RAMSAR Wetland Sites in INDIA. रामसर कन्वेंशन एक अंतराष्ट्रीय संधि है जिसमें आर्द्रभूमियों के संरक्षण , संधारणीय उपयोगिता पर बल दिया गया है। साथ ही आर्द्र भूमियों के मूलभूत पारिस्थितिकीय कार्यप्रणाली एवं उनके आर्थिक, सांस्कृतिक, वैज्ञानिक मूल्यों के पुनर्निर्माण की पहचान की जाती है।
RAMSAR Wetland Sites in INDIA | नवंबर 2022 तक भारत में वेटलेंड साईट अथवा रामसर साईट
भारत सरकार की वेबसाईट… के अनुसार वर्तमान में भारत में कुल 75 रामसर साईट हैं जो निम्नानुसार है।
WESTERN GHATS AND EASTERN GHAT MOUNTAINS | पश्चिमी घाट एवं पूर्वी घाट पर्वत : प्रायद्वीपीय भारत के पश्चिमी एवं पूर्वी किनारों पर स्थित हैं | पश्चिमी घाटपर्वत ब्लोक पर्वत हैं जबकि पूर्वी घाट पर्वत मोडदार पर्वत श्रेणियों के अवशिष्ट भाग हैं | पश्चिमी घाटपर्वत सतत श्रेणियां हैं जबकि पूर्वी घाट कटी फटी श्रेणियों के रूप में स्थित हैं |
WESTERN GHATS AND EASTERN GHAT MOUNTAINS | पश्चिमी घाट
औसत ऊंचाई 1000 से 1300 मीटर |
तापी नदी के तटसे कन्याकुमारी तक 1600 किमी की लम्बाई में फैला है |
चार प्रमुख दर्रे पालघाट भोरघाट थालघाट और सेनकोटा घाट हैं |
वास्तविक पर्वत श्रेणी नहीं बल्कि प्रायद्वीपीय पठार का कगार है |
सर्वोच्च चोटी अन्नैमुदी अन्नामलाई की पहाडियों में स्थित है |
ऊंचाई में उत्तर से दक्षिण की और वृद्धि |
महारास्ट्र गोवा एवं कर्णाटक में सह्याद्री के नाम से जाना जाता है |
WESTERN GHATS AND EASTERN GHAT MOUNTAINS | पूर्वी घाट पर्वत
औसत ऊंचाई 900से 1100 मीटर |
महानदी की घाटी से दक्षिण में निलगिरी तक 1800 किमी के लम्बाई में विस्तृत |
इन्हें पूर्वाद्री श्रेणी के नाम से भी जाना जाता है |
प्राचीन मोडदार वलित पर्वत का अवशिस्ट रूप |
इसका सर्वोच्च शिखर विशाखापटनम चोटी है जिसकी ऊंचाई 1680 मीटर है |
बंगाल की खाड़ी में गिरने वाली नदियों ने इसे जगह जगह से अपरदित कर दिया है |
GEOGRAPHICAL THOUGHT NET GEOGRAPHY. यूनानी विद्वानों का चिरसम्मत काल ईसा पूर्व 900 से पहली शताब्दी तक माना जाता है | इस दौरान भूगोल की कई शाखाओं से सम्बंधित महत्वपूर्ण कार्य किये गए | नीचे के लेख में कुछ महत्वपूर्ण भूगोलविद एवं उनके कार्यो का संक्षिप्त विवरण दिया गया है | last update 25-05-2023.
GEOGRAPHICAL THOUGHT NET GEOGRAPHY | ग्रीक भूगोलविद एवं उनके महत्वपूर्ण कार्य
होमर – इलियाड व ओडेसी की रचना की | चार प्रकार की पवनो के विषय में बताया उत्तरी – बोरस , दक्षिणी – नोटस , पूर्वी – यूरस , पश्चिमी जेफ्राईटस |
थेल्स– पृथ्वी की माप |
अनेक्जिमेंडर – नोमोन नामक यंत्र का प्रयोग किया | विश्व का प्रथम मानचित्र बनाया |
हिकेटियस – जेस पेरिओडेस की रचना की इसमें विश्व का व्यवस्थित वर्णन है | इसे भूगोल का पिता कहा जाता है |
हीरोडोटस – इन्हें इतिहास का पिता कहा जाता है | मिस्त्र को नील नदी का वरदान कहा | इनका प्रसिद्द कथन ‘‘इतिहास को भौगोलिक दृष्टि से एवं भूगोल को ऐतिहासिक दृष्टि से देखना चाहिए ’’ | केस्पियन को आन्तरिक सागर बताया | अफ्रीका महाद्वीप को 3 कटिबन्धों में विभाजित किया |
इरेटोस्थेनिज – भूमध्य रेखा की लम्बाई का निर्धारण किया | मानचित्र पर अक्षांश व देशान्तरो को दर्शाया | जिओडेसी(भू गणित ) का संस्थापक | क्रमबद्ध भूगोल का पिता | ग्लोब को पांच कटिबंध में विभाजित किया | ‘‘भूगोल का पिता ’’ |
हिप्पार्कस – एस्ट्रोलैब का अविष्कार किया | स्टीरियो ग्राफ़िक एवं ओर्थोग्रफिक प्रोजेक्शन का निर्माण किया | वृत्त को 360 डिग्री में विभाजित किया |
पोसिडोनियस –इन्होने बताया अधिकतम तापमान ट्रॉपिक्स पर | महासागर विज्ञानी | ज्वर भाटा – अमावस्या एवं पूर्णिमा को |
हेराक्लाईडीस – पृथ्वी का कीली पर घूर्णन बताया |
थेल्स व अरस्तु – पृथ्वी को गोल बताया | अरस्तु – उद्देश्यवादी (Teleological)
रोमन विद्वानों का योगदान
इतिहास में यूनानी साम्राज्य के पतन के बाद रोमन साम्राज्य का उदय हुआ | रोमन काल के दौरान भुगोलवेताओं की रूचि सैद्धांतिक कार्यों की अपेक्षा प्रायोगिक कार्यो में अधिक थी | प्रमुख रोमन भूगोलविदों एवं उनके कार्यों का संक्षिप्त विवरण नीचे दिया गया है |
स्ट्रेबो – प्रादेशिक विज्ञान का पिता | कोरोलोजी का जनक | भूगोल को कोरोलोजिकल विज्ञान कहा |ग्रन्थ – हिस्टोरिकल मेमॉयर , जियोग्राफीका|
