ग्राम प्रति किलोग्राम में व्यक्त करते हैं | यह आर्द्रता के मापक कि सर्वाधिक उपयुक्त विधि है | उदाहरण के लिए यदि एक किलोग्राम वायु में 5 ग्राम जलवाष्प है तो वायु की विशिष्ट आर्द्रता 5 ग्राम प्रति किलोग्राम होगी | यह भूमध्य रेखा के पास अधिकतम एवं ध्रुवों पर न्यूनतम होती है |
सापेक्ष आर्द्रता
किसी निश्चित तापमान पर वायु में उपस्थित नमी की मात्र एवं उसी तापमान पर वायु की आर्द्रता ग्रहण करने की सामर्थ्य / आर्द्रता सामर्थ्य का अनुपात सापेक्ष आर्द्रता कहलाता है | इसे प्रतिशत में व्यक्त किया जाता है | जब सापेक्ष आर्द्रता 100 प्रतिशत हो जाती है तो वायु संतृप्त हो जाती है एवं संघनन प्रारंभ हो जाता है | सापेक्षिक आर्द्रता में भूमध रेखा से ध्रुवों की ओर तथा सागरतल से ऊंचाई बढ़ने पर कमी होती है |