टोलेमी – शंक्वाकार प्रक्षेप की रचना | ग्रन्थ – अल्मागस्ट, जियोग्राफीका सिंटेक्सिस| कोलंबस द्वारा अमेरिका की ख़ोज में अप्रत्यक्ष सहायता | मानचित्र पर बंगाल की खाड़ी को प्रदर्शित किया |
पम्पोनियस मेला – अंतिम रोमन विद्वान | प्लिनी – ग्रन्थ हिस्टोरिका नेचुरलिस की रचना |
Continental Drift Theory NET UPSC. वेगनर से पूर्व एफ बी टेलर ने महादिपीय प्रवाह की बात कही थी | किन्तु इस दिशा में पहला महत्वपूर्ण प्रयास वेगनर महोदय का रहा जिन्होंने अपने सिद्धांत के पक्ष में महत्वपूर्ण प्रमाण दिए एवं प्लेट टेकटोनिक जैसे महत्वपूर्ण सिद्धांतो कि राह प्रशस्त की |
Continental Drift Theory NET UPSC | सामान्य परिचय
अल्फ्रेड वेगनर – जर्मन विद्वान मूलतः जलवायुवेत्ता | इनका उद्देश्य – महासागरीय तली एवं महाद्वीपों कि स्थिरता का खंडन करना एवं जलवायु परिवर्तनों कि व्याख्या करना | एक ही स्थान पर जलवायु में समय समय पर परिवर्तन जिसके पीछे दो संभावनाए या तो जलवायु कटिबंध गतिशील या फिर स्थल भाग गतिशील | प्रवाह का सुझाव अंतोनियो स्नाइडर जिगसा फिट – बेकन |
Continental Drift Theory NET UPSC | सिद्धांत का प्रधान रूप-
कार्बोनिफेरस काल में सभी महाद्वीप एक स्थल भाग के रूप मे | इस विशाल महाद्वीप का नाम पेंजिया| इसके चारो तरफ विशाल जलराशि – पेंथालासा |
पेंजिया का उत्तरी भाग लौरेंसिया अथवा अन्गारालेंड एवं दक्षिणी भाग गोंडवाना लैंड |
पेंजिया की तीन परतें सियाल सीमा एवं निफे
सियाल बिना किसी रुकावट के सीमा पर तैर रहा था
दक्षिणी ध्रुव इस समय डर्बन के पास
बाद में पेंजिया का विभाजन एवं महाद्वीपों तथा महासागरों का वर्तमान स्वरुप अस्तित्व में |
सिद्धांत के पक्ष में प्रमाण
आंध्र महासागर के दोनों तटो में भौगोलिक साम्य(जिगसा फिट )
दोनों तटो के केलिडोनियनएवं हरसिनियन पर्वातिकरण में समानता
दोनों तटो के भूवैज्ञानिक संरचना में साम्य
दोनों तटो पर चट्टानों में जीवावशेष एवं गेल्सोप्टेरस वनस्पति के अवशेष में समानता
गोंडवाना के तटवर्ती क्षेत्रों में प्लेसर निक्षेप में समानता
कार्बोनिफेरस हिमानिकरण का प्रभाव ब्राजील फोकलैंड आस्ट्रलिया प्रायद्वीपीय भारत दक्षिणी अफ्रीका में
प्रवाह सम्बन्धी बल-
उत्तर कि ओर- गुरुत्व बल या प्लवनशीलता के कारण
पश्चिम कि ओर-सूर्य व चन्द्रमा का ज्वारीय बल
महाद्वीपों एवं महासागरो का वर्तमान स्वरुप
दोनों अमेरिका का पश्चिम कि ओरप्रवाह अटलांटिक महासागर अस्तित्व में
आस्ट्रेलिया एवं भारत का उत्तर पूर्व कि ओर प्रवाह हिन्द महासागर अस्तित्व में
पेंथालासा का अवशेष – प्रशांत महासागर
स्थल एवं जल का वर्तमान स्वरुप प्लायोसिन युग तक पूर्ण
पर्वतों का निर्माण
दोनों अमेरिका का पश्चिम कि तरफ प्रवाह सियाल द्वारा सीमा पर रुकावट पैदा करने से रोकीज एवं एंडीज का निर्माण
इसी प्रकार हिमालय एवं अल्पाइन पर्वत श्रेणियों कि रचना
द्वीपीय चाप की उत्पत्ति – महाद्वीपों के प्रवाह में शिथिलता – पीछे छुटा भाग द्वीप – सखालिन , जापान, कुराइल आदि |
Divisions of Himalayas NET UPSC हिमालय का विभाजन दो प्रकार से किया गया है। प्रथम विभाजन हिमालय की निर्माण के विभिन्न चरणों की आयु के आधार पर इसे समानांतर विभाजन एवं द्वितीय विभाजान हिमालय को पार करने वाली नदियों के आधार पर किया गया है इसे लंबवत विभाजन भी कहते हैं।
Divisions of Himalayas NET UPSC | हिमालय का समानांतर विभाजन
Divisions of Himalayas NET UPSC | इसके अनुसार हिमालय के चार उप विभाजन किये गए हैं 1. ट्रांस हिमालय अथवा तिब्बत हिमालय 2. वृहद् हिमालय अथवा महान हिमालय 3. लघु अथवा मध्य हिमालय 4. बाह्य अथवा शिवालिक हिमालय |
1. ट्रांस हिमालय अथवा तिब्बत हिमालय हिमालय पर्वत श्रेणी के निर्माण प्रक्रम में सर्वप्रथम इस श्रेणी का निर्माण हुआ | निर्माण अवसादी शैलों से हुआ है| सतलज,सिन्धु,ब्रह्मपुत्र जैसी नदियों का उद्गम स्थल | भारत की सर्वोच्च छोटी k2 या गोडविन अस्टिन इसी श्रेणी में स्थित है | यह तिब्बत के पठार से indo सान्ग्पो सचर जोन द्वारा अलग होती है | सियाचिन , बाल्तेरा , हिस्पार आदि प्रमुख ग्लेसिअर हैं |
2. वृहद् अथवा महान हिमालय हिमालय की सर्वाधिक सतत एवं ऊँची श्रंखला है | इसकी औसत ऊंचाई 6100मीटर है और चौड़ाई 120 से 190 किमी तक है | पश्चिम में सिन्धु नदी के महाखड्ड से पूर्व में ब्रह्मपुत्र के मोड़ तक फैली हुई है | विश्व के अधिकांश सर्वोच्च शिखर इसी श्रेणी में स्थित है |
3. लघु अध्वा मध्य हिमालय यह वृहद् हिमालय से मेन सेंट्रल थ्रस्ट द्वारा अलग होता है | औसत ऊंचाई 3500से 4500 किमी एवं चौड़ाई 60 से 80किमी है | पीरपंजाल , धौलाधार , नाग टिब्बा एवं महाभारत इस भाग की मुख्य पर्वत श्रेणियां हैं | बुर्जिल व बनिहाल मुख्य दर्रे हैं | यह शिवालिक हिमालय से मेन बाउन्ड्री फाल्ट द्वारा अलग होता है |
4. बाह्य अथवा शिवालिक हिमालय यह हिमालय की सबसे बाहरी एवं दक्षिणी श्रंखला है | हिमालय की सबसे नविन पर्वत श्रेणी है | चौड़ाई 10 से 50किमी एवं ऊंचाई 600से 1500 मी के मध्य है | लम्बव घाटियाँ पश्चिम में दून एवं पूर्व में द्वार कहलाती है जैसे देहरादून हरीद्वार |
हिमालय का लम्बवत विभाजन
हिमालय का लम्बवत विभाजन सिन्धु , सतलज, काली एवं तीस्ता नदियों के मध्य स्थित क्षेत्रों के आधार पर किया गया है | इसके अनुसार हिमालय के चार उप विभाजन किये गए हैं – 1. कश्मीर हिमालय 2. कुमायु हिमालय 3. नेपाल हिमालय 4. असम हिमालय |
1. कश्मीर हिमालय
सिन्धु एवं सतलज के मध्य स्थित हिमालय को कश्मीर हिमालय अथवा पंजाब हिमालय के नाम से जाना जाता है | यह 560 किमी की लम्बाई में विस्तृत है | 250 से 400 किमी की चौड़ाई में विस्तृत है | यह कश्मीर एवं हिमाचल प्रदेश राज्यों में फैला है | इसके अंतर्गत जास्कर , लद्दाख , काराकोरम , पीरपंजाल और धौलाधार श्रेणियां सम्मिलित हैं |
2. कुमायु हिमालय सतलज एवं काली नदी के मध्य 320किमी की लम्बाई में फैला हुआ है | इसके पश्चिमी भाग को गढ़वाल हिमालय एवं पूर्वी भाग को कुमायूं हिमालय कहा जाता है | गंगोत्री,यमुनोत्री, नैनीताल इसी भाग में स्थित हैं |
3. नेपाल हिमालय काली एवं तिस्ता नदी के मध्य 800 किमी की लम्बाई में फैला है | यहाँ हिमालय की चौड़ाई सबसे कम है | इस भाग में भारत की सबसे ऊँची चोटियाँ कंचनजंगा , मैकालू , एवरेस्ट आदि स्थित हैं |
4. असम हिमालय यह तिस्ता से लेकर ब्रह्मपुत्र तक 750 किमी की लम्बाई में फैला हुआ है | यह भूटान, सिकिम , अरुणाचल प्रदेश एवं असम राज्यों में फैला है | इसकी सबसे ऊँची छोटी नामचा बरवा(7756 मी) है|
Block Mountain or Horst वे पर्वत जिनका निर्माण दो भूखंडों के बीच स्थित भूखंड के ऊपर उठ जाने से अथवा बाहरी दोनों भूखंडो के धंस जाने से होता है ब्लोक पर्वत कहलाते हैं | ब्लाक पर्वत के बीच स्थित भूमि को ग्राबेन कहते हैं |
इसका आकर मेज के सामान होता है जिसके किनारे तीव्र ढाल वाले होते हैं | इनकी उत्पत्ति में भ्रंशों के कारण होती है इसलिए इन्हें भ्रन्शोत्थ पर्वत भी कहा जाता है | जर्मन भाषा में इन्हें होर्स्ट कहा जाता है |
विन्धयाचल और सतपुरा ब्लाक पर्वत हैं जिनके मध्य भूभाग धंसने से नर्मदा नदी की घाटी का निर्माण हुआ है |
India-Location. भारत एक दक्षिण एशिया में स्थित देश है। इसकी सीमाएँ पश्चिम में पाकिस्तान, उत्तर में चीन, नेपाल, और भूटान, पूर्व में बांगलादेश और म्यांमार (बर्मा), और दक्षिण में श्रीलंका से मिलती हैं। हिन्द महासागर भारत की दक्षिणी और पश्चिमी सीमा का भाग है। इसका कुल क्षेत्रफल लगभग 3.29 मिलियन वर्ग किलोमीटर है।
India-Location | भारत की स्थिति। भारत का भूगोल
भारत का आक्षांशीय एवं देशांतरीय विस्तार लगभग 30 डिग्री है।
इसका उत्तर से दक्षिण विस्तार 3214 किमी एवं पूर्व से पश्चिम विस्तार 2933 किमी है।
देशांतरीय विस्तार 30 डिग्री होने के कारण अरूणाचल प्रदेश एवं गुजरात में सूर्योदय के समय में दो घण्टे का अंतर है।
भारत का क्षेत्रफल 32,87,263 वर्ग किमी है।
यह विश्व के स्थल का 2.4 प्रतिशत है।
भारत क्षेत्रफल की दृष्टि से विश्व का सातवां बड़ा देश है।
आकार
भारतीय उपमहाद्वीप में भारत, पाकिस्तान, भूटान, नेपाल, बांग्लादेश सम्मिलित है।
द्वीप समूह समेत भारत की तटरेखा की कुल लंबाई 7517 किमी है।
भारत एशिया महाद्वीप के दक्षिण मध्य भाग में स्थित है।
श्रीलंका और मालदीव दो द्वीपीय पड़ोसी देश हैं।
श्रीलंका भारत से मन्नार की खाड़ी और पाक जलसंधि द्वारा जुड़ा हुआ है।
The Indian Ocean Dipole (IOD), a complex climate phenomenon, holds a crucial place in the world of oceanography and atmospheric science. Located in the Indian Ocean, this unique climate pattern influences weather systems, ocean currents, and rainfall patterns across the region. In this blog, we will delve into the intricacies of the Indian Ocean Dipole and explore its significance in understanding climate dynamics.
Understanding the Indian Ocean Dipole:
The Indian Ocean Dipole refers to the sea surface temperature anomalies that occur in the eastern and western parts of the Indian Ocean. It is characterized by the oscillation of warm and cold waters, creating a dipole-like pattern. The dipole events are classified into three categories: positive, negative, and neutral, based on the temperature differences between the western and eastern regions.
The Influence on Climate:
The Indian Ocean Dipole has a profound impact on regional climate patterns. During a positive phase, the western Indian Ocean experiences warmer-than-normal temperatures, while the eastern Indian Ocean cools down. This imbalance leads to the formation of a low-pressure system, resulting in increased rainfall over the western Indian Ocean and decreased rainfall over the eastern region. Conversely, during a negative phase, the opposite conditions prevail.
Relationship with El NINO and LA NINA:
The Indian Ocean Dipole and the El Niño-Southern Oscillation (ENSO) are interconnected climate phenomena. El Niño events in the Pacific Ocean can trigger a positive Indian Ocean Dipole, while La Niña events often coincide with a negative dipole. The interaction between these two climate systems can amplify or weaken their respective impacts on regional weather patterns.
Impacts on Agriculture and Fisheries:
The Indian Ocean Dipole exerts significant influence on agriculture and fisheries in the surrounding regions. Positive dipole events can bring abundant rainfall to countries like India, Indonesia, and Australia, enhancing agricultural productivity. Conversely, negative dipole events are associated with drought conditions, which can adversely affect crop yields and freshwater availability. Changes in oceanic conditions during dipole events can also impact marine ecosystems and fish populations.
Predictability and Forecasting:
Accurate prediction of the Indian Ocean Dipole is crucial for managing climate risks and taking timely measures. Advances in climate modeling and satellite technology have improved our ability to forecast dipole events. Several climate prediction centers and research institutes around the world closely monitor sea surface temperatures and atmospheric conditions in the Indian Ocean to provide early warnings and forecasts of dipole phases.
Conclusion
The Indian Ocean Dipole serves as a vital link in the intricate web of climate systems, influencing weather patterns, rainfall distribution, and agricultural productivity in the Indian Ocean region. Understanding this climate phenomenon is crucial for climate scientists, policymakers, and local communities to anticipate and adapt to changing climate conditions. As we continue to unravel the mysteries of the Indian Ocean Dipole through ongoing research and monitoring efforts, we gain valuable insights into the complex dynamics of our planet’s climate system, enabling us to make informed decisions for a more sustainable future.
Map of The Great Barrier Reef. Introduction: The Great Barrier Reef is a natural wonder that captivates the imagination of adventurers, conservationists, and nature enthusiasts worldwide. Spanning over 2,300 kilometers (1,430 miles) along the northeastern coast of Australia, this UNESCO World Heritage Site is the largest coral reef system on the planet. It teems with an incredible diversity of marine life, stunning coral formations, and breathtaking landscapes. To fully comprehend the vastness and splendor of the Great Barrier Reef, an interactive map serves as an invaluable tool. In this blog, we will take you on a virtual journey, exploring the Great Barrier Reef through a captivating interactive map.
Navigating the Interactive Map
Navigating the Interactive Map: The Great Barrier Reef interactive map provides a dynamic and immersive experience for both researchers and casual users. Accessed through various platforms, such as websites or mobile applications, this map allows users to explore the different regions, islands, and features of the reef system. With intuitive controls, zooming capabilities, and interactive overlays, users can dive deep into the reef’s wonders without getting wet.
Regions and Islands
Regions and Islands: The Great Barrier Reef is divided into various regions and islands, each with its unique characteristics and attractions. The interactive map showcases these regions, allowing users to explore them individually or as a whole. From the northernmost tip of Cape York to the southernmost reaches of Lady Elliot Island, users can navigate through this intricate ecosystem at the click of a button.
Coral Reefs
Coral Reefs: At the heart of the Great Barrier Reef’s allure are the mesmerizing coral formations that make it an underwater paradise. The interactive map provides a detailed view of the diverse coral reefs, such as the Ribbon Reefs, the Whitsunday Islands, and the Coral Sea. By clicking on specific areas, users can learn about the types of corals present, their significance, and the marine life that thrives in these habitats.
Marine Life
Marine Life: The Great Barrier Reef is home to an astonishing array of marine creatures, from vibrant tropical fish to majestic sea turtles and elusive reef sharks. The interactive map presents an opportunity to delve into the rich biodiversity of the reef system. By selecting designated areas or marine species icons, users can discover fascinating facts, observe stunning images, and even listen to recordings of the reef’s inhabitants.
Conservation Efforts and Threats:
Conservation Efforts and Threats: While the Great Barrier Reef remains a natural marvel, it faces numerous threats, including climate change, pollution, and overfishing. The interactive map serves as a valuable educational tool by shedding light on these challenges and the ongoing conservation efforts. Users can access informative overlays, multimedia presentations, and links to organizations working to protect and preserve this fragile ecosystem.
Conclusion:
Conclusion: The Great Barrier Reef interactive map offers an immersive and educational experience, allowing users to explore the reef’s wonders from the comfort of their homes. It serves as a testament to the power of technology in fostering appreciation for our natural world. By delving into the map’s interactive features, users can develop a deeper understanding of the Great Barrier Reef’s beauty, biodiversity, and the urgent need for its protection. So, let your curiosity guide you as you embark on a virtual adventure through this remarkable natural wonder.
Local Winds | स्थानीय पवनें | लघु क्षेत्र में सीमित एवं स्थानीय दशाओं से उद्भूत हवाओं को स्थानीय पवन कहा जाता है | स्थानीय पवनों को तृतीयक वायुमंडलीय परिसंचरण के अंतर्गत रखा जाता है | कुछ स्थानीय पवनें 24 घंटे के अंदर ही दिशा परिवर्तन कर लेती हैं तथा एक चक्र पूर्ण कर लेती हैं | जैसे स्थलीय एवं जलीय समीर तथा पर्वत एवं घाटी समीर | इस तरह की दैनिक स्थानीय हवाओं को सामयिक पवन कहा जाता है | इसके अलावा कुछ स्थानीय पवने अल्प अवधी में प्रवाहित होती हैं इन्हे असामयिक पवनें कहा जाता है | तापीय विशेषताओं के आधार पर इन्हे शीत एवं गर्म स्थानीय पवनो के नाम से जाना जाता है |
Local Winds | Winds arising from limited and local conditions in a small area are called local winds. Local winds are placed under tertiary atmospheric circulation. Some local winds change direction and complete a cycle within 24 hours. Like terrestrial and aquatic breeze and mountain and valley breeze. Such daily local winds are called seasonal winds. Apart from this, some local winds flow in a short period, these are called untimely winds. On the basis of thermal characteristics, they are known as cold and warm local winds.
सामयिक स्थानीय पवनें | स्थलीय एवं जलीय समीर
स्थल समीर एवं जल समीर अथवा समुद्र समीर का उद्भव समुद्र तटीय प्रदेशों में स्थल एवं जल राशि की अलग तापन की दर के कारण होता है | दिन के समय स्थल भाग समीप के समुद्री भाग से जल्दी गर्म हो जाता है तथा जलीय भाग अपेक्षाकृत ठंडा रहता है जिसके कारण स्थल भाग पर निम्न दाब एवं जलीय भाग पर उच्च वायु दाब स्थापित हो जाता है | अपने प्राकृतिक स्वभाव के अनुसार पवनें उच्च वायु दाब से निम्न वायु दाब की और चलती हैं फलस्वरूप जलीय भाग से पवनें स्थल भाग की और चलती हैं इन्हे समुद्र समीर अथवा जलीय समीर कहा जाता है |
The origin of land breeze and water breeze or sea breeze is due to the different heating rates of land and water in the coastal regions. During the day, the land part gets heated faster than the nearby sea part and the water part remains relatively cool, due to which low pressure is established on the land part and high air pressure on the water part. According to its natural nature, winds move from high air pressure to low air pressure, as a result, winds move from the water part to the land part, they are called sea breeze.
रात्रि के समय इसके विपरीत स्थिति उत्पन्न हो जाती है | स्थल भाग ठंडा एवं जलीय भाग अपेक्षाकृत गर्म रहता है जिससे पवनें स्थल से समुद्र की और चलती हैं इन्हे स्थल समीर कहते हैं |
At night, the opposite situation arises. The land part is cold and the water part is relatively warm, due to which the winds blow from the land to the sea, these are called land breeze.
सामयिक स्थानीय पवनें | पर्वत एवं घाटी समीर
पर्वतीय भागों में पर्वतों के शीर्ष दिन के समय अधिक गर्म हो जाते हैं एवं घाटी अपेक्षाकृत रूप से ठंडी रहती हैं जिस से दिन के समय घाटी के निम्न दाब से पवन पर्वतो के शीर्ष के उच्च दाब की ओर चलती हैं इन्हे घाटी समीर कहा जाता है |
In mountainous areas, the top of the mountains become more hot during the day and the valley remains relatively cool, due to which the winds move from the low pressure of the valley during the day to the high pressure of the top of the mountains, these are called valley breeze.
रात्रि के समय पर्वतो के शीर्ष अत्यधिक ठन्डे हो जाते हैं एवं घाटी के निचले भाग गर्म रहते हैं जिससे शीर्ष से घाटी की और पर्वत समीर चलती हैं जिसके कारण घाटी में कोहरा छा जाता है |
At night, the top of the mountains become extremely cold and the lower part of the valley remains warm, due to which the top of the valley and the mountain breeze move, due to which the fog envelops the valley.
UGC NET JRF PAPER 1 Syllabus. ugc net 2023 syllabus paper 1. Latest syllabus of UGC NET Paper. 1 has been upoaded on websites of UGC(Univesity Grant Commission) and NTA(National Testing Agency). All aspirants must make preparation according to new syllabus . Syllabus is awailable on UGC NET Website
UGC NET JRF PAPER 1 Syllabus (ENGLISH)
UGC NET JRF PAPER 1 Syllabus. net general paper on teaching and research aptitude teaching aptitude. ugc net 2023 syllabus pdf.
Subject: GENERAL PAPER ON TEACHING & RESEARCH APTITUDE Code No. : 00
PAPER-I
The main objective is to assess the teaching and research capabilities of the
candidates. The test aims at assessing the teaching and research aptitude as well.
Candidates are expected to possess and exhibit cognitive abilities, which include
comprehension, analysis, evaluation, understanding the structure of arguments,
deductive and inductive reasoning. The candidates are also expected to have a general
awareness about teaching and learning processes in higher education system. Further,
they should be aware of interaction between people, environment, natural resources
and their impact on the quality of life.
The details of syllabi are as follows:
Unit-I Teaching Aptitude
Teaching: Concept, Objectives, Levels of teaching (Memory,
Understanding and Reflective), Characteristics and basic requirements.
Learner’s characteristics: Characteristics of adolescent and adult learners
(Academic, Social, Emotional and Cognitive), Individual differences.
Factors affecting teaching related to: Teacher, Learner, Support material,
Instructional facilities, Learning environment and Institution.
Methods of teaching in Institutions of higher learning: Teacher centred vs.
Learner centred methods; Off-line vs. On-line methods (Swayam,
Swayamprabha, MOOCs etc.).
Teaching Support System: Traditional, Modern and ICT based.
Evaluation Systems: Elements and Types of evaluation, Evaluation in
Choice Based Credit System in Higher education, Computer based
testing, Innovations in evaluation systems.
Unit-II Research Aptitude
Research: Meaning, Types, and Characteristics, Positivism and Postpositivistic approach to research.
Methods of Research: Experimental, Descriptive, Historical, Qualitative
and Quantitative methods.
Steps of Research.
Thesis and Article writing: Format and styles of referencing.
Application of ICT in research.
Research ethics.
Unit-III Comprehension
A passage of text be given. Questions be asked from the passage to be
answered.
Unit-IV Communication
Communication: Meaning, types and characteristics of communication.
Effective communication: Verbal and Non-verbal, Inter-Cultural and group
communications, Classroom communication.
Barriers to effective communication.
Mass-Media and Society.
Unit-V Mathematical Reasoning and Aptitude
Types of reasoning.
Number series, Letter series, Codes and Relationships.
Mathematical Aptitude (Fraction, Time & Distance, Ratio, Proportion and
Percentage, Profit and Loss, Interest and Discounting, Averages etc.).
Unit-VI Logical Reasoning
Understanding the structure of arguments: argument forms, structure of
categorical propositions, Mood and Figure, Formal and Informal fallacies,
Uses of language, Connotations and denotations of terms, Classical
square of opposition.
Evaluating and distinguishing deductive and inductive reasoning.
Analogies.
Venn diagram: Simple and multiple use for establishing validity of
AP Human Geography.Introduction: In a world shaped by interconnectedness, diversity, and constant change, the study of human geography emerges as a captivating field that seeks to unravel the complexities of human societies and their relationship with the environment. AP Human Geography, a rigorous course offered to high school students, provides a comprehensive exploration of this dynamic discipline. Through examining patterns, processes, and phenomena, this blog delves into the fascinating realm of AP Human Geography, shedding light on its key concepts, significance, and real-world applications.
AP Human Geography. Defining AP Human Geography
Defining AP Human Geography: AP Human Geography is a college-level course that introduces students to the systematic study of patterns and processes which shapes human societies. It encompasses the examination of topics such as population, migration, culture, political organization, urbanization, and the environment. By understanding these spatial relationships, students develop critical thinking skills and gain insights into how humans interact with their surroundings.
AP Human Geography The Importance of AP Human Geography
AP Human Geography Understanding Global Interconnectedness: In an era of increasing globalization, AP Human Geography equips students with the knowledge to comprehend the complex web of interactions between people, places, and resources on a global scale. It encourages a broader perspective, fostering cultural competence and empathy for diverse societies.
Shaping Policy and Decision-Making: Human geography plays a crucial role in informing policy and decision-making processes at various levels, including local, national, and global. AP Human Geography nurtures analytical thinking and spatial awareness, empowering students to contribute to sustainable development, urban planning, and social justice initiatives.
Key Concepts Explored in AP Human Geography
Population and Migration: The study of population dynamics, including birth rates, death rates, and migration patterns, offers insights into demographic transitions and their impacts on societies. Understanding migration helps explain the causes and consequences of human mobility, including economic, social, and environmental factors.
Cultural Patterns andProcesses: Cultural geography explores the diffusion, assimilation, and preservation of cultures. Topics such as language, religion, ethnicity, and popular culture shed light on how identities are formed and transformed, and how cultural landscapes evolve over time.
Political Organization of Space: Examining political systems, international relations, and the spatial distribution of power helps students understand geopolitics, territoriality, and the complexities of governance. AP Human Geography explores topics such as state formation, boundary disputes, and the impact of globalization on sovereignty.
Urban Geography: With rapid urbanization being a defining trend of the 21st century, AP Human Geography delves into the study of cities and urban processes. It examines the social, economic, and environmental challenges associated with urban growth, including issues like housing, transportation, and urban planning.
Real-World Applications
Sustainable Development: AP Human Geography fosters an understanding of the interplay between human activities and the environment. This knowledge is essential for promoting sustainable development practices, including managing resources, mitigating climate change impacts, and creating resilient communities.
Social Justice and Equity: By examining patterns of inequality, including disparities in wealth, access to resources, and social opportunities, AP Human Geography encourages students to critically analyze social justice issues. This understanding can inform efforts to address systemic inequities and promote inclusive societies.
Career Opportunities: AP Human Geography opens up a wide range of career paths, including urban planning, international relations, environmental management, market research, and social advocacy. The skills developed in this course, such as data analysis, critical thinking, and spatial reasoning, are highly valued in various professions.
Conclusion: AP Human Geography serves as a window into the intricate tapestry of human societies, their interactions, and the environment. Through its exploration of population.
AP Human Geography curriculum / Course Content
The AP Human Geography curriculum offers students an in-depth exploration of the various facets of human geography. Here are some key points regarding the curriculum:
Course Content
Unit 1: Thinking Geographically
Unit 2: Population and Migration Patterns and Processes
Unit 3: Cultural Patterns and Processes
Unit 4: Political Patterns and Processes
Unit 5: Agriculture and Rural Land-Use Patterns and Processes
Unit 6: Cities and Urban Land-Use Patterns and Processes
Unit 7: Industrial and Economic Development Patterns and Processes
You’ll study the origins and influences of industrialization, along with the role industrialization plays in economic development.
Topics may include:
The Industrial Revolution
Economic sectors and patterns
How economic development affects the roles of women
Trade and the world economy
On The Exam
12%–17% of multiple-choice score
Gravity Model AP Human Geography
The gravity model is a fundamental concept in AP Human Geography that explains the movement of people, goods, and ideas between different locations. By considering the size of locations and the distances between them, this model provides insights into migration patterns, trade flows, and transportation networks, aiding in the understanding of spatial interactions and their implications.
Centripetal Force AP Human Geography
Centripetal force, in the context of AP Human Geography, refers to factors that promote unity, stability, and cohesion within a country or region. It encompasses social, political, economic, and cultural forces that bind people together. Examples of centripetal forces include a common language, shared cultural traditions, effective governance, economic interdependence, and the presence of national symbols and institutions. Centripetal forces help maintain territorial integrity, foster national identity, and promote social harmony. However, in some cases, they can also lead to the suppression of minority groups and cultural diversity. Understanding centripetal forces is crucial for analyzing the dynamics of nation-states and regional integration processes.
Centrifugal Force AP Human Geography
Centrifugal force, in AP Human Geography, refers to factors that destabilize, divide, or weaken a country or region. These forces can be social, cultural, political, or economic in nature. Examples of centrifugal forces include ethnic or religious conflicts, linguistic divisions, economic disparities, political dissent, and regional autonomy movements. Centrifugal forces tend to challenge the unity and cohesion of a nation-state, often leading to separatism, secession, or even the breakup of countries. Understanding centrifugal forces is essential for analyzing the dynamics of regionalism, ethnonationalism, and the potential for political fragmentation within a country or region.
Assimilation AP Human Geography
Assimilation, in the context of AP Human Geography, refers to the process by which individuals or groups adopt the cultural traits, language, and values of the dominant society. It involves the integration of minority or immigrant populations into the larger cultural framework. Assimilation can occur voluntarily or through social and political pressures. It often leads to the loss of distinctive cultural practices, languages, and identities as individuals conform to the dominant culture. Assimilation has both positive and negative impacts, as it can promote social cohesion and reduce social tensions, but it can also contribute to the erasure of cultural diversity and the marginalization of minority groups.
Cultural Landscape AP Human Geography
Cultural landscape, in the realm of AP Human Geography, refers to the visible imprint of human activity on the physical environment. It encompasses the built environment, natural features, and symbolic elements that reflect the cultural practices, beliefs, and values of a particular society. Cultural landscapes can range from urban areas with architectural landmarks and infrastructure to rural regions with agricultural patterns, religious sites, or indigenous settlements. Studying cultural landscapes provides insights into how humans shape and interact with their surroundings, and how these landscapes evolve over time. They serve as tangible expressions of cultural identity, heritage, and the complex relationship between humans and the environment.
Agglomeration AP Human Geography
Agglomeration, in AP Human Geography, refers to the concentration of economic activities and industries in specific locations. It occurs when related businesses cluster together to take advantage of shared resources, labor pools, infrastructure, and knowledge exchange. Agglomeration can lead to increased productivity, innovation, and economies of scale. It promotes efficiency through reduced transportation costs, easier access to suppliers and customers, and the formation of specialized labor markets. Examples of agglomeration include technology hubs like Silicon Valley, financial centers like Wall Street, and industrial clusters like automotive manufacturing regions. Understanding agglomeration helps explain patterns of economic development, urban growth, and regional specialization.
What is Human Geography ?
Human geography is the study of how people interact with and shape their environment. It explores the spatial patterns and processes of human activities, including population distribution, cultural practices, economic systems, political organization, and their impact on the world.
Is Human Geography a Social Science?
Yes, human geography is considered a social science. It falls within the broader field of geography, which encompasses both physical geography (the study of the natural environment) and human geography (the study of human activities and their relationship with the environment). As a social science, human geography focuses on the social, cultural, economic, and political aspects of human societies and their spatial patterns and processes. It employs methodologies and theories from disciplines such as sociology, anthropology, economics, and political science to understand and explain human behavior, interactions, and the organization of societies in relation to their geographic context.
Situation AP Human Geography
Situation, in AP Human Geography, refers to the location of a place in relation to its surrounding environment and other places. It considers both the physical and cultural characteristics that impact a place’s connectivity, accessibility, and interactions with other locations, influencing its economic, social, and political dynamics.
Jet Stream | Jet Stream and its types.Jet Stream Jet stream – These are very high speed horizontal winds running from west to east near the troposphere. It remains active in the form of a transition belt 150 km wide and 2 to 3 km thick. Their speed is 150 to 200 km per hour. Their speed on core can be up to 325 km per hour.
Jet streams are generally found only in the Northern Hemisphere and in the Southern Hemisphere they are found only at the South Pole. They run from west to east. The main reason for their origin is the difference in temperature on the surface of the earth and the pressure gradient generated from it. The main reason is the thermal gradient generated between the equatorial region and the polar region. Due to the higher thermal gradient in winter than in summer, the intensity of jet stream also increases in winter.
Due to the absence of terrestrial surface in the Southern Hemisphere, the temperature gradient is less, so the jet stream is less stable in the Southern Hemisphere and more stable in the Northern Hemisphere.
Due to the decrease in the height of the troposphere from the equator towards the poles, there is also a decrease in the height of the jet stream.
Jet Stream | types of jet stream
polar night jet stream
polar front jet stream
subtropical jet stream
tropical easterly jet stream
Polar Night Jet Stream
They are found in latitudes above 60 degrees in both the hemispheres.
Polar Front Jet Stream
It is found at an altitude of 9 to 12 km between 40-60 degrees northern latitudes. It is related to the polar air masses. These waves follow the said anomalous path. Their speed is 150-300 km per hour, and air pressure is 200 to 300 millibars. These are also called Rossby waves.
Subtropical Jet Stream
They are found at an altitude of 10 to 14 km between 30 to 35 degrees north latitudes. Their speed is 350 to 385, and air pressure is 200 to 300 millibars. The main reason for their origin is the convection action due to high temperature in the equatorial region. These jet winds are responsible for the Western Disturbances in India between December and February.
Tropical Easterly Jet Stream
Unlike other jet streams, its direction is northeast. They only occur in the summer in the Northern Hemisphere, near 25 degrees north latitude. At an altitude of 14 to 16 km, they originate in areas with 100 to 150 millibar air pressure. Their speed is 180 km per hour. This jet is responsible for the origin of the Indian monsoon.
The Pacific Ring of Fire, a region encircling the Pacific Ocean, holds a fiery reputation as one of the most geologically active areas on Earth. This vast arc stretches for approximately 40,000 kilometers and is home to about 75% of the world’s active volcanoes. In this blog, we will embark on a journey into the awe-inspiring realm of the Pacific Ring of Fire, exploring its geological wonders, volcanic activity, and seismic forces that shape our planet.
Understanding the Tectonic Dance:
The Pacific Ring of Fire owes its existence to the interactions between several tectonic plates that converge along its boundaries. The boundaries primarily consist of subduction zones, where one tectonic plate slides beneath another. These subduction zones are responsible for the creation of volcanic arcs, mountain ranges, and deep ocean trenches, making the Pacific Ring of Fire a geological hotspot.
Volcanic Splendor:
The Pacific Ring of Fire boasts an impressive array of volcanoes, both active and dormant. From Mount Fuji in Japan to Mount Rainier in the United States, these towering giants punctuate the landscape with their majesty. The volcanic eruptions in this region not only create breathtaking sights but also contribute to the formation of new landmasses and release gases and minerals that enrich the Earth’s crust.
The Fury of Earthquakes:
Along with volcanoes, the Pacific Ring of Fire is renowned for its seismic activity. The collision and subduction of tectonic plates lead to intense pressure and strain, resulting in frequent earthquakes. Major fault lines, such as the San Andreas Fault in California and the Great Sumatra Fault, traverse the region, making it vulnerable to powerful seismic events that can have significant societal and environmental impacts.
Submarine Mysteries:
Beneath the Pacific Ocean’s surface lies a hidden world of undersea volcanoes, hydrothermal vents, and submerged mountain ranges. These submarine features contribute to the unique geography of the Ring of Fire and support diverse ecosystems teeming with marine life. Exploring these underwater realms not only expands our knowledge of Earth’s geology but also uncovers fascinating species and ecological interactions.
Impacts on Human Settlements:
The Pacific Ring of Fire’s dynamic geology has significant implications for human settlements in the region. The frequent volcanic eruptions, earthquakes, and tsunamis pose challenges and risks to communities residing along the Ring of Fire’s coastlines. However, these challenges have also fostered resilience and adaptation among the people who call this region home.
Conclusion:
The Pacific Ring of Fire stands as a testament to the raw power and geological beauty of our planet. From the fiery eruptions of volcanoes to the rumbling tectonic shifts that shape landscapes, this region offers a glimpse into Earth’s dynamic nature. While the Pacific Ring of Fire presents challenges and risks, it also presents unique opportunities for scientific research, natural resource exploration, and the marvel of nature’s creative forces. As we continue to study and understand this magnificent geological theater, we gain a deeper appreciation for the interconnectedness of Earth’s processes and the delicate balance of life on our planet.
Western Disturbances. पश्चिमी विक्षोभ भूमध्यसागरीय क्षेत्र में उत्पन्न होने वाला शीतोष्ण कटिबंधीय चक्रवातों से उत्पन्न वयुमंदालीय प्रणाली है ये तूफान जो अचानक सर्दी लाता है भारतीय उपमहाद्वीप के उत्तर-पश्चिमी भागों में वर्षा को पश्चिमी विक्षोभ के रूप में जाना जाता है। यह एक वैश्विक जलवायु घटनाक्रम हैं। Western Disturbances.ये शीत काल में भूमध्यसागर में वायुदाब की पेटियों के दक्षिणी दिशा में स्थानांतरण के कारण पछुआ पवनो के दक्षिणी दिशा में स्थानातरण के कारण शीत काल में भारतीय उप महाद्वीप में प्रवेश करते हैं एवं शीतकाल में होने वाली वर्षा के लिए उत्तरदायी हैं |इनकी उत्पत्ति कास्पियन सागर एवं भू मध्य सागर में होती है |
Western Disturbances शीतोष्ण कटिबंधीय चक्रवात
Western Disturbances.ये चक्रवात शीत फ्रंट अथवा शीत वताग्र एवं उष्ण वताग्र के मिलन स्थल पर उष्ण एवं शीत वयुराशियों के मिलने से निर्मित होते हैं | ये पछुआ पवनों के प्रभाव के पश्चिम से पूर्व की और गति करते हैं | ये सम्पूर्ण यूरोप के मौसम को प्रभावित करते हैं |
Western Disturbances | जलवायु पर प्रभाव
यह निचले इलाकों में मध्यम से भारी बारिश और भारतीय उपमहाद्वीप के पहाड़ी क्षेत्रों में भारी मात्रा में बर्फ लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
इनका आगमन आमतौर पर बादल छाए रहने, रात के उच्च तापमान और असामान्य बारिश के साथ होता है |
इनसे होने वाली मावठ वर्षा रबी की फसलों के लये बेहद लाभदायक है |
भारतीय गंगा के मैदान में ये शीत लहर के वाहक होते हैं |
Western Disturbances. मावठ
Western Disturbances. पश्चिमी विक्षोभ के कारण शीतकाल में होने वाली वर्षा मावठ कहलाती है |